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पटना के आरके सिन्हा को पद्म श्री, अंबानी को पद्म विभूषण

112 को मिलेगा पद्म पुरस्कार नयी दिल्ली/पटना : पटना विश्वविद्यालय में प्राणिशास्त्र विभाग के प्रोफेसर आरके सिन्हा को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. वह डॉल्फिनमैन के नाम से मशहूर हैं. उन्होंने गंगा नदी और डॉल्फिन के संरक्षण पर काफी काम किया है. सोमवार को पद्म पुरस्कारों के लिए कुल 112 लोगों के […]

112 को मिलेगा पद्म पुरस्कार
नयी दिल्ली/पटना : पटना विश्वविद्यालय में प्राणिशास्त्र विभाग के प्रोफेसर आरके सिन्हा को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. वह डॉल्फिनमैन के नाम से मशहूर हैं. उन्होंने गंगा नदी और डॉल्फिन के संरक्षण पर काफी काम किया है. सोमवार को पद्म पुरस्कारों के लिए कुल 112 लोगों के नामों का एलान किया गया. इनमें 10 को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 83 पद्मश्री दिया जायेगा.
इनमें 19 महिलाएं और 10 विदेशी, पीआइओ व एनआरआइ शामिल हैं. सुपरस्टार रजनीकांत, रिलायंस समूह के संस्थापक दिवंगत धीरूभाई अंबानी, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और मीडिया कारोबारी रामोजी राव को देश केदूसरे सबसे ऊंचे नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है.
जबकि भरतनाट्यम एवं कुचिपुड़ी नृत्यांगना यामिनी कृष्णमूर्ति, शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी और भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री अविनाश दीक्षित को पद्म विभूषण सम्मान के लिए चुना गया है.
वहीं, अभिनेता अनुपम खेर, गायक उदित नारायण, पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय, मीडिया घराने बेनेट कोलमैन एंड कंपनी की अध्यक्ष इंदु जैन, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, बैंडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को पद्म भूषण के लिए चुना गया है. वहीं, दिवंगत अभिनेता सईद जाफरी, तीरंदाज दीपिका कुमारी, गुजराती लोक संगीतज्ञ भीखूदन गढ़वी, वैज्ञानिक ओंकार नाथ श्रीवास्तव को पद्मश्री के लिए चुना गया है.
मेरे काम को पहचान मिली : प्रो सिन्हा
प्रभात खबर से बातचीत में प्रो सिन्हा ने कहा कि पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर काफी खुश हूं. लग रहा है कि मेरे काम को पहचान मिली. इससे पहले बिहार सरकार ने मेरे काम को पहचाना था. प्रो सिन्हा ने कहा कि अब मेरी जिम्मेवारी भी बढ़ गयी है. गंगा व डॉल्फिन का संरक्षण मेरा पैशन रहा है.
वर्ष 1980 से ही लगातार इस काम में लगा हूं. पीएचडी भी गंगा नदी की जैव विविधता व प्रदूषण पर ही की है. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन संरक्षण में बेहतर काम हो, इसके लिए डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की योजना थी. प्लानिंग कमिशन ने भी इसको अप्रूव कर दिया था. पटना विवि परिसर में इसे बनाया जाना है, लेकिन विवि प्रशासन द्वारा जमीन नहीं दिये जाने के चलते काम अटका पड़ा हुअा है.
उम्मीद है कि जल्द ही इस जमीन की समस्या को दूर कर डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन की सुरक्षा नदियों के लिए भी बहुत जरूरी है. यह प्रकृति के पारिस्थितकी तंत्र को बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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