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बहाली तो दूर, पद भी सृजित नहीं हो सका

राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 726 नेत्र सहायकों के माध्यम से किया जाना था इलाज अंधापन नियंत्रण के लिए विजन सेंटर खोलने में बाधक बने हैं नेत्र सहायक शशिभूषण कुंवर पटना : राज्य में अंधापन नियंत्रण के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विजन सेंटर की स्थापना की जानी है. राज्य में 531 प्राथमिक […]

राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 726 नेत्र सहायकों के माध्यम से किया जाना था इलाज
अंधापन नियंत्रण के लिए विजन सेंटर खोलने में बाधक बने हैं नेत्र सहायक
शशिभूषण कुंवर
पटना : राज्य में अंधापन नियंत्रण के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विजन सेंटर की स्थापना की जानी है. राज्य में 531 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. यहां पर नेत्र सहायकों के माध्यम से विजन सेंटर पर ही नेत्र जांच और उसके प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की जानी है.
विजन सेंटरों को संचालित करने के लिए नेत्र सहायकों के 726 पद सृजित करने का स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया था. दो साल पहले तैयार किये गये इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका. नियुक्ति तो अभी दूर की बात है. इतना ही नहीं, नेत्र सहायकों के नहीं होने से प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अंधापन नियंत्रण के लिए विजन सेंटर नहीं खुल पाया है.
राज्य में 113 जगहों पर विजन सेंटर व 188 नेत्र सहायक: विभागीय सूत्रों के मुताबिक अंधापन नियंत्रण के लिए हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर विजन सेंटर के माध्यम से बच्चों, युवाओं और वरीय नागरिकों का नेत्र जांच किया जाना है.
इन सेंटरों का संचालन नेत्र सहायकों के माध्यम से ही की जानी है. वर्तमान में राज्य में 113 जगहों पर विजन सेंटर और 188 नेत्र सहायक कार्यरत हैं. केंद्र सरकार को अंधापन नियंत्रण के लिए 120 नेत्र सहायकों की नियुक्ति करके देना था. अभी तक राज्य स्वास्थ्य समिति के माध्यम से सरकार को महज 19 नेत्र सहायक दिये गये हैं.
वर्ष 2015-16 में 30 नये विजन सेंटर की स्थापना का लक्ष्य : राज्य में अभी तक 113 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा इस वित्तीय वर्ष 2015-16 में 30 नये विजन सेंटर की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित है.
अंधापन नियंत्रण की रोकथाम के लिए हर साल करीब तीन लाख लोगों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. इसमें नेत्र सहायक भी मददगार साबित होते हैं. इस वित्तीय वर्ष में एक लाख से अधिक लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जा चुका है. नेत्र सहायकों की नियुक्ति नहीं होने के कारण कार्यक्रम गति नहीं पकड़ पा रही है.

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