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उर्दू के लिए सब सोचें : गफूर
पटना : उर्दू की तरक्की के लिए सबको सोचना होगा. उर्दू प्राथमिक शिक्षा में शामिल हो. घर-मोहल्लों के स्कूलों में भी उर्दू की तालीम मिले, इसकी कोशिश हो. उक्त बातें शुक्रवार को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर ने कहीं. वे बिहार उर्दू अकादमी के ‘विश्व उर्दू सम्मेलन’ में उद्घाटन भाषण दे रहे थे. उन्होंने कहा […]
पटना : उर्दू की तरक्की के लिए सबको सोचना होगा. उर्दू प्राथमिक शिक्षा में शामिल हो. घर-मोहल्लों के स्कूलों में भी उर्दू की तालीम मिले, इसकी कोशिश हो. उक्त बातें शुक्रवार को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर ने कहीं. वे बिहार उर्दू अकादमी के ‘विश्व उर्दू सम्मेलन’ में उद्घाटन भाषण दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि बिहार में उर्दू को दूसरी सरकारी जुबान का दर्जा मिला है. प्राय: सभी विभागों में उर्दू के कर्मचारी बहाल हो रहे हैं. सरकारी स्कूलों में उर्दू के टीचरों की बहाली हो रही हैं. 40 वर्ष पूर्व बिहार में उर्दू किस हाल में थी, उसे याद करें. बिहार में उर्दू को टोलों तक पहुंचाने में गुलाम सरवर ने बड़ा काम किया था. उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि उर्दू से आज हम दूर होते जा रहे हैं. हमने इसकी फिक्र न की, तो इसकी पहचान मिट जायेगी. उर्दू में किताबें तो छप रही, किंतु उसकी कीमतें सातवें आसमान पर हैं.
उन्होंने प्रकाशकों से उर्दू किताबों की कीमतें कम करने की अपील की.
शुरू करनी होगी उर्दू पढ़ने-पढ़ाने की परंपरा : सम्मेलन में दिल्ली विश्वविद्यालय केप्रोफेसर इत्तजा करीम ने कहा कि उर्दू में ग्रुपिज्म खत्म हो. बिहार ही नहीं, सभी राज्यों में गैर उर्दू दां को उर्दू पढ़ने-पढ़ाने की परंपरा शुरू करनी होगी.
सम्मेलन में तुर्की-ईरान के डाॅ वफा यजदान मनीष, मॉरिशस की नाजिया बेगम जाफो, बिहार उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष सुल्तान अख्तर और मौलाना मजहरुल हक, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एजाज अली अरशद ने भी उर्दू को लेकर अपने-अपने विचार रखे.
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