नीति बनी, पर सशक्तीकरण रह गया अधूरा अलविदा 2015 : महिला विकास संवाददाता, पटनावर्ष 2015 महिलाओं के लिए खास रहा. लंबे प्रयासों के बाद इस वर्ष महिला सशक्तीकरण नीति बनी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इसकी घोषणा की. 22 मार्च को बिहार दिवस पर एक्शन प्लान भी बनाया गया. लेकिन, एक्शन प्लान को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के चयन में ही छह महीने लग गये. सितंबर में जब महिला विकास निगम को नोडल एजेंसी की कमान मिली, तो विधानसभा चुनाव का दौर शुरू हो गया. इस कारण महिला सशक्तीकरण नीति इस साल पूरी तरह जमीन पर नहीं उतर सकी. अलविदा 2015 में आज पढ़िए महिला सशक्तीकरण पर अनुपम कुमारी की रिपोर्ट…..नीति के कार्यान्वयन के लिए बनी नोडल एजेंसी महिला सशक्तीकरण नीति को लागू करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक दृष्टि से महिलाओं का उत्थान करनेवाले सारे विभाग जोड़े गये हैं. इसके लिए समाज कल्याण विभाग की इकाई महिला विकास निगम नोडल एजेंसी का काम करेगी. इसके तहत महिलाओं के विकास से जुड़े कार्यों की नीति पर कार्य करने की जिम्मेदारी महिला विकास निगम के जिम्मे हैं. महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य एवं पोषण क्षेत्र अादि क्षेत्रों में विकास संबंधी कार्य किये जायेंगे. फिर शुरू की गयी कन्या सुरक्षा योजना मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना की शुरुआत फिर से की गयी. इसमें पेंडिंग पड़े करीब पांच लाख आवेदनों को योजना के लाभ से जोड़ा गया. वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना कन्या सुरक्षा की शुरुआत की गयी थी, जो वर्ष 2012 से 14 तक बंद रही. इस योजना का लाभ 14 लाख बेटियाें को मिला. उपलब्धियां- मॉडल हेल्पलाइन की घोषणा : इस वर्ष पूर्णिया, गया, बेगूसराय, गोपालगंज व पटना समेत पांच जिलों का चयन मॉडल हेल्पलाइन के लिए किया गया. इसमें एक छत के नीचे पीड़िता को सारी सुविधाएं मुहैया करायी जानी हैं.- बनायी गयी नोडल एजेंसी : महिला विकास निगम को घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के लिए नोडल एजेंसी के लिए नामित किया गया. नोडल एजेंसी इसके जरिये प्रदेश में महिला हिंसा को समाप्त करने की दिशा में प्रस्ताव तैयार करेगी और इसका निष्पादन भी करेगी. – अल्पावास का गठन : हिंसा पीड़ित महिलाओं को तीन से छह माह तक सुरक्षित माहौल में रखने के लिए 50 बेड के अल्पावास होम का गठन किया गया.- रक्षा गृह की स्थापना : मानव व्यापार व भूले भटके महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से रक्षा गृह की स्थापना की गयी. – ग्राम वार्ता का विस्तार : ग्रामीण महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए संचालित ग्राम-वार्ता नामक कार्यक्रम का विस्तार जिले में किया गया.- महिलाओं को हिंसा मुक्त करने की पहल : बिहार महिला हिंसा मुक्त हो इसके लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है. इसके लिए कार्यकर्ताओं को जेंडर एवं महिला हिंसा की रोकथाम विषय पर संवेदीकरण की ट्रेनिंग दी जा रही.- थानों में बिना एफआइआर दर्ज किये निबटाये जा रहे मामले नाकामी- नीति बनने के बाद भी काम शुरू नहीं हो सका. पूरे साल नीति, एक्शन प्लान और नोडल एजेंसी चयन में ही बीत गया. – रिसोर्स सेंटर की स्थापना: अलग से जेंडर रिसोर्स सेंटर की स्थापना की जानी थी. इसके लिए बजट भी निर्धारित किया गया. बावजूद काम शुरू नहीं हो सका.- नहीं बना वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर : वर्ष 2012 में निर्भया कांड के बाद सभी राज्याें के प्रत्येक जिले में एक-एक वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर की स्थापना की जानी थी. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा एक-एक करोड़ के बजट भी निर्धारित थे. इसका प्रारूप भी तैयार किया गया. बावजूद राजधानी में दुष्कर्म पीड़िता के लिए अब तक सेंटर की स्थापना नहीं की जा सकी है.- हेल्पलाइन का किया जाना था सुदृढ़ीकरण: सभी जिलों में महिला हेल्पलाइन का संचालन बेहतर तरीके से हो इसके लिए महिला हेल्पलाइन का सुदृढ़ीकरण किया जाना था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका.- जेंडर इक्विटी की पढ़ाई :लिंग संवेदीकरण की शिक्षा पटना समेत सभी जिलों के स्कूलों में दी जानी थी. इसकी शुरुआत पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में गया जिले से की गयी. पर, अन्य जिलों में नहीं शुरू हुआ.उम्मीदें- महिला सशक्तीकरण नीति पर काम – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं के तर्ज पर कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करना- महिला थाना काउंसेलरों का अनुमंडल स्तर पर विस्तार- गया, मुजफ्फरपुर व दरभंगा में महिला छात्रावास की स्थापना- प्रत्येक जिले में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत नोडल पदाधिकारी का चयन- टॉल फ्री नंबर 181 पर 24 घंटे की सुविधा – रिसोर्स सेंटर की स्थापना
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नीति बनी, पर सशक्तीकरण रह गया अधूरा
नीति बनी, पर सशक्तीकरण रह गया अधूरा अलविदा 2015 : महिला विकास संवाददाता, पटनावर्ष 2015 महिलाओं के लिए खास रहा. लंबे प्रयासों के बाद इस वर्ष महिला सशक्तीकरण नीति बनी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इसकी घोषणा की. 22 मार्च को बिहार दिवस पर एक्शन प्लान भी बनाया गया. […]
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