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जरूरी सामान लेकर आते हैं छात्र, तब होता है प्रैक्टिकल

जरूरी सामान लेकर आते हैं छात्र, तब होता है प्रैक्टिकल – पीयू की प्रयोगशालाओं की हालत खस्ता – सुविधाओं व रख-रखाव की कमी, छात्रों को होती है परेशानी – वर्षों से नहीं खरीदे गये नये अपरेटस – केमिकल व अन्य जरूरी चीजों के लिए फंड नहीं अमित कुमार. पटना पटना विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं की हालत […]

जरूरी सामान लेकर आते हैं छात्र, तब होता है प्रैक्टिकल – पीयू की प्रयोगशालाओं की हालत खस्ता – सुविधाओं व रख-रखाव की कमी, छात्रों को होती है परेशानी – वर्षों से नहीं खरीदे गये नये अपरेटस – केमिकल व अन्य जरूरी चीजों के लिए फंड नहीं अमित कुमार. पटना पटना विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं की हालत खस्ता है. प्रयोगशालाओं में सुविधाओं व रख-रखाव की कमी है. पुराने आउटडेटेड उपकरणों से किसी तरह काम चल रहा है. वर्षों से नये उपकरण नहीं खरीदे गये हैं. फंड के अभाव में केमिकल और अन्य जरूरी चीजों के लिए भी कॉलेजों को सोचना पड़ता है. इसलिए छात्रों को रोज इन परेशानियों से रू-ब-रू होना पड़ता है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है. स्थिति इतनी खराब है कि कुछ लैब में तो छात्र खुद प्रैक्टिकल के लिए जरूरी सामान लेकर आते हैं, तब जाकर उनका प्रैक्टिकल हो पाता है. विश्वविद्यालय का पीजी लैब हो या फिर कॉलेजों का साइंस लैब, कमोवेश सबकी स्थिति यही है. विवि में न लैब टेक्नीशियन हैं न ही असिस्टेंट और न ही स्ट्रूमेंट कीपर ही हैं. अन्य कर्मचारियों की भी कमी है. लंबे समय से इन पदों पर बहाली नहीं हुई है. इस कारण रख-रखाव ठीक से नहीं हो पाता है. कीमती उपकरण जंग खा रहे हैं. साइंस कॉलेज के बॉटनी विभाग में पहले ग्रीन हाउस हुआ करता था, लेकिन अब उसका नाम ही शेष रह गया है. जंतु विभाग में एनिमल हाउस हुआ करता था, जिस पर कुछ कर्मचारियों ने कब्जा कर लिया था. उस जगह को खाली कराया गया है. बीएन कॉलेज में भी लैब की स्थिति अच्छी नहीं है. विभाग, कॉलेज प्रशासन व छात्रों की रुचि की वजह से कुछ लैब की स्थिति थोड़ी ठीक है. कोट वर्तमान हालात के मुताबिक हमारे लैब ठीक-ठाक हैं. लेकिन, इसे बेहतर नहीं कहा जा सकता. लैब में केमिकल पर काफी पैसे खर्च होते हैं, लेकिन सरकार से फंड नहीं मिलता. बहुत जरूरी होने पर हम अपरेटस भी खरीदते हैं. सरकार को इसे बेहतर और अपडेट करने पर विचार करना चाहिए. – डाॅ राजकिशोर प्रसाद, प्राचार्य, बीएन कॉलेज :::::::::::::पटना कॉलेज के साइकोलाॅजी लैब के लिए 25 वर्षों से कोई उपकरण नहीं खरीदे गये हैं. सारे उपकरण आउटडेटेड और खराब हो चुके हैं. लैब के लिए 43 लाख का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. पहले लैब की देखरेख और रख-रखाव सरकार द्वारा दिये गये स्टैच्यूटरी ग्रांट से काम चलता था, लेकिन अब वह भी नहीं मिलता है. जो सामान उपलब्ध हैं उसमें सारे प्रैक्टिकल नहीं हो पाते. पीजी के लैब का भी यही हाल है. पीयू के मनोवैज्ञानिक संस्थान के लैब की स्थिति तो और भी खराब है. – प्रो इफ्तेखार हुसैन, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष, पटना कॉलेज

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