पटना: चिरैयाटांड़ पुल चौराहे के पास राजा मार्केट में जांच के दौरान बुधवार को वाणिज्यकर अधिकारियों के साथ हुई मारपीट को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. घटना के दूसरे दिन वाणिज्यकर विभाग की 80 सदस्यीय भारी-भरकम टीम ने पुलिस-प्रशासन के सहयोग से मार्केट में दोबारा छापेमारी की और 56 दुकानों को सील कर दिया.
जांच पूरी होने तक दुकानें सील रहेंगी. इन दुकानों पर नोटिस चिपका कर उनके मालिकों को तमाम कागजात के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया गया है. छापेमारी के दौरान आसपास का इलाका दोपहर तीन बजे से लेकर देर शाम तक छावनी में तब्दील रहा. बुधवार को हुई मारपीट मामले में छह लोगों को गिरफ्तार गांधी मैदान थाने भी लाया गया है. हंगामे की आशंका को देखते हुए सिटी मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह व एएसपी मनोज कुमार तिवारी के नेतृत्व में 100 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी घंटों मौजूद रहे. वज्रवाहन व टियर गैस का इंतजाम भी कर रखा गया था. भारी-भरकम इंतजाम को देखते हुए आसपास लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी, मगर इस भीड़ को प्रशासन ने हटा दिया. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आसपास के चार थानों की पुलिस को भी इकट्ठा किया गया था.
शाम पांच बजे शुरू हुई सीलिंग : शाम करीब पांच बजे टीम पहुंची और एक-एक दुकान में जांच आरंभ की. करीब तीन घंटे चली सघन जांच में 56 उन दुकानों को सील किया गया, जिन्होंने पिछले तीन दिनों से चल रही जांच प्रक्रिया के दौरान अपनी दुकानों के शटर गिरा रखे थे. इन दुकानों के बाहर नोटिस भी चिपका दिया गया. इस नोटिस में दुकान मालिक को निर्धारित समय पर सभी कागजातों के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया गया है. जांच में सहयोग करनेवाले दुकानदारों को छोड़ दिया गया. विभागीय सूत्रों के मुताबिक राजा मार्केट में 90 रजिस्टर्ड व दर्जनों की संख्या में बिना रजिस्टर्ड दुकानें भी हैं.
घायल अधिकारी को मिली छुट्टी : मारपीट में घायल हुए परिक्ष्यमान वाणिज्य कर पदाधिकारी अनिल कुमार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. बुधवार को सिर पर चोट लगने के बाद उन्हें चिरैयाटांड़ स्थित महावीर आरोग्य अस्पताल में भरती कराया गया था. मामले की वाणिज्य कर पदाधिकारी संघ के नेताओं ने भी निंदा की. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ता है. वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक वाणिज्यकर अदायगी की जांच सामान्य प्रक्रिया है. जांच के दौरान पुलिसकर्मी हमेशा साथ रहते हैं. मगर बुधवार को इस तरह सुनियोजित ढंग से हमले की आशंका नहीं थी. इसमें व्यवसायी वर्ग के कम, अपराधिक प्रवृति के लोगों के अधिक होने की आशंका है. व्यवसायी हंगामा पसंद नहीं करते. जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक दुकानों को सील रखा जायेगा.