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पैसे के लिए बुलाया, मार दी गोली
अनुसंधान. 30 लाख के विवाद में गयी ठेकेदार मोती सिंह की जान पटना : ठेकेदार मोती सिंह (आरके पथ 4सी/30 उत्तरी शिवपुरी) की हत्या 30 लाख के विवाद में कर दी गयी थी. मोती सिंह को उमेश सिंह ने फ्रेजर रोड स्थित अपार्टमेंट में पैसा देने के लिए बुलाया था. बेसमेंट में ही दोनों के […]
अनुसंधान. 30 लाख के विवाद में गयी ठेकेदार मोती सिंह की जान
पटना : ठेकेदार मोती सिंह (आरके पथ 4सी/30 उत्तरी शिवपुरी) की हत्या 30 लाख के विवाद में कर दी गयी थी. मोती सिंह को उमेश सिंह ने फ्रेजर रोड स्थित अपार्टमेंट में पैसा देने के लिए बुलाया था. बेसमेंट में ही दोनों के बीच बहस हुई. इसके बाद उमेश ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से दो गोली मारी. 24 घंटे के बाद भी हत्यारा पुलिस की पकड़ से बाहर है.
हालांकि पुलिस ने उमेश की पिस्टल का लाइसेंस जब्त कर लिया है. पुलिस के अनुसंधान में यह बात सामने आयी है कि मोती सिंह, उमेश सिंह व नीरज सिंह सिंचाई विभाग के निकलनेवाले टेंडर की ठेकेदारी करते थे. टेंडर की ठेकेदारी लेने के लिए सुनील मिश्रा के पास लाइसेंस था और ये तीनों उनसे ही पेटी कांट्रेक्ट पर काम लेकर करते थे.
चूंकि लाइसेंस सुनील मिश्रा के नाम पर था, इसलिए सारा पैसा उनके ही एकाउंट पर आता था. सुनील मिश्रा उन लोगों का हिस्सा उनके एकाउंट पर डाल देता था. कुछ दिन पहले उमेश ने मोती सिंह के हिस्से के पैसे भी अपने पास रख लिये थे और उसने जल्द देने की बात कही थी.
गुरुवार की शाम उमेश ने मोती को पैसा देने के लिए तुफैल रेसिडेंसी में बुलाया और घटना को अंजाम दिया. हिरासत में लिये गये नीरज ने पुलिस को बताया कि वह गोली चलते ही वहां से हट गया. उमेश काफी गुस्से में था और हमें भी वह गोली मार सकता था. इससे वह डर से भाग गया था. उधर पुलिस ने शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया.
उमेश सिंह पर नामजद प्राथमिकी दर्ज : मोती सिंह के हत्या मामले में कोतवाली थाने में उमेश सिंह को नामजद आरोपित बनाया गया है. इस मामले में फिलहाल नीरज पुलिस की हिरासत में है. नीरज के संबंध में मोती सिंह के परिजनों का आरोप है कि वही बुला कर उमेश सिंह के पास ले गया था. हालांकि जांच में उसकी संलिप्तता सामने नहीं आयी है.
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि उमेश को पकड़ने के लिए विशेष टीम का गठन कर दिया गया है और छापेमारी की जा रही है. उमेश, मोती व नीरज तीनों मिल कर एक साथ ठेकेदारी करते थे और 30 लाख रुपये को लेकर उमेश व मोती के बीच विवाद चला आ रहा था.
उमेश को कैसे मिला हथियार का लाइेंसस
सबसे बड़ा सवाल है कि आरोपित उमेश को कैसे हथियार का लाइसेंस मिला. उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि आपराधिक रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि इस मामले में छानबीन की जा रही है और यह भी जानकारी ली जा रही है कि उमेश के खिलाफ किसी थाने में कोई आपराधिक मामला तो दर्ज नहीं है. पुलिस इस बिंदु पर अपनी नजर बनाये हुए है.
कुख्यात नाटा सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मौत होने के बाद उमेश ने ही गिरोह की कमान संभाली थी. हालांकि उमेश का नाम किसी की हत्या करने में नहीं आया, बल्कि वह नाटा सिंह के नाम पर शुरू से ही मोकामा व बाढ़ में ठेकेदारी के धंधे से जुड़ा रहा था.
नाटा सिंह के डर के कारण उमेश को कभी भी ठेकेदारी लेने में परेशानी नहीं हुई. उमेश मूल रूप से मोकामा के शंकरवार टोला का रहने वाला है और मोती सिंह मोलदियार टोले का निवासी है.
दोनों ही टोला आसपास है, लेकिन इन दोनों ही इलाकों के अपराधी गिरोहों में आपसी वर्चस्व को लेकर हमेशा गोलीबारी होती रही है. नाटा सिंह की मौत के बाद उसके गिरोह का शूटर शिबु कहार भी फरार हो गया था, जो अब तक पकड़ा नहीं गया है. मोलदियार टोले के नागा सिंह व शंकर वार टोले के नाटा सिंह के बीच वर्चस्व को लेकर आपस में काफी गोलीबारी हुई थी.
नागा सिंह की मोकामा के गिरधारी गैंग से भी अदावत थी. नाटा सिंह की मौत के बाद वर्चस्व को लेकर गिरधारी गैंग से एक बार गोलीबारी हुई थी और तीन अपराधी मारे गये थे. उसके बाद फिर से कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी.
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