पटना : राजधानी पटना के आशियाना नगर इलाके में 13 वर्ष पूर्व पुलिस की फर्जी मुठभेड़ में मारे गये तीन छात्रों में से दो के परिजनों को जिला प्रशासन ने मुआवाजे के तौर पर आज दस-दस लाख रुपये का चेक प्रदान किया. जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने आज उक्त मुठभेड़ में मारे गये शास्त्री नगर थानांतर्गत आशियाना मोड़ निवासी विकास रंजन मनभावन स्वीट्स थाना जिला पटना एवं रुपसपुर थाना अंतर्गत गोला रोड के परिजनों को को दस-दस लाख रुपये अनुदान राशि वाला चेक सौंपा.
28 दिसंबर 2002 को शास्त्रीनगर थाना अंतर्गत आशियाना नगर इलाके के एक मार्केट में फर्जी मुठभेड़ में तीन छात्रों विकास रंजन, प्रशांत सिंह और हिमांशु शेखर की मौत हो गयी थी. 24 जून 2014 को पटना शहर के व्यवहार न्यायालय के न्यायाधीश रविशंकर सिन्हा ने उक्त मामले में शास्त्रीनगर थाना के तत्कालीन प्रभारी शम्शे आलम को फांसी, आरक्षी अरुण कुमार सिंह को आजीवन कारावास तथा सात अन्य अभियुक्त कमलेश कुमार गौतम, राजू रंजन, सोनी रजक, कुमोद कुमार, राकेश कुमार मिश्रा और अनिल को उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
आरक्षी अरुण कुमार सिंह के साथ घटनास्थल पहुंचे आलम ने इन छात्रों के सिर में गोली मारने के बाद उन्हें डकैत के रूप में पेश किया था. निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ पटना व्यवहार न्यायालय में अपील दायर करने पर गत वर्ष 4 नवंबर को न्यायधीश वीएन सिन्हा और जितेंद्र मोहन शर्मा की खंडपीठ ने संदेह का लाभ के आधार पर सभी आठों आरोपियों को बरी कर दिया था. खंडपीठ ने बिहार सरकार को पीड़ित मुआवजा कोष से मृतक छात्रों के परिजनों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा के तौर पर दिये जाने का भी निर्देश दिया था.