पटना में नहीं हो सकता दिल्ली जैसा ट्रैफिक व्यवस्थालाइफ रिपोर्टर पटनापिछले दिनों दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्याओं को देखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा एक बड़ा नियम लागू किया जा रहा है. इस नियम के अनुसार एक जनवरी से लोग अपनी गाड़ी को सम और विषम नंबर के हिसाब से इस्तेमाल कर सकेंगे. यानी एक दिन गाड़ी का इस्तेमाल कर सकेंगे और दूसरे दिन नहीं. जिस दिन गाड़ी नहीं चला सकेंगे, उस दिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करेंगे या फिर ऐसे लोगों से जुड़ेंगे, जिनकी गाड़ी का नंबर उस दिन के हिसाब से है. कई लोगों ने तो सम और विषम दोनों नंबरों वाली गाड़ी रखने का विचार बना लिया है. वहीं कई लोग टेंशन में हैं कि इस नियम का पालन करेंगे, तो कितनी परेशानी आयेगी. हालांक कई लोग खुश भी हैं कि प्रदूषण और ट्रैफिक दोनों कम होगा. दिल्ली में भले ही यह नियम 1 जनवरी से लागू होगा, लेकिन इसकी चर्चा दिल्ली के साथ ही दूसरे शहरों में अभी से है. इस पर जब हमने पटना के लोगों से बात की, तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां पटना में भी प्रदूषण व ट्रैफिक बहुत बढ़ गया है. यहां सम और विषय वाला नियम तो लागू नहीं कर सकते, क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा न के बराबर है, लेकिन दूसरे उपाय जरूर किये जा सकते हैं. क्या कहते हैं दिल्ली में रहनेवाले पटना के लोगदिल्ली में ट्रैफिक और प्रदूषण को देखते हुए यह जो नियम लागू हुआ है, वह गलत है, क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इन्हीं समस्याओं से बचने के लिए तो लोग खुद की गाड़ी खरीदते हैं. मैं दिल्ली में 15 सालों से रह रही हूं. अपने फोर व्हीलर से कहीं भी जाती हूं. बच्चों को कहीं ले कर जाना हो या पति को ऑफिस जाना हो, वे खुद की गाड़ी से जाते हैं. मैं ऑटो से नहीं जा पाती, क्योंकि ऑटो के लिए भी बहुत दूर चक चलना पड़ता है. जहां तक मेट्रो की बात है, तो यहां राजीव चौक, रेलवे स्टेशन और नोयडा जैसे स्टेशन पर बहुत भीड़ रहती है. ऐसे में बच्चों को लेकर जाना मुश्किल है, इसलिए मुझे यह नियम सहीं नहीं लगा.ज्ञानशीला राय, दिल्लीमेरे लिए परेशानी तो है, लेकिन मैं इस नियम का पालन करना चाहता हूं, क्योंकि मेरा भी मानना है कि इससे कुछ सुधार जरूर होगा. मैं खुद भी ऑल्टरनेट डे पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना चाहता हूं. वैसे भी इंसान को हर चीज का अनुभव होना चाहिए. हालांकि यह नियम थोड़ा अजीब है, लेकिन एक आम इंसान होने के नाते मैं इसे फॉलो करूंगा. मेरे पास आई 20 है. मेरे गाड़ी का आखिरी नंबर 5 है. जिस दिन मैं अपनी गाड़ी नहीं ले जा सकता, उस दिन ऐसे लोगों से लिफ्ट मांग लूं, जिनकी गाड़ी का आखिरी नंबर 0, 2, 4, 6, 8 होगा. इसके बदले उन्हें भी लिफ्ट दे दूंगा. इस तरह लोगों से जान-पहचान भी बढ़ेगी. वैसे हमारे अपार्टमेंट में कई तरह की नंबर वाली गाड़िया हैं, इसलिए समस्या नहीं होगी. नवनीत सिंह, दिल्ली————————-क्या कहते हैं पटना के लोगमैं दिल्ली के नियम से सहमत नहीं हूं. लोग गाड़ी इसलिए खरीदते हैं, ताकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भीड़ में उन्हें जाना न पड़े, पैदल चलना न पड़े. कोई गाड़ी घर पर खड़ी रखने के लिए नहीं खरीदता. यह समाधान नहीं, बल्कि खुद समस्या है. यह प्रोफेशनल लोगों के लिए लागू नहीं होना चाहिए था, क्योंकि उन्हें अपनी गाड़ी की हमेशा जरूरत होती है. पटना में तो यह नियम कभी लागू नहीं हो सकता, क्योंकि यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी कमी है. दिल्ली जैसी मेट्रो ट्रेन की भी सुविधा नहीं है. ऑटोवाले लोगों को भरते हैं और खराब ऑटो चलाते हैं. नगर सेवा की भी यही हाल है. डॉ सुहेली मेहता, गांधी मैदानदिल्ली में मेट्रो सिस्टम इतना बेहतर है कि अच्छे खासे अमीर घर के लोग वहां मेट्रो स्टेशन से जाते हैं, इसलिए लोग इस नियम का पालन कर सकते हैं. कुछ दिनों के बाद खुद-ब-खुद पता चल जायेगा कि गाड़ियों पर लगाया गया यह नियम कितना सही हैं. अगर हम पटना की बात करें, तो यहां तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी नहीं है और न ही यहां मेट्रो ट्रेन है. इस वजह से हम लोगों को हर दिन ट्रैफिक में फंसना पड़ता है. पटना में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ाना जरूरी है. लोगों को भी गाड़ी कहीं भी पार्क नहीं करना चाहिए. अक्षय सिंह, बोरिंग रोडपटना की मूल समस्या तीन पहिया वाहन हैं. इसके वजह से अपनी गाड़ी चलाने वाले लोगों को परेशानी होती है, इसलिए सबसे पहले ऑटो पर कंट्रोल करना चाहिए, क्योंकि पटना में ऑटो वाले कहीं भी ऑटो लगा कर पैसेंजर्स बैठाने लगते हैं. इसलिए ट्रैफिक जाम जैसी समस्या होती है. हमें ऐसी गाड़ियों पर रोक लगानी चाहिए, जो धुआं छोड़ती हैं. इससे बहुत सी समस्याएं हल हो जायेंगी. दिल्ली में ट्रैफिक के अलावा प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए यह नियम लागू किया गया है, लेकिन देखना यह है कि लोग इस नियम को कितना फॉलो करते हैं, क्योंकि कई लोग नियम को ताख पर रख देते हैं. मनोज कुमार सिंह, कदम कुआंमेरे हिसाब से दिल्ली में जो भी नियम लागू हुआ है, वो गलत है क्योंकि इससे ट्रैफिक और प्रदूषण पर कंट्रोल नहीं किया जा सकता है. क्योंकि दिल्ली में ज्यादातर लोगों के पास एक ही गाड़ी रहती है. इसलिए लोगों को एक नंबर के अनुसार गाड़ी निकालने का मौका मिलेगा, जो कि हर किसी के लिए मुमकीन नहीं है. लिफ्ट के बहाने कोई किसी का गलत फायदा उठा सकता है. घटनाएं बढ़ सकती हैं. जहां तक पटना की बात है, तो यहां कई तरह की समस्याएं है. इसके लिए आम जनता, प्रशासन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम सभी जिम्मेवार हैं. मधु, राजेंद्र पथ—————————-पटना में ट्रैफिक व प्रदूषण की समस्या ऐसे होगी हल- धुअां छोड़नेवाले वाहनों को बंद करवाया जाये.- जितना ज्यादा हो सकें, साइकल से चलें या पैदल. – एक ही दिशा में जाना हो, तो दोस्तों व सहकर्मियों के साथ जाएं. – गाड़ी सही जगह पार्क करें, सड़क किनारे न खड़ी करें. – अॉटोवालों का चौराहे पर अॉटो रोक कर सवारी उतारना-चढ़ाना बंद हो.- साइकिल रिक्शे वालों को मेन चौराहे पर साइकिल चलाना मना हो.- सड़क किनारे दुकान लगा कर जगह घेरनेवाले ठेलों को हटाया जाये.- पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए नयी बसें आयें.
पटना में नहीं हो सकता दल्लिी जैसा ट्रैफिक व्यवस्था
पटना में नहीं हो सकता दिल्ली जैसा ट्रैफिक व्यवस्थालाइफ रिपोर्टर पटनापिछले दिनों दिल्ली में बढ़ते ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्याओं को देखते हुए दिल्ली सरकार द्वारा एक बड़ा नियम लागू किया जा रहा है. इस नियम के अनुसार एक जनवरी से लोग अपनी गाड़ी को सम और विषम नंबर के हिसाब से इस्तेमाल कर सकेंगे. […]
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