छह साल पहले ट्रेन में भटकी रोज मेरी को मिले पिताप्रयास भारती संस्था ने कराया पिता-पुत्री का मिलन संवाददाता, पटना19 साल की रोज मेरी के जीवन में आखिरकार वो लम्हा आ ही गया, जिसका उसे वर्षों से इंतजार था. छह साल पहले ट्रेन में पिता से बिछड़ कर अनाथ हुई इस बच्ची के जीवन में फिर से खुशियां लौट आयी हैं. प्रयास भारती संस्था ने आखिरकार उसकेे पिता जवाहर सिंह को ढूंढ निकाला और शुक्रवार को पिता-पुत्री का मिलन भी करा दिया.पुलिस को जंकशन में मिली थी रोजमेरीप्रयास भारती की अधीक्षक सीमा ने बताया कि वर्ष 2010 में रोज मेरी को जीआरपी पुलिस संस्था में लेकर आयी थी. उसे बस इतना याद था कि वह गोपालगंज की है और वह पिता के साथ पटना से गाेपालगंज जा रही थी. इसके बाद उसके माता-पिता की तलाश की गयी. लेकिन, गोपालगंज में उसके बताये डिटेल पर किसी तरह की सूचना नहीं मिली. वास्तव में इस घटना के बाद जवाहर सिंह गोपालगंज छोड़ कर दिल्ली चले गये थे और उनका दिल्ली का पता किसी को मालूम नहीं था. हालांकि, प्रयास भारती संस्था और पुलिस नियमित तौर पर जवाहर के बारे में पता लगाने वहां आती रही. छह साल बाद जवाहर गोपालगंज लौटे तो उन्हें अपनी बेटी के बारे में पता चला. फिर, उन्होंने पुलिस से संपर्क किया. जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि जवाहर ही रोज मेरी के पिता हैं. मां का पहले ही हो चुका है निधनजवाहर ने बताया कि रोजमेरी उनकी पहली पत्नी की संतान है. उसके जन्म के कुछ दिनों बाद ही पत्नी का निधन हो गया. फिर उन्होंने बच्ची को कोलकाता के मिशनरी में छोड़ दिया था. बाद में उसे वहां से पटना स्थित पादरी की हवेली में भेज दिया. इसके कुछ दिन बाद जवाहर ने दूसरी शादी कर ली और रोजमेरी को घर ले जाने का फैसला किया. इसी क्रम में वह ट्रेन में छुट गयी और बहुत ढूंढने के बाद भी नहीं मिली. जवाहर ने कहा कि रोज मेरी के मिल जाने से वह बहुत खुश हैं. कोटबच्ची ने ओपन विद्यालय से दसवीं की परीक्षा दी है. कंप्यूटर व कराटे आदि की ट्रेनिंग ले चुकी है. उसकी आगे की पढ़ाई जारी रखी जाये, इसके लिए पैरेंटस से बात की गयी है. साथ ही संस्था की ओर से उसकी दो साल तक मॉनेटरिंग की जायेगी. सुमन लाल, निदेशक, प्रयास भारती ट्रस्ट\\\\B
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छह साल पहले ट्रेन में भटकी रोज मेरी को मिले पिता
छह साल पहले ट्रेन में भटकी रोज मेरी को मिले पिताप्रयास भारती संस्था ने कराया पिता-पुत्री का मिलन संवाददाता, पटना19 साल की रोज मेरी के जीवन में आखिरकार वो लम्हा आ ही गया, जिसका उसे वर्षों से इंतजार था. छह साल पहले ट्रेन में पिता से बिछड़ कर अनाथ हुई इस बच्ची के जीवन में […]
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