पटना: निगम प्रशासन के पास जन समस्या को दुरुस्त करने के लिए राशि का अभाव रहता है, लेकिन व्यर्थ खर्च रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किया जाता है. बुद्ध मार्ग स्थित निगम मुख्यालय कार्यालय का बिजली बिल आठ लाख 13 हजार रुपये का आया और निगम प्रशासन ने इसका भुगतान भी कर दिया है. हालांकि, यह बिल वर्ष 2008 से बकाया है, लेकिन निगम मुख्यालय वर्ष 2009 से मौर्यालोक परिसर स्थिति पीआरडीए के कार्यालय में शिफ्ट हो गया था. इस स्थिति में वर्ष 2009 में निगम के पुराने मुख्यालय का बिजली कनेक्शन क्यों नहीं काट दिया गया.
सिर्फ एक शाखा हो रही संचालित : वर्ष 2009 के अक्तूबर-नवंबर से बुद्ध मार्ग स्थिति निगम मुख्यालय में सिर्फ एक शाखा चल रही है. छोटे-छोटे चार कमरे हैं, जिसमें सिर्फ जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाया जाता है. यह कार्यालय सुबह दस बजे से शाम के साढ़े चार-पांच बजे तक खुला रहता है. इसके साथ ही एक गार्ड की प्रतिनियुक्ति की गयी है, जो चौबीस घंटे सुरक्षा में लगा है. इसमें किसी के लिए न तो एसी है और न ही कुलर. इसके बावजूद लाखों रुपये का बिल आया है. पुराने निगम मुख्यालय में सिर्फ एक शाखा है और एक गार्ड रहता है, तो कैसे पांच वर्षो में आठ लाख रुपये का बिजली बिल आ गया. इसका सीधा मतलब है कि मुख्यालय में बिजली का दुरुपयोग किया गया.
पुराने निगम मुख्यालय में एक शाखा चल रही है, जिससे बिजली कनेक्शन कटवाना संभव नहीं है और नगर निगम का पता भी वही है. हां यह सही है कि बिजली का दुरुपयोग किया गया है. इसकी जांच की जायेगी.
रवींद्र कुमार वर्मा, मुख्य अभियंता
बिजली बिल के रूप में बड़ी राशि आना कोई सवाल नहीं है. सवाल यह है कि कार्यालय वहां नहीं है और लाखों रुपये का बिजली बिल आ गया. इसका मतलब है कि बिजली का दुरुपयोग किया गया, जो अपराध है. निगम प्रशासन ने इसकी नियमित मॉनिटरिंग नहीं की, जिसका यह नतीजा है.
अफजल इमाम, मेयर