वे रविवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स बिहार स्टेट ब्रांच की ओर से अायोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. कार्यशाला में बिहार व अन्य राज्यों के डॉक्टर भी शामिल हुए. कार्यशाला में निमोनिया व डायरिया पर विशेष चर्चा की गयी. मध्य प्रदेश से आये डॉ अजय गंभीर ने कहा कि बिहार में शिशु मृत्य दर काफी तेजी से बढ़ रही है.
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निमोनिया-डायरिया: बिहार में बढ़ रहा प्रकोप, 47 हजार बच्चों की हर वर्ष होती है मौत
पटना: बिहार में हर साल निमोनिया और डायरिया से 47 हजार बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि, पूरे देश में हर 40 सेकेंड में एक बच्चे की मौत निमोनिया और डायरिया से हो रही है. इसका मुख्य कारण बच्चों के माता-पिता में जागरूकता का अभाव है. ये बातें डॉ एनके अग्रवाल ने कहीं. वे […]
पटना: बिहार में हर साल निमोनिया और डायरिया से 47 हजार बच्चों की मौत हो जाती है. जबकि, पूरे देश में हर 40 सेकेंड में एक बच्चे की मौत निमोनिया और डायरिया से हो रही है. इसका मुख्य कारण बच्चों के माता-पिता में जागरूकता का अभाव है. ये बातें डॉ एनके अग्रवाल ने कहीं.
यह समस्या ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है. उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान के तहत बाथरूम के अलावा सेफ्टी टैंक बनाना भी जरूरी है. क्याेंकि, खुले में मल-मूत्र जाने की वजह से गंदगी और बच्चों में निमोनिया के लक्षण पाये जाते हैं. इंदौर से आये डॉ बीपी गोस्वामी ने जन्म से छह महीने तक बच्चों को मां के दूध पिलाने पर जोर दिया.
रोगों से बचने के उपाय
पानी को उबालकर पीएं
खुले में रखे खाद्य सामग्री का सेवन न करें
बासी खाना न खाएं, हमेशा ताजा भोजन करें
सर्दी-खांसी की शुरुआत में ही डॉक्टरों की सलाह लें
वायरल व डायरिया से बचने के लिए रोटा वायरस के टीके लगवाएं
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