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कागजों पर हो रही स्वास्थ्य की देखभाल

पटना : राज्य में किशोरियों का विकास हो इसके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. इन्हीं में से एक है किशोरी स्वास्थ्य योजना. इसके अंतर्गत स्कूलों में पढ़ने वाली किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें मुफ्त में आयरन की गोली दी जानी है. पर, स्कूलों में इसकी हकीकत कुछ और ही हैं. उन्हें […]

पटना : राज्य में किशोरियों का विकास हो इसके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. इन्हीं में से एक है किशोरी स्वास्थ्य योजना. इसके अंतर्गत स्कूलों में पढ़ने वाली किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें मुफ्त में आयरन की गोली दी जानी है. पर, स्कूलों में इसकी हकीकत कुछ और ही हैं. उन्हें न तो आयरन की गोली दी जा रही है और न ही उन्हें कृमि (कीड़े मारने वाली) की दवाएं, जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रह सके.
पांच वर्षों से नहीं मिल रहा लाभ
राजधानी के एक भी स्कूल में न तो किशोरियों को आयरन की गोली दी जा रही है और न ही इस संबंध में कोई जानकारी. इससे ज्यादातर स्कूलों में लड़कियों को तो अब याद भी नहीं कि आयरन की गोली कब मिली थी. यहां तक कि स्कूलों में इसके लिए बने रजिस्टर का भी कोई पता नहीं है. स्कूलों से जब इसकी जानकारी ली गयी, तो बताया गया कि पिछले चार-पांच सालों से किसी तरह की दवा लड़कियों के लिए नहीं भेजी गयी है.
कमजोरी के कारण नहीं जा पाती हैं स्कूल
आज भी 59 फीसदी लड़कियां शारीरिक अस्वस्थता के कारण स्कूल नहीं जा पाती हैं. इसका असर उनके शिक्षा पर भी पड़ रहा है. यूनिसेफ के द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार मासिक धर्म के दौरान लड़कियां खुद को अस्वस्थ समझती हैं और स्कूल आने में समक्ष नहीं होतीं. वहीं, हेल्थ सर्वे 2013 के अनुसार बिहार की 90 फीसदी किशोरी एनीमिया से ग्रसित हैं.
बनाया गया नोडल पदाधिकारी
स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों को योजना का समुचित लाभ मिले इसके लिए किशोरी स्वास्थ्य योजना के लिए अगल से नोडल पदाधिकारी भी बनाया गया. इसके बावजूद इन योजनाअों का लाभ किशोरियों को नहीं मिल पा रहा है.
सैनिटरी नैपकीन के नाम पर खानापूर्ति
मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत किशाेरियों को सैनिटरी नैपकीन दिया जाना है. इसके अंतर्गत पटना जिला में स्कूलों में पढ़ने वाली किशोरियों की संख्या 165092 है. जबकि, योजना का लाभ 72 हजार 61 किशोरियों को ही मिल सका है.
बिना सूचना बंद है सुविधा
एक वर्ष से किसी भी स्कूल के लिए आयरन की गोली नहीं भेजी गयी है. न ही इस संबंध में कोई सूचना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयरन की गोली दी जानी है.
शगुफ्ता यासमिन, नोडल पदाधिकारी , किशोरी स्वास्थ्य योजना
हमारे यहां करीब 1500 छात्राएं पढ़ रही हैं. ज्यादातर लड़कियों में एनिमिया की शिकायत है. पहले स्कूल में लड़कियों को आयरन की गोली मुफ्त में दी जाती थी. पर, अब पिछले चार-पांच सालों से बंद है.
विजया कुमारी, प्राचार्य, बांकीपुर गर्ल्स हाइ स्कूलयोजना के तहत इसका लाभ लड़कियों को नहीं मिल पा रहा है. पूर्व में स्कूलों में दिया जाता था. इसके लिए सभी स्कूल में रजिस्टर भी मेंटेन किया जाना था. प्रत्येक लड़कियों का कार्ड भी बनाया गया था. पर, विभाग की लापरवाही के कारण स्कूल में दवाओं का वितरण नहीं किया जा रहा है.
डॉ अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी

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