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वोकेशनल कोर्स को कब मिलेंगे नियमित लेक्चरर

वोकेशनल कोर्स को कब मिलेंगे नियमित लेक्चरर- वोकेशनल कोर्स में अब तक नहीं हुई शिक्षकों की बहाली – ना विवि को फिक्र और न ही सरकार ही कर रही प्रयास – लगभग सारे कॉलेज और विभागों में खुल चुके हैं वोकेशनल कोर्सअमित कुमार, पटना पटना विश्वविद्यालय समेत राज्य के ज्यादातर विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों में […]

वोकेशनल कोर्स को कब मिलेंगे नियमित लेक्चरर- वोकेशनल कोर्स में अब तक नहीं हुई शिक्षकों की बहाली – ना विवि को फिक्र और न ही सरकार ही कर रही प्रयास – लगभग सारे कॉलेज और विभागों में खुल चुके हैं वोकेशनल कोर्सअमित कुमार, पटना पटना विश्वविद्यालय समेत राज्य के ज्यादातर विश्वविद्यालय और उसके कॉलेजों में वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई तो होती है, लेकिन उनमें नियमित शिक्षकों (लेक्चरर) की भारी कमी है. इसके लिए न तो विवि को ही कोई फिक्र है और न ही सरकार कोई प्रयास कर रही है. शिक्षकों की कमी की वजह से वहां छात्रों को हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों की ना अच्छे से पढ़ाई हो पाती है और ना ही उनका किसी अच्छे जगह पर प्लेसमेंट ही हो पाता है. वोकेशनल कोर्स विवि व कॉलेजों के लिए सिर्फ पैसे उगाहने का जरिया रह गयी है और एक तरह से कहें तो शिक्षा के नाम पर सिर्फ डिग्री ही बांटी जा रही है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी. क्योंकि क्वालिटी के नाम पर इन सारे प्रोफेनसल कोर्स में कुछ भी नहीं पढ़ाया जा रहा है और ना ही क्वालिफाइड शिक्षक ही है जो इसके पढ़ाई करा सकें. जो शिक्षक है वे या तो एडहॉक पर है या फिर गेस्ट फैकल्टी हैं. उन्हें इतने कम पैसे मिलते हैं कि उनसे क्वालिटी की अपेक्षा रखना बेईमानी ही होगी. विवि में वोकेशनल कोर्स खोले हुए काफी वर्ष हो गये और समय के साथ हर कॉलेज में कोई ना कोई कोर्स खुल ही रहा है. प्रोफ्रेशनल कोर्स की डिग्री की डिमांड दिनप्रति बढ़ रही है. इसी का फायदा विवि व कॉलेज भी उठाने लगे हैं जबकि उनके पास कोई पर्याप्त साधन नहीं है. साधन अगर ना हो तो भी ठीक है लेकिन बिना शिक्षकों के क्या अपेक्षा की जा सकती हैं. विवि व कॉलेजों में जो वर्तमान में शिक्षक पढ़ा रहे हैं उन्हें प्रति क्लास सिर्फ 250 से 300 रुपये ही मिलते हैं. इतने कम पैसे में पूरे महीने में दो से तीन हजार भी उन्हें नहीं मिलते हैं. जबकि उसी कॉलेज के सामान्य किसी कोर्स के लिए लेक्चर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर को करीब लाख रुपये या उससे अधिक ही सैलरी मिलती है. ऐसे में उनकी गु‌णवत्ता का अंदाजा भी स्वयं ही लगाया जा सकता है. कुछ शिक्षक अच्छे है जो प्रोफ्रेशनल है और अधिक समय नहीं दे पाते. वे साइड से या शौक से ही पढ़ाते हैं. कम मेहनताना मिलने की वजह से अच्छे शिक्षक किनारा कर लेते हैं. बीच में सरकार के द्वारा प्रति क्लास एक हजार रुपये देने और एडॉक पर शिक्षकों की बहाली की बात कही थी लेकिन फिर उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. सिर्फ अगर पीयू की बात करें तो वोकेशनल कोर्स सभी कॉलेजों में खुल गये हैं. पीयू में वोकेशनल कोर्स के करीब 6000 छात्र यूजी-पीजी मिलाकर पढ़ते हैं. अगर इनकी आवश्यकताओं को देखें तो कम से कम पीयू में 300 शिक्षक और चाहिए होंगे. सिर्फ पीयू में कम से कम बारह सौ शिक्षकों की तत्काल आवश्यकता है. ज्यादातर विभागों में गेस्ट फैक्लटी, रिसर्च स्कॉलर के जरिए ही काम चलाया जा रहा है. ऐसा ही हाल करीब हर विवि व कॉलेजों में है. प्रो आरके वर्मा (प्रतिकुलपति, पीयू) : वर्तमान में स्ववित्तपोषित के अंतर्गत चलाये जा कोर्स में शिक्षकों की काफी जरूरत है. क्योंकि इसके गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं. सरकार भी क्वालिटी को लेकर चिंतित है. हम उम्मीद कर रहे हैं जल्द इस दिशा में नियमित शिक्षकों की बहाली के कुछ किया जायेगा. विवि भी अपने स्तर से इसके लिए प्रयास करेगी. हमारा ध्यान इस ओर है.

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