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अंतिम संस्कार के दौरान फिसल कर चिता में गिरा, मौत

अंतिम संस्कार के दौरान फिसल कर चिता में गिरा, मौतजितवारपुर चौथ गांव की महिला का संस्कार करने गया था शंकरबूढी गंडक बांध किनारे श्मशान में हुई घटनासंवाददाता, समस्तीपुरबूढी गंडक नदी बांध किनारे स्थित श्मशान घाट में बुधवार की रात अंतिम संस्कार करने गया शंकर सदा फिसल कर चिता में चला गया. जब तक लोगों ने […]

अंतिम संस्कार के दौरान फिसल कर चिता में गिरा, मौतजितवारपुर चौथ गांव की महिला का संस्कार करने गया था शंकरबूढी गंडक बांध किनारे श्मशान में हुई घटनासंवाददाता, समस्तीपुरबूढी गंडक नदी बांध किनारे स्थित श्मशान घाट में बुधवार की रात अंतिम संस्कार करने गया शंकर सदा फिसल कर चिता में चला गया. जब तक लोगों ने उसे चिता से बाहर निकाला, उसकी मौत हो चुकी थी. वह जितवारपुर चौथ गांव का रहनेवाला था. मुफस्सिल पुलिस ने मुखिया सरपंच के समक्ष पंचनामा कर लाश को परिजनों को सौंप दिया. सूचना पर पहुंचे बीडीओ डाॅ भुवनेश मिश्र ने शंकर की पत्नी भगिया देवी को पारिवारिक लाभ योजना के तहत 20 हजार रुपये का चेक उपलब्ध करा दिया है. बताया गया है कि गांव के ही सीताराम सदा की पत्नी का निधन हो गया. परिजनों के साथ गांववाले अंतिम संस्कार के लिए उसे लेकर बूढ़ी गंडक नदी के बांध किनारे अवस्थित श्मशान घाट पहुंचे. इसमें सहयोग के लिए गांव का शंकर सदा भी शामिल था. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि देर रात महिला की चिता धू-धू कर जल रही थी. इसी क्रम में शंकर का पांव अचानक फिसल गया. इसके कारण शंकर सीधे तेज उठती लपटवाली चिता में जा गिरा. इसे देख कर आसपास के लोगों में अफरातफरी मच गयी. लपट के बीच फंसे शंकर की चीख-पुकार सुन कर उपस्थित लोगों ने चिता पर पानी डाल कर उसकी लौ को कम किया. फिर किसी तरह उसे बीच चिता से खींच कर बाहर निकाला. लोगों कहना है कि शंकर इस कदर झुलस चुका था कि आग से बाहर आने के साथ उसकी मौत हो गयी. इसके बाद लोगों ने इसकी सूचना गांववालों को दी. किसी ने इसकी सूचना प्रखंड प्रशासन के साथ मुफस्सिल थाने को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू की. इस क्रम में संस्कार में शामिल लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंची शंकर की पत्नी ने पुलिस को इस घटना को महज संयोग बताया. लाश का अंत्यपरीक्षण करने से मना कर दिया. इसके बाद पुलिस ने पंचनामा तैयार कर लाश परिजनों को सौंप दी. इसके बाद उसका भी संस्कार कर दिया गया.सहयोग की भावना रखता था शंकरस्थानीय लोगों के अनुसार, वैसे तो शंकर खुद मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था, बावजूद उसके अंदर सहयोग की भावना इतनी अधिक थी कि गांव में किसी के भी सुख-दुख में आगे बढ़ जाता था. यही वजह थी कि जैसे ही सीताराम सदा की पत्नी के निधन के बाद उसके संस्कार में शामिल होने की खबर मिली, वह बिना झिझक निकल पड़ा. उस वक्त उसने यह सोचा भी नहीं होगा कि वह जिस महिला का संस्कार करने के लिए निकल रहा है उसी की चिता उसके जीवन की सांसें थाम देगी. इस घटना की चर्चा गांव के अधिकतर लोगों की जुबान पर थी.

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