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मनमरजी का पाठ
कौन सुने. स्कूलों ने एनसीइआरटी की किताबों से किया किनारा, अभिभावकों की कट रही जेब स्कूलों में एनसीइआरटी की किताबें ही पढ़ायी जानी हैं, लेिकन ज्यादातर स्कूलों के कोर्स में 30 फीसदी एनसीइआरटी और 70 फीसदी प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें शामिल हैं. प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों की कीमत एनसीइआरटी से काफी अधिक होती है. रिंकू […]
कौन सुने. स्कूलों ने एनसीइआरटी की किताबों से किया किनारा, अभिभावकों की कट रही जेब
स्कूलों में एनसीइआरटी की किताबें ही पढ़ायी जानी हैं, लेिकन ज्यादातर स्कूलों के कोर्स में 30 फीसदी एनसीइआरटी और 70 फीसदी प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें शामिल हैं. प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों की कीमत एनसीइआरटी से काफी अधिक होती है.
रिंकू झा
पटना : हर क्लास में एनसीइआरटी की किताबें ही पढ़ायी जानी है. स्कूल किसी भी क्लास में प्राइवेट पब्लिकेशन के बुक नहीं चलायेंगे. 2016 के सेशन से इसे लागू करने के लिए स्कूलों को निर्देश दिये गये थे.
लेकिन, इस बार भी अधिकांश स्कूल मनमानी करने से बाज नहीं आये. इन स्कूलों ने अपनी बुक लिस्ट में एनसीइआरटी से किनारा कर प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों को शामिल किया है. इसमें 30 फीसदी किताबें ही एनसीइआरटी की हैं. 70 फीसदी किताबें प्राइवेट पब्लिकेशन की हैं. कई स्कूल तो ऐसे हैं जिन्होंने एनसीइआरटी की 10 फीसदी किताबों को भी सिलेबस में नहीं रखा है.
ढीली हो रही अभिभावक की जेब : एनसीइआरटी किताबों की कीमत प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों की तुलना में 50 फीसदी कम होती है. ऐसे में प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों की खरीदारी करने में अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है. ऐसे ही एक अभिभावक रोहित रंजन की मानें तो उन्हें चौथी क्लास की किताबें खरीदनी हैं. हर किताब की कीमत कम से कम दो सौ रुपये है. एनसीइआरटी की एक या दो ही किताबें लिस्ट में शामिल हैं.
एक अन्य अभिभावक प्रिया भाटिया ने बताया कि किताबों का पूरा सेट खरीदने में चार हजार के लगभग खर्च आया है.
अधिकतर स्कूलों में किताबों के साथ वर्क बुक भी चलता है. ऐसे में जितनी किताबें, उतने ही वर्क बुक भी लेने होते हैं. ऐसे में अगर किसी कक्षा में आठ सब्जेक्ट हैं तो वर्क बुक मिला कर किताबों की संख्या 16 की संख्या हो जाती है.
आठवीं तक शामिल करनी हैं एनसीइआरटी की किताबें : बस्ता का बोझ कम करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने हर क्लास में एनसीइआरटी किताबों को लागू करने के लिए कहा था. इसे 2016 के सेशन से ही लागू करना था. एनसीइआरटी की किताबें स्टूडेंट्स को आसानी से उपलब्ध हो, इसके लिए सीबीएसइ ने तमाम स्कूलों से स्टूडेंट्स की संख्या बताने को भी कहा गया था. इसके बावजूद पटना के अधिकांश स्कूलों ने ऐसा नहीं किया.
पटना. हर क्लास में एनसीइआरटी की बुक ही चलायी जाये. प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों को बेचना स्कूल बंद करें. अभिभावक अपनी मरजी से बुक की खरीदारी किसी भी दुकान से करें. इन तमाम मुद्दों को लेकर अभिभावकों ने सोमवार को क्राइस्ट चर्च हाइस्कूल, गांधी मैदान में हंगामा किया. स्कूल के मुख्य गेट को कई घंटों तक बंद रखा. स्कूल में चल रहे बुक काउंटर को बंद करवा दिया. अभिभावकों की मांग थी कि स्कूल ने नये क्लास की बुक लिस्ट उपलब्ध नहीं करवायी है. ऐसे में अभिभावक कैसे किताबों की खरीदारी करेंगे.
क्लास बता कर पैसे दो और बुक ले जाअो : क्राइस्ट चर्च स्कूल में इस बार न तो अभिभावकों को बुक लिस्ट दी गयी है और न ही बुक खरीदने की कोई जानकारी दी गयी है. बस नोटिस बोर्ड पर क्लास का नाम और पैसे की जानकारी दी गयी है. अभिभावक संजीव ने बताया कि नोटिस बोर्ड पर क्लास के नाम के साथ पैसे लिख दिये गये हैं. कहा गया है कि उतने पैसे लेकर अभिभावक आएं, पैसे जमा करें और बुक लेकर जाएं. बुक्स की संख्या और पब्लिकेशन आदि की किसी तरह की जानकारी नहीं दी गयी है. इसी का विरोध सोमवार को अभिभावकों ने किया. विरोध मंगलवार को भी जारी रहेगा. सुबह आठ बजे से ही स्कूल को अभिभावक बंद करायेंगे.
स्कूल से मिली सूची के अनुसार देते हैं किताब
प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों की खरीदारी अधिक होती है. हर क्लास में औसतन 30 फीसदी किताबें ही एनसीइआरटी की होती हैं. अभिभावक स्कूल से मिली किताबों की सूची लेकर आते हैं. हम उसी हिसाब से उन्हें किताबें उपलब्ध करवाते हैं.
शिव शक्ति सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, ज्ञान गंगा लिमिटेड
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