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बीपी, शूगर काबू से किडनी की बीमारी नहीं
पटना : बिहार सहित पूरे भारत में क्रॉनिक किडनी रोगियों की संख्या बढ़ रही है. समय रहते सचेत न हुए तो किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है. किडनी फेल भी हो सकती है और डायलसिस पर निर्भर रहना पड़ सकता है. किडनी ट्रांसप्लांट की नौबत भी आ सकती है. यह कहना है पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग […]
पटना : बिहार सहित पूरे भारत में क्रॉनिक किडनी रोगियों की संख्या बढ़ रही है. समय रहते सचेत न हुए तो किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है. किडनी फेल भी हो सकती है और डायलसिस पर निर्भर रहना पड़ सकता है. किडनी ट्रांसप्लांट की नौबत भी आ सकती है.
यह कहना है पीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ पंकज हंस का. वे शनिवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में रूबन मेमोरियल हॉस्पिटल की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सवालों का जवाब दे रहे थे. डॉ पंकज हंस ने कहा कि पीएमसीएच में रोजाना 15 ऐसे मरीज आते हैं, जिनको डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. पूरे भारत में 25 हजार लोग एक साल में किडनी की समस्या से ग्रसित होते हैं. उन्होंने कहा कि डायबिटीज और हाइपरटेंशन दो ऐसी समस्याएं हैं, जो क्रॉनिक किडनी रोग के प्रमुख कारण हैं.
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