बायोप्सी व सिटी स्कैन के लिए मरीजों को जाना पड़ रहा है बाहर
पटना : आइजीआइएमएस में हेपेटाइटिस बी, एचआइवी, ब्लड ग्रुप, बायोप्सी, एफएनएसी की जांच के लिए मरीजों को दो से लेकर 20 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में चिकित्सकों की परेशानी बढ़ गयी है और मरीजों का समय पर बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है.
परिसर में सात डायलीसिस मशीन है, लेकिन शुक्रवार की शाम आने वाले मरीजों को डायलीसिस के लिए सोमवार का इंतजार करना पड़ता है. शनिवार को हाफ डे व छुट्टी के दिनों में डायलीसिस नहीं होता है.
जून 2013 से डायलीसिस का समय बढ़ा कर ग्यारह बजे रात तक होना था, लेकिन अभी तक नहीं हो पाया है. इसके कारण डायलीसिस मरीज पीएमसीएच या अन्य निजी अस्पतालों में चले जाते हैं.
एक साल से खराब है सिटी स्कैन : नयी मशीन लगाने के लिए सरकार की ओर से डेढ़ करोड़ की राशि आवंटित हैं, लेकिन संस्थान में जिस अत्याधुनिक मशीन को लगाया जाना है, उसकी कीमत लगभग साढ़े चार करोड़ है. इस बीच की अंतर राशि के लिए सरकार को पत्र लिखा गया है. बावजूद इसके पैसों का आवंटन अभी तक नहीं हो पाया है, जिसके कारण पिछले एक सालों से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सिटी स्कैन की व्यवस्था नहीं हो पायी है.
भीड़ अधिक, अल्ट्रासाउंड मशीन कम : परिसर में अल्ट्रासाउंड मशीनों की संख्या फिलहाल दो है. वहीं मरीजों की संख्या दो सौ से अधिक. मशीन कम होने के कारण मरीजों को एक दिन पहले भी नंबर लगाना पड़ता है, जिसके कारण कभी-कभी मरीज दलालों के चक्कर में पड़ कर बाहर चले जाते हैं और अधिक पैसा खर्च करने के बावजूद भी रिपोर्ट बढ़िया नहीं आता है.
मरीजों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए मशीन बढ़ाने की बात कही गयी है और इस दिशा में कार्य भी किया जा रहा है, लेकिन काम कब पूरा होगा यह कहना मुश्किल है.