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रविवार को सरस मेला में उमड़ी भीड़

रविवार को सरस मेला में उमड़ी भीड़लाइफ रिपोर्टर पटनाटेरा कोटा की मूर्ति हो या बांस की बनी फ्लावर पॉट या फिर लकड़ी की बनी ट्रेडिशनल आइटम (जैसे घड़ी, फर्नीचर, फोन स्टैंड, झूले आदि) इन सभी चीजों को खरीदने के लिए लोगों में होड़ लगी थी. हैंडी क्राफ्ट और ट्रेडिशनल चीजों की मांग इन दिनों गांधी […]

रविवार को सरस मेला में उमड़ी भीड़लाइफ रिपोर्टर पटनाटेरा कोटा की मूर्ति हो या बांस की बनी फ्लावर पॉट या फिर लकड़ी की बनी ट्रेडिशनल आइटम (जैसे घड़ी, फर्नीचर, फोन स्टैंड, झूले आदि) इन सभी चीजों को खरीदने के लिए लोगों में होड़ लगी थी. हैंडी क्राफ्ट और ट्रेडिशनल चीजों की मांग इन दिनों गांधी मैदान में खूब मिल रही है. यहां जीविका द्वारा आयोजित ‘बिहार ग्राम सरस मेला, 2015’ का आयोजन किया गया है. इसमें लोगों को कई तरह की आकर्षक चीजें देखने को मिल रही है. ज्यादा तक चीजें हैंड मेड हैं. इस तरह के ट्रेडिशनल डिजाइन मार्केट में देखने को नहीं मिलते. वैसे तो सरस मेला 20 दिसंबर से शुरू हो गया था. लेकिन रविवार को छुट्टी के दिन अच्छी धूप खिले रहने के कारण लोगों की भीड़ काफी देखी गयी. इस दिन मेन गेट पर भी लंबी कतार लगी हुई थी. यहां हर किसी को मेले में जल्दी जाने की उत्सुकता दिख रही थी.15 राज्यों से आये हैं कलाकारपटना में यह मेला तीसरी बार लगा है. इसमें 15 राज्यों एवं 22 जिलों के कलाकार शामिल हुए हैं, जहां 450 स्टॉल लगे हुए हैं. इतने ज्यादा स्टॉल रहने के बावजूद सभी स्टॉलों पर पूरी भीड़ नजर आ रही है. ऐसे में कलाकारों का हौसला भी बुलंद है. यहां पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, झारखंड जैसे राज्यों की कला देखने को मिल रही हैं. बिक्री से उत्सुक कलाकारों का कहना है कि पटना में हस्तकला को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. लोग हर चीज को पसंद कर रहे हैं. यहां ज्यादातर कलाकार ऐसे हैं, जो तीन सालों से इस मेला में अपना स्टॉल लगा रहे हैं. ऐसे में उन्हें यहां के लोगों के पसंद और नापसंद के बारे में पता है. इसलिए वे लोगों की पसंद के अनुसार ज्यादा स्टॉक लेकर आये हैं. वहीं, कुछ कलाकार ज्यादा बिक्री होने की वजह से दोबारा स्टॉक भी मंगा रहे हैं.लकड़ी की आइटम ऑन डिमांडवैसे तो इस मेले में हर चीज खास है. मेले में आयी रूपाली और प्रियंका कहती हैं कि यहां आकर लग रहा है कि सबकुछ खरीद लूं. सभी चीजें आकर्षित करती हैं. इस तरह की चीजें मार्केट में नहीं मिलतीं. वहीं, पिंकी कहती हैं कि मुझे डेकोरेटीव फ्लावर्स बहुत पसंद है. इसलिए सरस मेले में हर साल फ्लावर्स जरूर खरीदती हूं. यहां लोगों का आकर्षण टेराकोटा की मूर्तियां और लकड़ी की आइटम की तरफ ज्यादा है. इन चीजों को लोग ज्यादा खरीद रहे हैं. लखनऊ से आये टेराकोटा की मूर्ति और सहारणपुर की लकड़ी के एंटिक डिजाइन की चीजें काफी खास हैं.आचार और चूड़ा की भी हो रही खरीदारीमकर संक्रांति नजदीक है. ऐसे में लोग चूड़ा की भी खरीददारी कर रहे हैं. सरस मेले में कतरनी चूड़ा की मांग ज्यादा है. इसकी बिक्री हर दिन बढ़ रही है. साथ ही किसान चाची की आचार भी लोगों को लुभा रही है. इनके अलावा भागलपुर की सिल्क और सिकी कला, हैंडलूम, टेराकोटा, भदोही का कालीन, जूट और पित्तल की चीजें भी यहां उपलब्ध हैं.मनोरम हैं झाकियांयहां महिलाओं द्वारा प्रस्तुत झांकी में महिला सशक्तिकरण पर बल दिया गया है. तो केसरिया स्तूप में भी बिहार कि महिलाओं की उपलब्धियों को दर्शाया गया है. ये झाकियां काफी मनोरम हैं और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. मेले में स्वंय सहायता समूह के किसी भी स्टॉल पर प्रत्येक दो सौ की खरीदारी पर इनामी कूपन भी दिया जा रहा है.कोटहर बार की तरह इस बार भी लोगों को टेराकोटा की चीजें खूब पसंद आ रही हैं. कई लोग बड़े साइज की मूर्ति खरीद रहे हैं, तो कई लोगों छोटे साइज में मूर्तियां पसंद आ रही हैं. इसलिए हम लोग भी उनके लिए कई डिजाइन की मूर्ति लेकर आये हैं. हमारे पास 100 रुपये से 6000 रुपये तक की मूर्ति मिल रही हैं.जीतेंद्र कुमार, टेराकोटा मूर्ति विक्रेता, गोरखपुरहम पित्तल की कई चीजें जैसे लैंप, घंटी, डिजाइनर प्लेट, मोर आदि चीजें लेकर आये हैं. ये लोगों को पसंद आ रही हैं. ये चीजे मुरादाबाद से आयी है, जिसमें 20 रुपये से 15000 रुपये तक की चीजें मौजूद हैं.मो अजीम, विक्रेता, मुरादाबादजूट की मांग हमेशा से रहती है. इसलिए हम जूट की गुड़िया, जूट के ड्रेस और जूट की ज्वेलरी लेकर आये हैं. इनकी मांग ज्यादा है. इसलिए अपने स्टॉल में हर तरह की चीजें मंगा कर रखती हूं.सुनीता केसरी, विक्रेता, पटनापिछले साल से यहां डेकोरेटिव फ्लावर्स की बिक्री बहुत बढ़ गयी है. इस बार भी पहले दिन से ही लोग फ्लावर्स खूब खरीद रहे हैं. इसमें कई लोग सिंगल फ्लावर खरीद रहे हैं, तो कई लोग गुच्छे के साथ कई-रंग-बिरंगे फूलों को मिला कर ले रहे हैं. इसके साथ पॉट भी मिल रहा है.प्रशांत साह, पश्चिम बंगाल

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