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मां की फरियाद, कोई लौटा दो मेरे लाल को…

यह है पुलिस की अब तक की कार्रवाई विजय सिंह vijay12november@gmail.com पटना : दिन मंगलवार, तारीख 16 फरवरी, 2016. रीना देवी घर का काम निबटा रही है. घरेलू कार्य में ऐसी उलझी की कब दोपहर हुई पता नहीं चला. अब दिन के एक बज गये हैं. पता ही नहीं चला. जब फुर्सत मिली, तो अपने […]

यह है पुलिस की अब तक की कार्रवाई
विजय सिंह
vijay12november@gmail.com
पटना : दिन मंगलवार, तारीख 16 फरवरी, 2016. रीना देवी घर का काम निबटा रही है. घरेलू कार्य में ऐसी उलझी की कब दोपहर हुई पता नहीं चला. अब दिन के एक बज गये हैं. पता ही नहीं चला. जब फुर्सत मिली, तो अपने बेटे की याद आयी. वह आदित्य (5 साल) को खोजना शुरु की.
मकान के अंदर तो वह नहीं था. घर के सदस्यों से पूछा, तो पता चला कि घर के बाहर खेलने गया था. मां ने बाहर देखा, लेकिन बच्चा दूर-दूर तक नहीं दिखा. बेटा नहीं नजर आया, तो मां रीना देवी को थाेड़ी घबराहट हुई. वह अपनी गोतिनी विभा देवी के पास पहुंची.
उसको बताया कि आदित्य नहीं दिख रहा है, विभा बोली कि अभी तो यहीं था, मेरा बेटा साहिल (3) और तुम्हारा बेटा आदित्य दोनों एक साथ खेल रहे थे. हो सकता है कि दोनों बाहर गये हों, लेकिन जब रीना ने यह बताया कि वह बाहर भी खोज चुकी है और दोनों नहीं दिख रहे हैं तब विभा को भी झटका लगा.
अब दोनों महिलाएं अपने मासूम बच्चों को बेसब्री से खोजने लगीं. आसपास देखा, घर के आगे-पीछे देखा, इसके बाद फतुहा थाना क्षेत्र के मोजीपुर गांव में दोनों बच्चों की तलाश होने लगी. एक घंटे के अंदर पूरा गांव छान मारा, लेकिन दोनों नहीं मिले. दोनों महिलाएं हताश, परेशान होकर रोने लगीं.
रीना ने अपने पति मुन्ना साव और विभा ने अपने पति चुन्नू साव को जानकारी दी कि दोनों बउआ गायब हैं. टेंपो चालक मुन्ना के प्राण सूख गये, आखिर बच्चे कहां गायब हो सकते हैं. सबसे बड़ी बात थी कि मुन्ना और उसके भाई चुन्नू साव दोनों के बच्चे एक साथ गायब हो गये थे. तमाम आशंकाएं खड़ी होने लगीं.
गांव-घर के पूरे माहौल को अनहोनी के सवालों ने घेर लिया. कौन ले गया, क्यों ले गया, दाेनों भाई के बेटों को कौन उठा ले गया. क्या किसी महिला ने चुरा लिया, पता नहीं क्या करेगा. कैसे होंगे दोनों मासूम, किस हाल में होंगे. ऐसे तमाम सवाल घर-परिवार के जुबान पर एक साथ आग गये. आदित्य का छोटा भाई आर्यन (3 साल) और बहन (तीन माह) भी हैं.
घरवालों को रोता देख कर साहिल का बड़ा भाई सोनू (10), बहन निशा (8) भी रोने लगे. अजीब-सी स्थिति हो गयी. कुछ समझ में नहीं आ रहा है. यह साजिश है, संयोग है, दुर्घटना है, आखिर क्या है, कोई तो बताये इस परिवार को कि उनके बच्चे कैसे गायब हो गये.
दिन भर की खोज के बाद शाम हो गयी, पर कुछ पता नहीं चला. दोनाें परिवार फतुहा थाने पहुंचे. वाकया बताया और थाने में आवेदन दिया. पुलिस ने अपने अंदाज में अनुसंधान शुरू किया. पूछताछ की, घरवालों, किसी से दुश्मनी, किसी पर शक, जवाब न में मिला. फिर पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी और जांच शुरू की. परिवार वाले घर आये, लेकिन रात भर नींद नहीं आयी. किसी तरह से रात कटी. अगले दिन 17 फरवरी की सुबह से फिर वही खोजबीन.
अब रिश्तेदारों को घटना की जानकारी हो गयी है. घर पर फोन भी आ रहे हैं और रिश्तेदार खुद भी आ रहे हैं. बातें होे रहीं हैं, कहां खेल रहा था, कितनी देर पहले देखा, कब से नहीं देखा, बड़े बुजुर्ग फटकार लगा रहे हैं, बच्चों का ख्याल नहीं रहता, जब सड़क के किनारे घर है तो ऐसे छोड़ कर रहना चाहिए. अब पता नहीं क्या हो रहा होगा उन बच्चों के साथ. घर के कोने-कोने में तड़प और सिसकियां. कोई आंचल से मुंह छुपा रहा है, तो कोई गमछे से आंसू पोछ रहा है.
पूरा गांव स्तब्ध, सब सन्न हैं. महिलाएं घर पर आकर दुख जाहिर कर रही हैं और अफसोस भी कर रही हैं. कैसा सुंदर बच्चा है, दिन भर दोनों खेलते रहते हैं, पड़ोसियों से खूब लगाव है, इसलिए सब परेशान हैं. घर से दो बांस की दूरी पर क्षेत्र के विधायक रामानंद यादव का भी मकान है. उनके परिवार के लोग भी मुन्ना और चुन्नू साव से हाल-खबर ले चुके हैं. लेकिन, परिवार की समस्या हल नहीं हो रही है. आज का भी दिन बीत गया. कुछ पता नहीं चला.
17 फरवरी की रात है, सब सो रहे हैं, पर मुन्ना और उसकी पत्नी को नींद नहीं आ रही है. एक-एक पल भारी लग रहा है. रात का अंधेरा छाया है, मुन्ना आसमान की तरफ देख रहा है. जैसे हर जगह आदित्य का चेहरा दिख रहा हो, लेकिन जब उसे हाथ लगाने की कोशिश कर रहा है, तो भ्रम टूट जा रहा है.
ये उस मासूम के प्रति यादें हैं, प्यार है, तड़प है, जो सोने नहीं दे रहा है. पत्नी रीना देवी का इससे भी बुरा हाल है, कलेजा फट रहा है, लोगों की बातों से उसे तसल्ली नहीं मिल रही है. मन उचट रहा है. उस मासूम की उंगुली छूट गयी है, जो आंचल की छांव में था. आंखों में हैं, सांसों में है, घर के कोने-कोने में है पर साक्षात नहीं है, उसकी याद में मन व्याग्र हो रहा है.
चैन खो गया है. वह अचानक से बिस्तर से उठती है और जोर-जोर से रोने लगती है. यह करुण क्रंदन है उस मां की, जो पिछले पांच साल से अपने मासूम को अपने सीने से अलग नहीं हाेने दिया था. उसकी भूख, उसकी प्यास, उसकी तबीयत सब कुछ ख्याल रखती लेकिन उसकी गुमशुदगी ने बेहाल कर दिया है. रीना की रोने की आवाज सुनकर उसकी गोतिनी विभा भी रोने लगी, उसका बेटा तो तीन साल का ही है. जब उसके पति चुन्नू साव अपनी चाय-नाश्ते की दुकान पर चले जाते हैं, तो साहिल आखिर विभा के ही साथ तो रहता था, अब खालीपन उसे जीने नहीं दे रही है.
रह-रह कर उसे घर में आहट महसूस हो रही है, उसे ऐसा लग रहा है कि साहिल उसे पुकार रहा है, वह परेशानी में है, जान जाेखिम में है लेकिन मदद के लिए उसकी तरफ कोई हाथ नहीं बढ़ रहा है. इसी उधेड़-बुन में रात किसी तरह से कटी. 18 फरवरी की सुबह है. उजाला हो गया है. लेकिन मुन्ना और चुन्नू के परिवार के लिए कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है. उसके घर अनहोनी का स्यापा पसरा हुआ है. सब लाेग बैठे हुए हैं. मुन्ना के ही परिवार का लड़का है दशरथ. यह गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता है.
आज सुबह भी बच्चे आये हुए हैं, लेकिन दशरथ ने पढ़ाने से मना कर दिया. बच्चे कुछ देर के लिए रुके और फिर अपने घर जाने के लिए दशरथ के पास से निकले. इस बीच बच्चों ने ही देखा कि मुन्ना के घर के बगल में पनसोख बना हुआ है. पांच फुट का खुला गड्ढा है, जिसमें पानी गिरता है. बच्चों ने देखा कि गड्ढे में आदित्य और साहिल की लाशें हैं. सिर के बाल दिख रहे हैं, पीठ का हिस्सा भी हल्का दिख रहा है. इस पर बच्चे वापस आते हैं और दशरथ को बताते हैं.इसके बाद पूरा परिवार वहां पहुंच जाता है.
लाश मिलने की खबर ने पूरे परिवार में कोहराम मचा दिया घर के लोग लाशों को देख-देख कर फूट-फूट कर रोने लगे. आदित्य की मां रीना जमीन पर हाथ-पांव पटक रही है. गांव वालों की भीड़ दरवाजे पर है. वह बेटे की लाश पर माथा पटक कर रो रही है. चेहरा सहलाते ही और मौत का एहसास करके छाती पिटती है. महिलाएं समझा रही हैं, लेकिन मां की ममता माने को तैयार नहीं है कि उसका बेटा मर चुका है. रीना सबसे फरियाद करती है, कोई लौटा दे मेरे लाल को….विभा का भी बुरा हाल है. उसका बेटा साहिल भूले नहीं भूल रहा है.
दूसरी तरफ घरवालों को लगा कि किसी ने हत्या कर दी. गला दबा दिया और दोनों बच्चों को लाकर गड्ढे में फेंक दिया, लेकिन ऐसा कौन कर सकता है, किसी ऐसे चेहरे की शिनाख्त नहीं हो पा रही है.
गांव का महौल है, जितने लोग, उतने मुंह और उतनी बातें. एक आक्राेश का माहौल बना और ग्रामीणों ने पटना-फतुहा राजमार्ग तथा पटना-बख्तियारपुर फोर लेन को विक्रमपुर गांव के सामने जाम कर दिया. सुबह के छह बजे हैं. दाेनों मार्ग जाम हो गये हैं. गाड़ियों के चक्के थम गये हैं. पुलिस महकमे में हड़कंप मचा है. एक गांव, एक परिवार और दो बच्चों की मौत. वह भी विधायक का गांव.
फिलहाल फतुहा, बख्तियारपुर, दीदारगंज समेत अन्य थानों की पुलिस व पदाधिाकरी मौके पर पहुंच गये. घटना के खुलासा किये जाने की मांग हो रही है. आज लोग आंदोलित हैं, आखिर कैसे बच्चों की मौत हुई, यह पुलिस से जाना चाहते हैं, मामली की सही जांच, दोषियों पर कार्रवाई और मुआवजा की डिमांड होने लगी. पुलिस समझा-बुझा रही है, पर आक्रोश है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.
गांव वालों ने मांग की कि विधायक आयेंगे, तब वे सड़क खाली करेंगे. इसकी जानकारी विधायक काे मिली, तो वे पटना से सीधे फतुहा पहुंचे. वह जाम स्थल पर पहुंचे, परिवार के सदस्यों को समझाया और सही जांच तथा मुआवजा दिलाने की बात कही. इस पर जिला प्रशासन की तरफ से दोनों परिवार को 20-20 हजार रुपये सहयोग राशि दी गयी. चार घंटे बाद जाम समाप्त हुआ.
10 बजे से मार्ग चालू हो पाया. पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम कराया गया और 18 फरवरी की शाम को दोनों लाशें परिवार वालों को सौंप दी गयीं. जिस परिवार में दोनों जीते-जागते और दौड़ते थे, उस परिवार में उनकी खामोश पार्थिव शरीर थी. परिवार का रोना-धोना जारी रहा. इसके बाद दोनों को दफनाया गया.
पोस्टमार्टम के दो दिन बाद रिपोर्ट आयी. पुलिस के मुताबिक रिपोर्ट में दोनों बच्चों की मौत दम घुटने से बताया गया है. माना जा रहा है कि खेलते वक्त वह गड्ढे के पास गये और उसमें गिर गये. उसमें पानी था, इसलिए दोनों निकल नहीं पाये. पानी में दम घुट गया और उनकी मृत्यु हो गयी. दोनों का परिवार इस दुर्घटना के भुला नहीं पा रहा है. घर में उदासी का माहौल है, सही ढंग से चूल्हे नहीं जले हैं, उनकी यादें जो जहन में जिंदा हैं, वह इस परिवार की जिंदगी पर भारी पड़ रही हैं.
इनपुट : (फतुहा से श्याम सुंदर केशरी)
घरवालों का आरोप
घरवालों का कहना है कि 16 फरवरी को ही उस गड्ढे की सफाई हुई थी. सुबह के 10 बजे सफाई हुई थी, इसके बाद दोपहर एक बजे के करीब बच्चे गायब हुए. जब लाश निकला गयी, तो दोनाें के होंठ पर हल्का खून देखा गया और चेहरा पूरी तरह से लाल था. देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कुछ देर पहले से ही वह पानी में हैं न कि तीन दिन से. उनका चेहरा फ्रेश दिख रहा था. जब दोनों को बाहर निकाला गया, तो बच्चों को शौच होने लगा.
घरवालों को शक हुआ कि दोनों जिंदा हैं. लेकिन, जब डॉक्टर के पास ले गये तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस की जांच में इस घटना को हादसा माना जा रहा है, पर घरवाले यह दावा कर रहे हैं कि दोनों की हत्या की गयी है. 21 फरवरी की सुबह पूर्व मंत्री समाज कल्याण परवीन अमानउल्लाह मोजीपुर गयी थी. उन्होंने मुन्ना और चुन्नू साव के परिवार से मुलाकात की और फतुहा थाने भी गयी थी. उन्होंने कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
पुलिस की कार्रवाई
दोनों बच्चों के गायब होन के बाद 16 फरवरी को फतुहा थाने में गुमशुदगी का दर्ज हुआ केस.
18 फरवरी की सुबह दोनों की लाशें मिलीं, दोनों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.
यूडी केस दर्ज किया, हत्या के आरोप लगे, लेकिन जांच में कोई आधार नहीं मिला.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दम घुटने से दोनों बच्चों के मौत होने की बात सामने आयी है.
पुलिस की तरफ से माना जा रहा है कि बच्चों की मौत गड्ढे में गिरने के बाद दम घुटने से हुई है.

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