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सरकार से मिली राशि, सर्फि निगम एकाउंट का बढ़ा रही शोभा

सरकार से मिली राशि, सिर्फ निगम एकाउंट का बढ़ा रही शोभा- नगर आवास विकास विभाग निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली से खफा- प्रधान सचिव ने नगर आयुक्त से सात दिनों में मांगा प्रतिवेदन संवाददाता, पटना नगर निगम में स्थायी समिति और बोर्ड की बैठक होती है और जनहित की योजना को स्वीकृति भी दी जाती है. […]

सरकार से मिली राशि, सिर्फ निगम एकाउंट का बढ़ा रही शोभा- नगर आवास विकास विभाग निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली से खफा- प्रधान सचिव ने नगर आयुक्त से सात दिनों में मांगा प्रतिवेदन संवाददाता, पटना नगर निगम में स्थायी समिति और बोर्ड की बैठक होती है और जनहित की योजना को स्वीकृति भी दी जाती है. लेकिन, स्थायी समिति व बोर्ड से स्वीकृत योजना प्रोसेडिंग और फाइलों में ही दब कर रह जाती है. ऐसा नहीं है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए राशि की कमी है. निगम एकाउंट में करोड़ों रुपये वित्तीय वर्ष 2014-15 का पड़ा हुआ है, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर एक यूरिनल निर्माण कराया नहीं जा सका. नगर आवास विकास विभाग में पिछले माह समीक्षा की गयी, तो खुलासा हुआ कि निगम में वर्षों से करोड़ों रुपये रखे हैं, जिसे खर्च नहीं किया गया है. निगम प्रशासन जो राशि खर्च किया, उसका उपयोगिता प्रामाण पत्र भी विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है. इससे खफा होकर प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने नगर आयुक्त से सात दिनों में प्रतिवेदन की मांग की है. 23 से 29 प्रतिशत ही राशि किया खर्च नगर निगम को चतुर्थ राज्य वित्त आयोग के तहत एक अप्रैल 15 को निगम में 8039.31 लाख रुपये उपलब्ध थी, जिसमें पूरे वर्ष में 2384.10 लाख रुपये खर्च किये गये. 14वें वित्त आयोग से 3776.19 लाख रूपये दिये गये, जिसमें 929.95 लाख रुपये ही खर्च किये गये. राज्य योजना के पिछले वत्तीय वर्ष के 7267.06 लाख रुपये होने के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में 3180.31 लाख रुपये दिये गये, लेकिन इसमें 2466.31 लाख रुपये खर्च किये गये. निगम प्रशासन द्वारा 23 से 29 प्रतिशत राशि ही खर्च किया गया है, जो काफी निराशाजनक स्थिति है. हालांकि, 13वें वित्त आयोग के तहत 1248.14 लाख रूपये दिये गये, जिसका 75.75 प्रतिशत खर्च किया गया है. राशि खर्च करने में हर स्तर पर विफल नगर निगम को समय-समय पर विभिन्न मद में विभाग द्वारा राशि उपलब्ध करायी जाती है, लेकिन निगम प्रशासन इन राशि को खर्च करने में हर स्तर पर विफल है. ठोस कचरा प्रबंधन योजना हो या फिर मुख्यमंत्री स्वच्छता अनुदान की राशि खर्च करने का मामला, प्रगति शून्य रहा है. आलम यह है कि निगम प्रशासन खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी विभाग को उपलब्ध नहीं कराया है. मेयर करें उचित कार्रवाई प्रधान सचिव ने नगर निगम को भेज गयी समीक्षा रिपोर्ट में नगर आयुक्त को सख्त निर्देश दिया है कि सात दिनों के भीतर अंकेक्षण रिपोर्ट में उठाये सवाल का प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध करायें. साथ ही अगले 15 दिनों में लंबित कार्यों का प्रतिवेदन उपलब्ध करायें. प्रधान सचिव ने मेयर से भी कहा है कि राशि होने के बावजूद खर्च नहीं किये जा रहे हैं. इसको लेकर अपने स्तर से उचित कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. इन बिंदुओं पर की है समीक्षा चतुर्थ राज्य वित्त आयोग, 13वें वित्त आयोग, 14वें वित्त आयोग, राज्य आयोग, ठोस कचरा प्रबंधन, मुख्यमंत्री स्वच्छता अनुदान, उपयोगिता प्रमाण पत्र, नजर सेवा प्रबंधन, होल्डिंग टैक्स वसूली, स्वच्छ भारत मिशन, सब के लिए आवास योजना, पीएल खाता, लंबित अंकेक्षण रिपोर्ट पर जवाब आदि शामिल हैं.

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