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कन्हैया ने उठाया दलित हित व सम्मान का सवाल
बहस. ‘समकालीन भारत में दलित स्वरूप’ पर सेमिनार पटना : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया ने जाति से ऊपर उठ कर दलितों का सवाल उठाया है. उसने कोई गलत सवाल खड़ा नहीं किया है. दलितों के सवाल पर आम आदमी को भी संघर्ष करना होगा. उक्त बातें शनिवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के […]
बहस. ‘समकालीन भारत में दलित स्वरूप’ पर सेमिनार
पटना : जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया ने जाति से ऊपर उठ कर दलितों का सवाल उठाया है. उसने कोई गलत सवाल खड़ा नहीं किया है. दलितों के सवाल पर आम आदमी को भी संघर्ष करना होगा. उक्त बातें शनिवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो सुबोध नारायण ने कहीं.
वे जगजीवन राम शोध संस्थान में ‘समकालीन भारत में दलित स्वरूप’ विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कन्हैया ने जेएनयू में ‘जय-भीम’ का नारा लगाया था. उसका नारा शोषण, मनुवाद और ब्राह्मणवाद के खिलाफ था. उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवादी कर्मकांड के खिलाफ दलित विमर्श सदियों से चल रहा है. बुद्ध ने जात-पात तोड़ने के लिए तब वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया था मार्क्स और बुद्ध में काफी समानता है.
उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला को क्यों टारगेट किया गया? अफजल को लेकर उन्होंने सेमिनार का आयोजन किया, जिससे आरएसएस और भाजपा तिलमिला गयी. उसका फैलोशिप बंद किया गया.
जेएनयू के प्रो सुबोध नारायण ने कहा कि भक्तिकाल के दौर में दलितों के मंदिर प्रवेश के खिलाफ भी अभियान चला. मीरा और संत रविदास ने इस अभियान का नेतृत्व किया. इसके बाद ज्योति राव फूले, पेरियार और बाबा अांबेडकर ने ब्राह्मणवाद के खिलाफ जंग छेड़ी. सेमिनार की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के उमा शंकर शर्मा ने की. सेमिनार में विधामसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, खगेंद्र ठाकुर, आशुतोष और संस्थान के अध्यक्ष श्रीकांत ने भी संबोधित किया.
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