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ऑटोवाला लूट ले, तो ढूंढ़ते रह जाओगे

लापरवाही : शहर में 30 हजार में से बिना पुलिस कोड के चल रहे साढ़े 12 हजार टेंपो पटना : शहर में लगभग 30 हजार टेंपो हैं, लेकिन लगभग 17500 टेंपो के पास ही पुलिस कोड है. 21 जून, 2014 तक इन टेपों ने शहर के विभिन्न थानों में पुलिस कोड लिया था. इसके बाद […]

लापरवाही : शहर में 30 हजार में से बिना पुलिस कोड के चल रहे साढ़े 12 हजार टेंपो
पटना : शहर में लगभग 30 हजार टेंपो हैं, लेकिन लगभग 17500 टेंपो के पास ही पुलिस कोड है. 21 जून, 2014 तक इन टेपों ने शहर के विभिन्न थानों में पुलिस कोड लिया था. इसके बाद से एक टेंपो ने भी पुलिस कोड नहीं लिया है. पुलिस ने अपने अभियान में पुलिस कोड को भी शामिल किया था, जिसका नतीजा था कि इतने टेंपो चालकों ने थाने से कोड लिया.
पुलिस का अभियान खत्म, तो टेंपो की वही पुरानी स्थिति. खास बात यह है कि पुलिस भी इसे भूल गयी. दरअसल पुलिस उस वक्त पुलिस कोड को भी चेक करती थी, लेकिन अब वाहनों के कागजात तक ही वह सिमट कर रह गयी है. सूत्रों की मानें तो पुलिस कोड के कारण ही कई आपराधिक मामले सुलझाये गये, तो कई मामलों के अनुसंधान में काफी गति आयी. गौरतलब है कि पुलिस कोड लेने के समय ही चालक का पूरा बायोडाटा थाने में जमा कर लिया जाता है. पुलिस को सबसे बड़ी सफलता हाल ही में हुए सृष्टि हत्याकांड में मिली थी.
गोली चलने के बाद चालक घटनास्थल से फरार हो गया था, लेकिन जिस टेंपो में हत्या हुई थी, उस पर पुलिस कोड अंकित था. पुलिस ने उस कोड के माध्यम से तुरंत ही उसका मोबाइल नंबर प्राप्त कर लिया और फोन कर चालक को खोज निकाला. उसने घटना के संबंध में आंखों देखी पूरी कहानी पुलिस को बता दी. इसके कारण पुलिस को त्वरित अनुसंधान में काफी मदद मिली. एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि इस माह के अंत तक अभियान को शुरू किया जायेगा.
यहां ज्यादा लापरवाही : न्यू बाइपास, कच्ची दरगाह, फतुहा में चलने वाले टेंपो में पुलिस कोड नगण्य न्यू बाइपास, बड़ी पहाड़ी, कच्ची दरगाह, फतुहा इलाके में जाने वाले टेंपो में पुलिस कोड न के बराबर है.
ऑटो कोड से सुलझी हैं कई गुत्थियां
पश्चिम बंगाल के आसनसोल वर्ण की रहनेवाली एक युवती को टेंपोचालक विकास कुमार ने अकेले पाया और उसे पटना-मसौढ़ी रोड में ले गया और अपने साथियों के साथ दुष्कर्म किया. बेहोश हो गयी युवती को मृत समझ कर उसे खेत में छोड़ कर आरोपित फरार हो गये. होश में आने पर युवती किसी तरह अगमकुआं थाने पहुंची और फिर वहां से कोतवाली थाना पहुंची. फिर विकास पकड़ा गया.
शाहजहांपुर इलाके में छोटी केवई गांव में गुड्डू यादव ने अपने टेंपो में युवती को बैठाया और उसे उसके ननिहाल छोड़ने के लिए निकला. लेकिन बीच रास्ते में ही उसने अपने दोस्तों को बुला लिया और फिर सभी ने मिल कर युवती के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया. इसके बाद उसे छोड़ कर फरार हो गये.
टेंपोचालक शशिभूषण शर्मा ने भागलपुर की एक विवाहिता को राजीव नगर छोड़ने के लिए अपने साथ लेकर निकला. लेकिन, वह उसे बहला-फुसला कर अपने आवास पर ले गया और वहां उसने अपने साथी कार मेकैनिक सत्येंद्र मिश्रा के साथ मिल कर दस दिनों तक बंधक बना कर गैंग रेप करता रहा. महिला किसी तरह से वहां से भाग कर राजीव नगर थाना पहुंची और मामले का खुलासा हुआ.
क्या होता है पुलिस कोड
हर टेंपोचालक को पुलिस कोड लेना आवश्यक है. इसके तहत चालक को थाने में जाकर अपनी गाड़ी के कागजात के साथ ही अपने आवासीय पते की छायाप्रति व मोबाइल नंबर अंकित कराना है. इसके बाद थाने की ओर से उसे कोड दिया जाता है, जिसे अपने टेंपो के आगे व पीछे बोल्ड अक्षरों में उसे अंकित कराना है.
निर्भया कांड के बाद शुरू हुई थी कोडिंग
वर्ष 2013 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड के समय भी पटना में एसएसपी के पद पर मनु महाराज ही थे. उन्होंने ही टेंपो में पुलिस कोडिंग की शुरुआत की थी. इसके साथ ही टेंपो कोड लेनेवालों चालकों की सूची को एसएसपी व सिटी एसपी कार्यालय को भी अवगत कराने की जिम्मेवारी थानाध्यक्षों को दी गयी थी. यह अभियान कुछ दिन चला और फिर बंद हो गया. अब एक बार फिर मनु महाराज के आने के बाद इसे शुरू करने की कवायद तेज हो गयी है.

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