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एक साथ किया गया तीन नाटकों की प्रस्तुति

एक साथ किया गया तीन नाटकों की प्रस्तुति लाइफ रिपोर्टर पटनाअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले के विरुद्ध दो दिवसीय स्वतंत्र नाट्य कार्यक्रम ‘साधो देखो जग बौराना’ का आयोजन किया जा रहा है. गांधी मैदान में गांधी जी की छोटी मूर्ति के पास इस आयोजन के पहले दिन तीन नुक्कड़ नाटकों को दिखाया गया, […]

एक साथ किया गया तीन नाटकों की प्रस्तुति लाइफ रिपोर्टर पटनाअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे हमले के विरुद्ध दो दिवसीय स्वतंत्र नाट्य कार्यक्रम ‘साधो देखो जग बौराना’ का आयोजन किया जा रहा है. गांधी मैदान में गांधी जी की छोटी मूर्ति के पास इस आयोजन के पहले दिन तीन नुक्कड़ नाटकों को दिखाया गया, जिसमें सबसे पहले युवा रंगकर्मी राजीव रंजन द्वारा लिखित नये नाटक (तो कालिदास भी मारे जाते) की प्रस्तुति दी गयी. वहीं दूसरे नाटक के रूप में गुलजार द्वारा लिखित व मदन मोहन द्वारा निर्देशित नाटक खौफ की प्रस्तुति हुई. इसके बाद तीसरा नाटक राजीव मदन द्वारा निर्देशित ‘समरथ की नहीं दोष गोसांई’ था. तीनों नाटकों में कलाकार वही थे. इन नाटकों को देखने के लिए धीरे-धीरे दर्शकों की भीड़ भी इकट्ठे होने लगी थी. लोगों ने सभी नाटकों का गौर से देखते हुए भरपूर तालियां बजायी. यह कार्यक्रम स्वतंत्र रंगमंच द्वारा आयोजित किया गया. बताते चलें कि यह रंगमंच स्वतंत्रता, कला की आजादी की मांग करता है. आजादी विचारों की, कल्पनाओं की, आजादी उड़ने की. यहां कलाकारों ने बताया कि रंगमंच अपने बंधनों को तोड़ता हुआ बहुत आगे बढ़ गया है, लेकिन आज भी बहुत ऐसे बंधन हैं, जो उसे बांधने की कोशिश करते हैं. रंगमंच अब मंच के बंधन से मुक्त हो कर नुक्कड़ नाटक तक आ गया और आम जन तक पहुंच बनाने में सफल हुआ. … तो कालिदास भी मारे जातेयह नाटक स्वतंत्रता पर हो रहे हमले पर अपना आक्रोश जाहिर करता है. कहानी कालिदास से कलयुगी तक आती है और हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खड़ा होने का संदेश देती है. नाटक में कलाकारों की हत्या से एलान कर दिया है कि मारे जायेंगे, जो सच-सच बोलेंगे, मारे जायेंगे… धकेल दिये जायेंगे कला और साहित्य की दुनिया से बाहर, जो चारण नहीं, गुण नहीं गायेंगे, मारे जायेंगे…. इसमें कला को अाजादी मिलने की बात कही गयी. इसमें मजबूत कथ्य को राजीव मदन ने शानदार निर्देशन और अभिनय से मजबूत कर दिया. खौफ में मजदूर की कहानीगुलजार द्वारा लिखित नाटक खौफ ने दर्शकों से खूब वाही-वाही लुटी. नाटक दंगे में फंसे एक मजदूर की कहानी है, जो एक आदमी के डर से घबराकर हत्या कर देता है. इस नाटक में एक मजदूर के दर्द को दिखाया गया, जो अपनी जिंदगी डर कर जीता है. नाटक में दो कलाकारों ने मिल कर अपनी प्रस्तुति में जान डाल दी. इसमें मजदूर के खौफ को देखते दर्शक भी गंभीर हो गये. इस नाटक को मदन मोहन ने बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है.समरथ…. में दिखी कालाबाजारीतीसरी नाटक समरथ को नहीं दोष गोसाई में देश की व्यवस्था और महंगाई का बोझ दिखाया गया. इसमें यह दिखाया गया कि आम जनता कैसे इस महंगाई से दबे हुए अपनी जिंदगी गुजार रही है. साथ ही इसमें समाज में हो रही कालाबाजारी, भ्रष्टाचार के अलावा नेता और मंत्रियों की हकीकत को भी दिखाया गया. इसके अलावा इसमें किसानोें का भी दर्द दर्शाया गया. बताया गया कि कैसे अपनी फसल नष्ट हो जाने पर आत्महत्या कर लेते हैं. नाटक में कई पहलुओं को लोगों के सामने पेश किया गया.

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