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शाह के सिपहसालार को लेकर गरमायी राजनीति

पटना: भाजपा के दुबारा शाह (अध्यक्ष) बने अमित शाह के सिपहसालार कौन-कौन होंगे, इसके लेकर पार्टी की अंदरुनी राजनीति गरमायी हुई है. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. शाह की टीम में बिहार के कौन-कौन हो सकते हैं, इसके लेकर पार्टी में कयासबाजी शुरू हो गयी है. टीम अमित में नंदकिशोर यादव का रहना तय […]

पटना: भाजपा के दुबारा शाह (अध्यक्ष) बने अमित शाह के सिपहसालार कौन-कौन होंगे, इसके लेकर पार्टी की अंदरुनी राजनीति गरमायी हुई है. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. शाह की टीम में बिहार के कौन-कौन हो सकते हैं, इसके लेकर पार्टी में कयासबाजी शुरू हो गयी है. टीम अमित में नंदकिशोर यादव का रहना तय माना जा रहा है.

उम्मीद है कि पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद भाजपाध्यक्ष अपनी नयी टीम बनायेंगे. अमित शाह की मौजूदा टीम में बिहार के तीन लोग पदाधिकारी हैं, जिसमें रेणु देवी (उपाध्यक्ष), रजनीश कुमार (सचिव) और प्रवक्ता को तौर पर सैयद शाहनवाज शामिल हैं. फरवरी में भाजपा की राष्ट्रीय परिषद संभावित है. इसी बैठक में शाह को अध्यक्ष को तौर पर अनुमोदित किया जायेगा. पिछले दिनों जब प्रेम कुमार को नंदकिशोर यादव की जगह विरोधी दल का नेता बनाया गया तो उस समय कहा गया था कि उन्हें राष्ट्रीय संगठन में शामिल किया जायेगा. इस लिहाज से शाह की नयी टीम में उनका रहना तय माना जा रहा है. चर्चा है कि वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या महामंत्री बनाये जा सकते हैं.

यूपी चुनाव शाह के नेतृत्व में : 2017 में होनेवाले यूपी चुनाव की पूरी छाया शाह की नयी टीम में रहेगी. बिहार सहित कई राज्यों के प्रभारी के भी बदलने की चर्चा है. पूर्व विधायक प्रेमरंजन पटेल के सचिव बनाये जाने की चर्चा है. अगर अश्विनी चौबे के केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलती है, तो उन्हें भी शाह की टीम में जगह मिल सकती है.

इधर प्रदेश अध्यक्ष को भी लेकर चर्चा का बाजार गर्म है. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय को दूसरी पारी मिलेगी कि नहीं इसको लेकर जमकर कयासबाजी पार्टी के अंदर और बाहर चल रही है. पार्टी का सबसे मजबूत खेमा उन्हें दूसरी पारी देने का पक्षधर है. अगर पांडेय हटते हैं तो उन्हें भी राष्ट्रीय संगठन में जगह मिल सकती है. प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिन नामों की चर्चा है, उन्में गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे , सुधीर शर्मा, विनोद नारायण झा आदि प्रमुख हैं.

हाल के दिनों में गोपालगंज से पार्टी के सांसद जनक चमार के नाम की भी चर्चा शुरू हुई है. गोपालगंज यूपी का सीमावर्ती इलाका है. गोपालगंज के सांसद के स्वजातीय मतदाता यूपी में बड़ी संख्या में हैं. यहां बसपा का प्रभाव है. जनक चमार बसपा से भाजपा में आये हैं . उनकी राजनीतिक पृष्ठभूिम भाजपा की नहीं है, उनके राजनीतिक विरोधी इस पक्ष को हवा दे रहे हैं. बहरहाल शाह के सिपहलसार और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भाजपा की राजनीति में उबाल आना शुरू हो गया है.

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