यहां हर चीज कुछ कहती है- प्रथम राज्यस्तरीय कला प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन – पांच जनवरी तक चलेगी प्रदर्शनी – 92 कलाकारों की 102 कलाकृतियां बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में प्रदर्शनी में लगी है – 10 कलाकार को किया गया पुरस्कृत संगमरमर से बनाया गया लड़की का सिर, जिसने बुरका पहना है, मासूमियत से सवाल पूछता बच्चा, एक-दूसरे पर चिल्लाते जानवर, बांसुरी की जगह मोबाइल को होठों से लगाये मॉडर्न कृष्णा, मनुष्य के भीतर छिपे जानवर के व्यवहार को दिखाती महिलाएं जैसी कई रोचक कलाकृतियां देखने का मन हो, तो भारतीय नृत्य कला मंदिर के बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर जरूर जाएं. यहां विभिन्न कलाओं के माध्यम से कलाकारों ने समाज में छिपी बुराईयों, कमियों, संघर्ष के साथ-साथ मां की ममता, उत्साह, रंग जैसे भावों को भी दिखाने की बेहतरीन कोशिश की है. लाइफ रिपोर्टर. पटना. कला, संस्कृति एवं युवा विभाग व बिहार ललित कला अकादमी द्वारा मंगलवार को प्रथम राज्यस्तरीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ. प्रदर्शनी का उद्घाटन कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम ने किया. उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि कला हमारा इतिहास बनाती है. कला लोगों को जोड़ती है. इस कला को पटना तक सीमित नहीं रखता है. इसे गांवों तक ले जाना है. गांवों से भी कलाकार को बाहर निकाल कर पटना के मंच पर सम्मानित करना है. आनेवाले समय में कला से संबंधित प्रतियोगिता जिला, प्रखंड व पंचायत स्तर तक की जायेगी. खेल, संगीत व चित्रकला को गांवों तक ले जाया जायेगा. जब हर हाथ में कलम होगी, तभी समाज प्रगति करेगा. बिहार के कलाकार को सम्मान मिलेगा. वैसे बिहार के कलाकारों को अब दूसरे राज्य में भी सम्मान मिल रहा है. हमारे कलाकार सभी राज्यों में बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं. ऐसे सभी कलाकारों को खोज कर सम्मानित किया जायेगा. खुलेगा कलाकारों के लिए हाट बिहार ललित कला अकादमी के अध्यक्ष एपी बादल ने कहा कि कलाकारों की कलाकृतियां बिके, इसके लिए एक हाट की व्यवस्था होनी चाहिए. इसी मांग पर मंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि आप लोग स्थान व जगह के साथ-साथ सभी बिंदुओं पर विचार कर इंजीनियर से मिल कर इसका खाका तैयार करें. इसके बाद एक हाट के साथ-साथ छोटा मार्केट ही तैयार हो जायेगा, जिसमें कला संबंधित सभी चीजें मिला करेंगी. कला, संस्कृति व खेल को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा. 10 कलाकारों को किया गया सम्मानितप्रदर्शनी में 92 में से 10 कलाकारों की बेहतरीन कलाकृतियों को पुरस्कृत किया गया. इसमें पेंटिंग से तीन कलाकार बंदना कुमारी, आदर्श विक्रम व करिश्मा, ड्रॉइंग में मो सुलेमान, मूर्तिकला से मनीष कुमार व सनातन मंडल, फोटोग्राफी से मनोज कुमार बिश्वास, गौरव कुमार त्रिपाठी, ग्राफिक्स से निम्मी सिन्हा और लोककला से अल्का दास को प्रथम राज्यस्तरीय कला प्रदर्शनी में पुरस्कृत किया गया. सभी को 25-25 हजार रुपये के साथ मोमेंटो व शॉल दे कर सम्मानित किया गया. 92 कलाकारों की 102 कलाकृतियां हुई प्रदर्शित प्रदर्शनी के लिए 182 कलाकारों के आवेदन आये थे, जिसमें ज्यूरी ने 92 कलाकारों की 102 कलाकृतियों को चयनित किया. चयनित कलाकृतियां बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में पांच जनवरी तक लगी रहेगी. इसमें 39 चित्रकला, 28 फोटोग्राफी, 21 मूर्तिकला, 6 लोककला, तीन रेखांकन, पांच ग्राफिक की कलाकृतियां प्रदर्शनी में लगी हुई है. प्रदर्शनी का आनंद 11.30 बजे से शाम 7.30 बजे तक उठा सकते हैं. एक नजर किस बिंदु पर विजेताओं ने बनायी कलाकृतियां- बंदना कुमार की पेंटिंग नारी की भव्यता को दर्शाती है. पेंटिंग में पौधे की लताओं को यूज कर विभिन्न शक्तियों को दिखाया गया है. इसमें शेर से महिला पावर को दिखाया गया है. हिरण से सुंदरता को दर्शाता है और लोमड़ी से चालाकी को. – आदर्श विक्रम की पेंटिंग ‘द आर्ट कैंप’ पर आधारित है. इसमें इंसान की संवेदनशीलता को दिखाया गया है. – कुमारी करिश्मा की पेंटिंग में ‘री-बर्थ’ को बताया गया है. इसमें विभिन्न तरह के धागों का उपयोग किया गया है. – मोहम्मद सुलेमान की ड्राइंग में मनुष्य की इच्छा को दिखाया गया है. इसमें इन्होंने ब्लैक होल को भी बनाया है. – मनीष कुमार द्वारा बनायी मूर्ती एक बच्चे की भावना व्यक्त करती है. सवाल को लेकर यह भावना दिखायी गयी है. ग्रीन कलर की इस मूर्ति को देख लगता है कि यह अभी बोल पड़ेगी.- सनातन मंडल ने अपने मूर्ति में बच्चों के प्रति मां की भावना को दिखाया है. उन्होंने इसे मनुष्य, जीव-जंतु व पशु-पक्षी से भी जोड़ कर दिखाया है. – मनोज कुमार विश्वास की ने अपने फोटोग्राफी से बिल्ली के दूसरे रूप में दिखाया है. बिल्ली के पिछले भाग पर लेंस को जूम कर यह तस्वीर ली गयी है. – गौरव कुमार त्रिपाठी ने फोटोग्राफी के माध्यम से रंगों के माया जाल को दिखाया है. यह तस्वीर इको पार्क की है. निम्मी सिन्हा ने अपने ग्राफिक से व्यस्त जीवन को दिखाने का खूबसूरत प्रयास किया है. – अल्का दास ने लोककला के माध्यम से पूंजीवाद को दिखाया है. गरीब और गरीब व अमीर और अमीर होता जा रहा है, इसी को मधुबनी थीम पर आधारित लोककला के माध्यम से दिखाया गया है.
यहां हर चीज कुछ कहती है
यहां हर चीज कुछ कहती है- प्रथम राज्यस्तरीय कला प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन – पांच जनवरी तक चलेगी प्रदर्शनी – 92 कलाकारों की 102 कलाकृतियां बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में प्रदर्शनी में लगी है – 10 कलाकार को किया गया पुरस्कृत संगमरमर से बनाया गया लड़की का सिर, जिसने बुरका पहना है, मासूमियत से सवाल पूछता […]
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