बदल रहे प्यार के मायनेकालिदास रंगालय में नाटक का मंचनलाइफ रिपोर्टर पटनामैं नहीं जानता कि जिसे हम प्यार कहते हैं वो असल में होता क्या है? प्यार की कई किस्में, तो कई दर्जे होते हैं. प्यार हमेशा-हमेशा के लिए नहीं होता. आज के दौर में मनुष्य उलझता जा रहा है. लोग प्यार के लिए समझौता करते हैं या समझौता के लिए प्यार? यह प्रश्न आज भी लोगों के सामने है. बदलते जमाने में प्यार के मायने समझाती कई बातें सुनने को मिली कालिदास रंगालय के मंच पर. यहां शनिवार को रंगमाटी ने कृष्ण बलदेव वैद द्वारा लिखित नाटक ‘कहते हैं जिसको प्यार’ का मंचन किया. नाटक के सभी पात्रों ने अपने अभिनय ने दर्शकों को बांधे रखा और अपनी दमदार भूमिका दिखा कर भरपूर तालियां बटोरीं. कई डायलॉग्स ने लोगों को हंसने पर मजबूर कर दिया. इस नाटक का निर्देशन कुमार रविकांत ने किया. नाटक की कहानीइस नाटक में यह दिखाया गया है कि इनसान अपनी जिद और कैरियर के लोभ में संबंधों से समझौता करता नजर आ है. संबंधों में विश्वसनीयता की कमी आ गयी है. नाटक में मुख्य भूमिका में अखिल व गीता हैं. अखिल एक प्रोफेसर के गाइडेंस में शोध करता है, जिनकी दो बेटियां गीता और सुजाता हैं. गीता अखिल को चाहती है, जबकि अखिल का झुकाव सुजाता की ओर है. गीता की जिद है कि उसे अखिल को पाना है क्योंकि वह धीरू को अपनी जिंदगी से हार चुकी है. अखिल का अपने कैरियर व अंतर्मुखी स्वभाव की वजह से गीता से संबंध हो जाता है. सुमित अखिल को पत्र लिखता है कि तुम सुजाता से शादी कर लो और मैं गीता को अपना बना लेता हूं, लेकिन अखिल इसका विरोध करता है और सुमित से नाराज हो जाता है. समय के साथ संबंधों के इस उलझन में अखिल को यह एहसास होता है कि सुमित का प्रस्ताव सही था. वह सुमित और सुजाता को घर बुलाकर इस समस्या से छुटकारा पाना चाहता है. वह यह बताये, इससे पहले ही सुमित और सुजाता बताते हैं कि वे एक हफ्ते से साथ रह रहे हैं और खुश हैं, वे न तो प्यार होने का दावा करते हैं और न ही शादी के बंधन को स्वीकार करते हैं. मंच परगीता- अदिति सिंहसुजाता- प्रियंका प्रियदर्शिनी अखिल- कुमार रविकांतसुमित- सत्यजीत केशरीधीरू- आदिल रशीद
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बदल रहे प्यार के मायने
बदल रहे प्यार के मायनेकालिदास रंगालय में नाटक का मंचनलाइफ रिपोर्टर पटनामैं नहीं जानता कि जिसे हम प्यार कहते हैं वो असल में होता क्या है? प्यार की कई किस्में, तो कई दर्जे होते हैं. प्यार हमेशा-हमेशा के लिए नहीं होता. आज के दौर में मनुष्य उलझता जा रहा है. लोग प्यार के लिए समझौता […]
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