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खामोशी से रंगदारी वसूलता रहा दुर्गेश, बेखबर रही पुलिस

खामोशी से रंगदारी वसूलता रहा दुर्गेश, बेखबर रही पुलिस फ्लैग- संताेष के खून से हाथ लाल करने के बाद भी दुर्गेश पर नकेल नहीं कस पायी पुलिसप्रभात फॉलोअप——-फोटो- संतोष की फाइल फोटो है. – पाटलिपुत्रा, बुद्धा कॉलोनी और एसकेपुरी इलाकों में दुर्गेश के खौफ को संतोष ने कर दिया था कम- रंगदारी देनेवाले व्यापारियों के […]

खामोशी से रंगदारी वसूलता रहा दुर्गेश, बेखबर रही पुलिस फ्लैग- संताेष के खून से हाथ लाल करने के बाद भी दुर्गेश पर नकेल नहीं कस पायी पुलिसप्रभात फॉलोअप——-फोटो- संतोष की फाइल फोटो है. – पाटलिपुत्रा, बुद्धा कॉलोनी और एसकेपुरी इलाकों में दुर्गेश के खौफ को संतोष ने कर दिया था कम- रंगदारी देनेवाले व्यापारियों के लिए ढाल बना था संतोष, हत्या के बाद दुर्गेश गैंग का खुल गया रास्ता – पुलिस बूथ से चंद कदम दूरी पर दिनदहाड़े बरसायी गयी थीं गोलियां, इस केस में भी नहीं पकड़ा गया दुर्गेश संवाददाता, पटना दुर्गेश शर्मा की रंगदारी संतोष सिंह ने अपने इलाके में रोक दी थी. वह व्यवसायियों के लिए ढाल बन गया था. इससे रंगदारी की कमाई दुर्गेश के पास नहीं जा पा रही थी. ऐसे में दुर्गेश ने संतोष को टारगेट किया. वह इस फिराक में था कि संताेष की लंका फूंकने के लिए कोई विभीषण जैसा सहयाेगी मिले. हुआ भी यही. संतोष का मैनपुरा में पैतृक संपति को लेकर विवाद चल रहा था. संतोष के जिंदा रहते उसके विराेधी उससे पार नहीं पा रहे थे. बस यहीं से दो विरोधी गुट इकट्ठे हुए और रची गयी संतोष सिंह की हत्या की साजिश. मैनपुरा के कुछ लोगों से सांठ-गांठ करके लाइनर ढूंढ़ा गया. लगातार वाच करने के बाद 12 फरवरी, 2015 की सुबह सरेराह राजापुर पुल पर संतोष को गोलियों से छलनी कर दिया गया. पुलिस इस केस में भी सहयोगी अपराधियों को गिरफ्तार किया, लेकिन दुर्गेश शर्मा हत्थे नहीं चढ़ा. दरअसल इस हत्या के बाद से पटना के छह थाना क्षेत्रों में दुर्गेश शर्मा का खौफ बढ़ गया. संतोष के रहते जिन लोगों ने रंगदारी देने से पीछा छुड़ा लिया था. वह फिर से दुर्गेश के क्रूर हो चुके चेहरे से खौफ खाने लगे. मैनपुरा के छोटे अपराधी भी उसके गैंग से जुड़ गये और दुर्गेश का फरमान लेकर रंगदारी वसूलने लगे. एक बार फिर रंगदारी से पीछा छुड़ाने की कोशिश की गयी. राजापुर के स्वर्ण व्यवसायी रविकांत ने रंगदारी नहीं देने की बात कही, लेकिन यहां वह चूक कर गये. अगर वह इसकी शिकायत पुलिस से की होती तो दुर्गेश के गुर्गे पहले ही दबोच लिये गये होते. दूसरी लापरवाही पुलिस की रही. राजापुर पुल इलाके में दिनपदहाड़े हुए संतोष हत्याकांड के बाद भी पुलिस ने न तो दुर्गेश शर्मा को गिरफ्तार कर सकी और न ही उसके नेटवर्क को भेद पायी. उसकी रंगदारी चलती रही और पुलिस बेखबर बनी रही. अंदरखाने चल रहे इस खेल में वर्दी का डर कम होता गया और अपराधियों को हौसला बढ़ता गया. आखिरकार एक बार फिर से संतोष के खून से हाथ धोने वाले अपराधी रविकांत की जान के दुश्मन बन गये. दुर्गेश पर छह थानों में दर्ज हैं कुल 30 मामले दुर्गेश पर पटना के छह थानों में 30 केस दर्ज हैं. इनमें पाटलिपुत्रा, कोतवाली, एसकेपुरी, राजीव नगर, बुद्धा कॉलोनी और दीघा थाना शामिल हैं. वह वर्ष 2000 से अपराध जगत में सक्रिय है. पटना में हुए डॉक्टर भरत सिंह अपहरण कांड से वह और उसका गैंग सुर्खियाें में आ गया था. इसमें सुल्तान मियां, मुनचुन, उसके भाई चांदीलाल, भूषण, छोटा संतोष आदि शामिल थे. इसके बाद से वह फरार था. 2010 में पटना पुलिस उसे दिल्ली से पकड़ कर लायी थी, लेकिन जेल में रहने के दौरान हाइकोर्ट में जमानत के लिए उसने अावेदन दिया था और फर्जी कागजात के आधार पर वह जमानत लेने में सफल हो गया. तभी से वही फरार है. 2015 में जब उसे लगा कि उसका कोई रास्ता रोक रहा है, तो वह खुद पटना आया और संतोष की हत्या के बाद फरार हो गया. तब से पुलिस को उसकी तलाश है. अब पटना पुलिस की टीम उसके ठिकानों पर दबिश दे रही है. टीम को बिहार के बाहर भी रवाना किया गया है. सवालों के घेरे में पुलिस – पुलिस ने संतोष की हत्या के बाद दुर्गेश की गिरफ्तारी के लिए ठोस प्लानिंग क्यों नहीं की – उसके गैंग के लिए पटना में कौन-कौन अपराधी काम कर रहे हैं, इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया – रंगदारी कैसे वसूली जा रही है, कौन जाता है वसूलने, यह पुलिस को क्यों नहीं पता चला – राजापुर इलाके में तीन थाना क्षेत्रों की सीमा होने के कारण क्या पुलिस ने जमीनी स्तर पर काम नहीं किया

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