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पशुओं की टीकाकरण योजना धीमी
कृषि रोड मैप के तहत 2012-13 से प्रति वर्ष 3.40 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करना था राज्य में दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए राज्यभर में पशुओं में टीकाकरण अभियान तेज करने का निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद लक्ष्य के आधे पशुओं का भी टीकाकरण नहीं किया जा सका. कृषि रोड मैप में तय […]
कृषि रोड मैप के तहत 2012-13 से प्रति वर्ष 3.40 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करना था
राज्य में दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए राज्यभर में पशुओं में टीकाकरण अभियान तेज करने का निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद लक्ष्य के आधे पशुओं का भी टीकाकरण नहीं किया जा सका. कृषि रोड मैप में तय लक्ष्य के अनुसार 2012-13 से ही प्रति वर्ष 3.40 करोड़ पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया था. इसके बावजूद पिछले साल तक कभी भी लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका.
विभागीय अधिकारी ने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015-16 में अब तक 1.20 करोड़ पशुओं का ही टीकाकरण किया जा सका. इसमें सिर्फ दुधारू पशु ही शामिल हैं, जबकि सभी पशुओं में टीकाकरण का निर्णय लिया गया था. खासकर पशुओं में होने वाली बीमारी मुंहपका-खुरहा से बचाव के लिए राज्य सरकार ने टीकाकरण अभियान शुरू करने का निर्देश दिया था. इस बीमारी से पशुओं में दूध उत्पादन में कमी आती है. यहां तक की पशुओं की मौत तक हो जाती है.
वर्ष में 2012 की जनगणना के अनुसार राज्य में 329.39 लाख पशु हैं. इसके 54 प्रतिशत दुधारू है इसमें गायों की संख्या 122.32 लाख, भैंसों की संख्या 75.67 लाख, और गरीबों की गाय के नाम से जानी जाने वाली बकरियों की संख्या 111.49 लाख है. वहं मुर्गियों और बत्तखों की संख्या 127.48 लाख हैं.
पशु पालन विभाग के निदेशक राधेश्याम साह ने बताया कि अब तक 2015-16 में लगभग एक करोड़ 22 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा सका है. उन्होंने स्वीकार किया कि अब तक सिर्फ दुधारू पशुओं का ही टीकाकरण हुआ है. जल्द ही अन्य पशुओं के टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा कर लिया जायेगा.
श्री साह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजना के तहत टीकाकरण किया जाता है. इस साल केंद्र ने अचानक केंद्र राज्य अनुपात में 50:50 के बजाय 60:50 कर दिया. इसके कारण टीके की खरीद के लिए नये सिरे से अनुमति लेना पड़ा है. इन्ही वजहों के कारण पशुओं में टीकाकरण में देरी हुई है.
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