पटना: परिवहन निगम में ऑफ रोड हो चुकी बसों की नीलामी नहीं होने से लगभग 5 करोड़ की संपत्ति बरबाद हो रही है. इन बसों की नीलामी से निगम लगभग 20 नयी बसों को खरीद कर उनसे रोजाना 90 हजार रुपये कमा सकता है. ऑफ रोड हो चुकीं बसें निगम की कर्मशाला एवं प्रतिष्ठानों में खड़ी सड़ रही हैं. यहां तक कि हर दिन बसों के पार्ट-पुरजे गायब हो रहे हैं. अगर समय रहते बसों की नीलामी नहीं हुई, तो संभव है कि कुछ महीनों बाद उसे कबाड़ के भाव बेचना पड़े.
निगम के बेड़े में 425 बसें
परिवहन निगम के बस बेड़े में लगभग सवा चार सौ बसें हैं. इनमें से 272 बसों की खरीद वर्ष 2003-04 के बाद हुई है. दस साल के अंदर ही 272 में से 50 बसें ऑफ रोड हो चुकी हैं. मात्र सवा सौ बसें ही परिचालित हैं. उन सभी बसों की आयु पूरी हो चुकी है. सभी बसें आठ वर्ष से अधिक आयु व लगभग पांच लाख किलोमीटर यात्र तय कर चुकी हैं.
चलायमान बसों में भी प्रत्येक दिन मात्र नब्बे से सौ बसें ही परिचालित हो रही हैं. ऑफ रोड हो चुकी बसों में वर्ष 1998-99 में खरीद हुई बसें भी शामिल हैं. निगम के पास राशि उपलब्ध नहीं होने के कारण इनकी मरम्मत संभव नहीं हो पा रही.
जांच के बाद तय होता न्यूनतम मूल्य
ऑफ रोड हो चुकी बसों की जांच के बाद निगम न्यूनतम मूल्य तय करता है. इसके बाद खरीदार बोली लगाते हैं. कभी-कभी न्यूनतम मूल्य से अधिक राशि प्राप्त हो जाती है. कभी-कभी खरीदार एकजुट होकर एक निर्धारित मूल्य से अधिक बोली नहीं लगाते हैं. समय पर नीलामी प्रक्रिया हो जाने से निगम को अच्छी राशि प्राप्त होगी. अन्यथा बसों की स्थिति अधिक खराब होने पर निगम अधिक मूल्य निर्धारित नहीं कर सकती है और ना ही खरीदार अधिक बोली लगाते हैं. निगम में तीन साल पहले दो सौ पचास बसें नीलाम हुई थीं. इसमें निगम को आठ करोड़ रुपये प्राप्त हुआ था. प्राप्त राशि से निगम ने नयी बसें खरीदी.