मधेशी आंदोलन : धधका नेपाल, पीएम का पुतला फूंकायातायात, बाजार, उद्योग व दैनिक सवारी के साधन रहे बंदकलैया में तोड़फोड़, वीरगंज में आगजनी व प्रदर्शनदिल्ली-काठमांडू रोड पर डिवाइडर लगा रोका रास्तारक्सौल . मधेश आंदोलन की आग में पूरा नेपाल धधक रहा है. आंदोलन के 125वें दिन शुक्रवार को मधेशियों ने अपना संघर्ष और तेज कर दिया. अहले सुबह से मोरचा के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आये और नेपाल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की. कलैया में तोड़फोड़ के साथ ही वीरगंज के घंटा घर, पॉवर हाउस व छपकैया सहित सभी चौक पर आगजनी कर लोगों ने अपना विरोध जताया. बंदी को लेकर बाजार, यातायात व उद्योग-धंधे पूरी तरह से ठप रहे. लंबी व छोटी दूरी के वाहनों को भी सड़क पर नहीं चलने दिया गया. इस दौरान बारा के परवानीपुर व पर्सा के परसौनी में मधेशी मोरचा के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला दहन किया. दिल्ली-काठमांडू राज्यमार्ग पर मैत्री पुल के समीप डिवाइडर लगा कर रास्ता को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया गया था. कलैया, सीमरौनगढ़, गौर, चन्द्रनिगाहपुर, जितपुर, सीमरा सहित मधेश के सभी 22 जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर आक्रोश जताया गया. साधु-संतों ने भी विरोध जताया. वीरगंज में दोपहर करीब तीन बजे मधेशी मोरचा के कार्यकर्ताओं ने एक बाइक को आग के हवाले कर बाइक सवार युवक को भी जलाने का प्रयास किया.नेपाल में भारत की कूटनीति विफल : डॉ रघुवंशडुमरा (सीतामढ़ी). पूर्व केंद्रीय मंत्री व राजद के वरिष्ठ नेता डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच मधुर संबंध समाप्त होने के कगार पर हैं. मधेशियों की मांगों पर नेपाल सरकार की असंवेदनशीलता से भारत सरकार की कूटनीति विफल साबित हो रही है. राजोपट्टी स्थित परिसदन में शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि, नेपाल में जब संविधान का प्रस्ताव बना, तो उस समय विदेशी राजनायिक की कूटनीति कहां थी? उक्त प्रस्ताव में मधेशियों का अधिकार समाप्त कर दिया गया. नेपाल पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जबकि भारत, नेपाल से पीछे हटता जा रहा है. पूरे नेपाल की लगभग तीन करोड़ आबादी में 1.60 करोड़ मधेशी हैं. ऐसे में इनके अधिकार को संविधान से अलग करना लोकतंत्र पर हमला है. जानकी मंदिर प्रबंधन ने राष्ट्रपति को नहीं दिया था निमंत्रण जनकपुर/बासोपट्टी. जनकपुर में विवाह पंचमी के दिन बुधवार को नेपाल के राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के आने को लेकर हुए विवाद पर मंदिर के मुख्य महंत राम तपेश्वर दास ने कहा कि उन्हें मंदिर प्रबंधन की ओर से निमंत्रण नहीं दिया गया था. इस प्रकरण को दुखद बताते हुए महंत ने कहा कि राष्ट्रपति को विवाह पंचमी में शामिल होने को आमंत्रित करने की बात सच्चाई से परे है. उन्हें राष्ट्रपति के आगमन के एक दिन पूर्व संध्या में उनके आने की सूचना सीडीओ काली प्रसाद पाराजुली द्वारा दी गयी थी. महंत ने कहा है कि जनकपुर मंदिर में पूजा करने के लिए किसी को आज तक नहीं रोका गया है. ऐसे में नेपाल के राष्ट्रपति को वे पूजा करने से कैसे रोक सकते थे. इधर, मंदिर परिसर को मधेशी मोरचा द्वारा गंगाजल से धोये जाने पर संयोजक शेष नारायण यादव ने इससे इनकार किया है.
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मधेशी आंदोलन : धधका नेपाल, पीएम का पुतला फूंका
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