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किसने छुपाये स्कूटी-फोन
अंधेरे में तीर. मौत के सप्ताह बाद भी पुलिस के हाथ खाली पटना : बीएससी के छात्र दीपू तिवारी की जब मौत हुई, उस समय उसके पास मोबाइल फोन और पर्स था. वह जिस स्कूटी से गया था, वह विकास झा की पत्नी का है. लापता होने के पांचवें दिन दारोगा राय पथ में दीपू […]
अंधेरे में तीर. मौत के सप्ताह बाद भी पुलिस के हाथ खाली
पटना : बीएससी के छात्र दीपू तिवारी की जब मौत हुई, उस समय उसके पास मोबाइल फोन और पर्स था. वह जिस स्कूटी से गया था, वह विकास झा की पत्नी का है. लापता होने के पांचवें दिन दारोगा राय पथ में दीपू की लाश नाले से मिली, पर उसके पास से कोई सामान नहीं मिला. मोबाइल, स्कूटी और अन्य सामान कुछ भी नहीं मिला. अब सवाल है कि आखिर कौन है, जो दीपू की मौत से जुड़े साक्ष्य को छुपा रहा है.
दरअसल दीपू की मौत का राज उजागर होने में उसका मोबाइल फोन महत्वपूर्ण साबित होगा, जो अब तक बरामद नहीं हुआ है. साथ रहने के कारण पांच लोग इस केस में नामजद जरूर किये गये हैं, पर अब तक पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं है.
पुलिस इस हत्या कांड को लेकर दो बिंदुओं पर काम कर रही है. पहला, पुलिस घटनास्थल दुर्गा अपार्टमेंट के आसपास से लाेगों के बयान और साक्ष्य जुटा रही है. दूसरा, आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड छापेमारी कर रही है. इस अनुसंधान में पुलिस के पास जो सबसे मजबूत हथियार है, वह सभी आरोपितों के मोबाइल फोन की सीडीआर है. पुलिस सीडीआर को बारीकी से खंगाल रही है. इसमें एक खास शख्स के मोबाइल फोन की भी सीडीआर निकाली गयी है. हालांकि उस शख्स का नाम एफआइआर में तो नहीं है, लेकिन वह घटना का सूत्रधार हो सकता है. पुलिस इसकी जांच कर रही है.
गौरतलब है कि पटेलनगर गोकुल पथ रोड नंबर 12 में दुर्गा अपार्टमेंट से 19 मार्च की शाम सात बजे दीपू तिवारी स्कूटी लेकर निकला था. दीपू के घरवालों को एफआइआर से पहले विकास पाठक ने कहा था, दारोगा राय पथ में ज्ञानेंद्र, छोटू और मोदी से उसका झगड़ा हुआ था. इसके बाद क्या हुआ किसी को नहीं पता. 23 मार्च को दारोगा राय पथ में नाले से दीपू तिवारी की लाश मिली.
दीपू की लाश मिलने से पहले विकास झा ने पुलिस को बता दिया कि वह पटना में नहीं, बल्कि दार्जिलिंग में था. साथ में उसकी पत्नी में भी गयी थी. वहीं एक नामजद आरोपित विकास पाठक का कहना है कि वह गांव में था. सवाल यह है कि अचानक फ्लैट क्यों खाली हो गया.
दीपू की मौत की पुष्टि 23 मार्च को लाश मिलने के बाद हुई, यहां भी सवाल उठता है कि जब दीपू के मौत की जानकारी ही नहीं थी, तो 23 मार्च के पहले सभी लोगों ने फ्लैट क्यों खाली कर दिया. ऐसा कौन-सा डर था, जो भागने के लिए मजबूर किया. फिलहाल पुलिस इसकी जांच कर रही है.
दीपू की मौत किसी साजिश के तहत हुई है या फिर दुघर्टना में हुई है, इसके लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. पुलिस यह भी शक जाहिर कर रही है कि हो सकता है कि दुर्घटना हुई हो, लेकिन इस का जवाब नहीं दे पा रही है कि मृतक का मोबाइल, पर्स और स्कूटी कहां चला गया.
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