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225 झोंपड़ियां हटायी गयीं

कार्रवाई. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से दोबारा हुआ अतिक्रमण पटना सिटी : नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल की अधिगृहीत भूमि पर बनाये गये मकानों व झोंपड़ियों को हटाने के बाद दोबारा अतिक्रमण किये जाने पर शनिवार को उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में फिर अभियान चलाया गया. एसडीओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि अभियान के […]

कार्रवाई. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से दोबारा हुआ अतिक्रमण
पटना सिटी : नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल की अधिगृहीत भूमि पर बनाये गये मकानों व झोंपड़ियों को हटाने के बाद दोबारा अतिक्रमण किये जाने पर शनिवार को उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में फिर अभियान चलाया गया.
एसडीओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि अभियान के दरम्यान प्रशासन की टीम ने 225 झोंपड़ियों को हटाया गया. न्यायालय के आदेश के आलोक में रविवार को भी अभियान चलाया जायेगा. अभियान के लिए पहुंची प्रशासन की टीम ने गुस्सा, तनाव व हंगामे के बीच में बुलडोर चलवाया. इससे वहां अफरा-तफरी की स्थिति थी.
कड़ा रुख अपना रखा था
जिलाधिकारी के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों का दल दो जेसीबी मशीन, ट्रैक्टर, श्रमिक व पुलिस बल के साथ कब्जा हटाने के लिए लगभग 11 बजे पहुंचा. टीम को देखते ही लोगों में आशियाना उजड़ने का गम, गुस्सा व तनाव चेहरे दिख रहा था. लोग घरों के बाहर जमा थे कि क्या होगा. प्रशासनिक अधिकारियों ने आते ही अपना रुख कड़ा कर दिया था. करीब चार सौ पुलिसकर्मियों की टोली, राज्य रैपिड एक्शन फोर्स व ब्रज वाहन के साथ अधिकारियों ने चारों ओर से नाकेबंदी शुरू की. अभियान चलाने के पहले ही अधिकारियों की टीम ने कड़ा रुख अपना रखा था.
प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने मीना बाजार जल्ला रोड में जब पश्चिम की तरफ से अभियान चलाना शुरू किया, तो लोगों ने विरोध व हंगामा शुरू कर दिया. इस दरम्यान महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के साथ गाली-गलौज की, तो पुलिस ने लाठी पटक कर उन्हें खदेड़ा. टीम में एसडीओ योगेंद्र सिंह, डीएसपी हरिमोहन शुक्ला, भूमि उपसमाहर्ता ललित भूषण रंजन, कार्यपालक दंडाधिकारी उमेश कुमार सिंह, अंचलाधिकारी पटना सदर, निगम के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार व मुख्य सफाई निरीक्षक कृष्ण नारायण शुक्ला आदि शामिल थे.
अस्पताल प्रशासन का नहीं मिला सहयोग
एसडीओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में अतिक्रमण हटाने की तिथि अस्पताल प्रशासन के साथ तय की गयी थी ताकि अभियान के दरम्यान ही खाली करायी गयी जगहों पर पर्याप्त संख्या में श्रमिकों को रख पायलिंग व चहारदीवारी निर्माण कराया जाये, लेकिन टीम के पहुंचने के बाद भी अस्पताल के अधीक्षक व संवेदक गायब थे.
बाद में अस्पताल अधीक्षक डॉ संतोष कुमार व संवेदक भी पहुंचे, लेकिन संसाधन की कमी के कारण कार्य नहीं हो सका. उच्च न्यायालय के आदेश के उल्लंघन मानते हुए जिलाधिकारी को अस्पताल प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं दिये जाने को लिखा गया है.

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