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बिहार में बढ़ेंगे आइपीएस अफसर
231 पदों को बढ़ा कर 249 करने का प्रस्ताव कौशिक रंजन पटना : राज्य में जल्द ही आइपीएस अधिकारियों की संख्या बढ़नेवाली है. राज्य में आइपीएस कैडर के पुनर्गठन की कसरत शुरू हो गयी है. 2016 के शुरुआती महीने में आइपीएस कैडर रिव्यू हो जायेगा. गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करके केंद्रीय गृह […]
231 पदों को बढ़ा कर 249 करने का प्रस्ताव
कौशिक रंजन
पटना : राज्य में जल्द ही आइपीएस अधिकारियों की संख्या बढ़नेवाली है. राज्य में आइपीएस कैडर के पुनर्गठन की कसरत शुरू हो गयी है. 2016 के शुरुआती महीने में आइपीएस कैडर रिव्यू हो जायेगा.
गृह मंत्रालय ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करके केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) को भेज दिया है. हालांकि, यह प्रस्ताव कुछ समय पहले भी भेजा गया था, लेकिन डीओपीटी ने इसमें कुछ संशोधन की सिफारिश करते हुए इसे लौटा दिया था. अब इसे संशोधित करते हुए फिर से भेजा गया है. अगर बिहार का प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो राज्य कैडर में आइपीएस अधिकारियों के पदों की संख्या 231 से बढ़ कर 248 या 249 हो जायेगी. इसमें डॉयरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी ) के कैडर पद तीन से बढ़ कर चार हो जायेंगे. राज्य सरकार ने डीजीपी, रिक्रूटमेंट बोर्ड के पद को कैडर पद बनाने की अनुशंसा की गयी है.
यह बदलाव आयेगा पुलिस महकमे में
बिहार कैडर में अभी आइपीएस के कुल 231 पद हैं. इसमें 17-18 पदों की बढ़ोतरी करने की तैयारी है. आइपीएस के 231 पदों में से 126 कैडर व 105 नॉन कैडर पद हैं. इनमें 189 पद ही भरे हुए हैं.
विभिन्न स्तरों के 42 पद खाली पड़े हुए हैं. कैडर रिव्यू होने के बाद राज्य में डीजीपी के कैडर पदों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो जायेगी. डीजीपी (रिक्रूटमेंट) का पद बढ़ जायेगा. अभी डीजीपी के पुलिस, होमगार्ड और ट्रेनिंग के तीन कैडर (संवर्गीय) पद मौजूद हैं. इसके अलावा एडीजी, आइजी और एसपी के कैडर पदों में समानुपाति बढ़ोतरी होगी.
फिर से संशोधित करने को कहा
राज्य सरकार ने जो कैडर रिव्यू करने से संबंधित जो प्रस्ताव शुरू में भेजा था, उसमें आइपीएस के पदों को 250 से ज्यादा करने की अनुशंसा थी. लेकिन, डीओपीटी ने इसे संशोधित कर फिर से भेजने को कहा. साथ ही पदों की प्राथमिकता भी तय करने के लिए कहा कि कौन-सा पद कितना जरूरी है. इसे संशोधित करके इस बार 17-18 पद प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाने की अनुशंसा की गयी है. अब देखना है कि डीओपीटी कितने पदों की मंजूरी देता है.
कैडर व नॉन कैडर पदों में यह अंतर
कैडर पद वे होते हैं, जिनका निर्धारण केंद्रीय डीओपीटी करता है. इन पदों को केंद्र सरकार चिह्नित करती है. इसमें किसी तरह का बदलाव राज्य सरकार नहीं कर सकती है. जबकि नॉन कैडर पद वे होते हैं, जिनका निर्धारण राज्य सरकार अपने स्तर और अपनी जरूरत के हिसाब से करती है.
इन पदों में राज्य गृह विभाग अपनी जरूरत के मुताबिक फेरबदल और सृजन कर सकता है. लेकिन, किसी भी राज्य में कैडर पदों से ज्यादा नॉन कैडर पद नहीं हो सकते हैं यानी किसी राज्य में नॉन कैडर पदों की संख्या कैडर पदों से कम या अधिक-से-अधिक उसके बराबर होगी.
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