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19 से शुरू होगी शिक्षकों की बहाली
पटना : माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, पुस्तकालयाध्यक्ष समेत कंप्यूटर व संगीत शिक्षकों के नियोजन का शिड्यूल जारी कर दिया गया है. इसकी सूचना सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी गयी है, ताकि निर्धारित तिथियों पर जिले में शिक्षकोंं का नियोजन किया जा सके. 19 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक शिक्षकों का नियोजन किया जाना है.16 […]
पटना : माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, पुस्तकालयाध्यक्ष समेत कंप्यूटर व संगीत शिक्षकों के नियोजन का शिड्यूल जारी कर दिया गया है. इसकी सूचना सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दी गयी है, ताकि निर्धारित तिथियों पर जिले में शिक्षकोंं का नियोजन किया जा सके. 19 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक शिक्षकों का नियोजन किया जाना है.16 दिसंबर से सभी नियोजन इकाइयों में नियोजन पत्र दिया जायेगा.
इसके बाद 19 दिसंबर से नियोजन प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी. इसमें माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल शिक्षक, कंप्यूटर व संगीत शिक्षकों का नियोजन 19 से 21 दिसंबर तक किया जायेगा. शिक्षकों की मेधा सूची का प्रकाशन 22 से दिसंबर से लेकर सात जनवरी तक किया जायेगा. इसके बाद दस जनवरी से 17 जनवरी तक आपत्तियों का निराकरण कर 18 जनवरी तक नियोजन पत्र निर्गत किया जाना है.
नेत्रदान के इंतजार में पथरायीं आंखें
लापरवाही . आइजीआइएमएस का आइ बैंक नहीं करा पा रहा नेत्रदान
– रिपोर्टर : सर, यह पटना आइ बैंक का नंबर है क्या?
कर्मचारी : हां, आइ बैंक का नंबर है, आप कौन और क्या नाम है?
– रिपोर्टर : मैं फतुहा से मोती बोल रहा हूं, मुझे नेत्रदान करना है.
कर्मचारी : किसका नेत्रदान होगा, क्या वह इनसान तैयार है.
– रिपोर्टर : मेरे बगल में दादा की मौत हो गयी है, उनके परिजन तैयार हैं.
कर्मचारी : दादा की मौत कब हुई और फतुआ पटना से कितना दूर है.
– रिपोर्टर : अभी महज दो घंटे हुए हैं दादा की मौत को और फतुहा 30 किमी दूर पर है.
कर्मचारी : मैं आपको पांच मिनट बाद फोन करता हूं और अपने सीनियर से बात कर बताता हूं.
कर्मचारी : पटना शहर में बहुत जाम है, आपके घर जाने में चार घंटे से अधिक समय लग जायेगा.
– रिपोर्टर : तो मैं पटना दादा जी को लेकर आ जांऊ, क्योंकि उनका दाह संस्कार वहीं होगा.
कर्मचारी : नहीं, हमारे पास गाड़ी है, लेकिन आने-जाने में छह घंटे से अधिक का समय लग जायेगा, इससे नेत्रदान संभव नहीं है.
ऐसी बातें कह कर्मचारी ने अपना पल्ला झाड़ लिया. इस तरह की समस्या आइ बैंक में आये दिन हो रही है. गाड़ी, कर्मचारी हर सुविधा होने के बाद भी कर्मचारी दिन भर आइ बैंक में ही बैठे रहते हैं और नेत्रदान नहीं हो पाता है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एक लोगों के नेत्रदान से दो लोगों को रोशनी दी जा सकती है. लोगों को खुल कर नेत्रदान करना चाहिए. इससे खास कर गरीब लोगों को काफी राहत मिलेगी. मेरा मानना है कि पटना के अलावा बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में आइ बैंक होना चाहिए, ताकि लोगों को नेत्रदान करने में सुविधा हो.
डाॅ सुनील सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ
प्रदेश में एक मात्र आइ बैंक होने से परेशानी हो रही है. यही वजह है कि समय पर टीम नहीं पहुंच पाती है. अगर हर जिले में इसकी सुविधा मिले तो पटना में लोड कम होगा. रही बात नजदीक होने के बाद भी यहां से टीम क्यों नहीं जाती, तो मैं पता लगाता हूं. – एनआर विश्वास, डायरेक्टर, आइजीआइएमएस
यह भी परेशानी
– आइ कलेक्शन सेंटरों का जिले में अभाव
– आइ बैंक की टीम नहीं पहुंचती है समय पर
– लोगों में जागरूकता की कमी
– अगले जन्म में अंधा पैदा होने का विकार
नेत्रदान : कौन कर सकता है, कैसे कर सकताहै
– एक साल से बड़ा कोई भी शख्स यह तय कर सकता है कि वह मौत के बाद आंखों का दान करना चाहता है. अधिकतम उम्र कोई नहीं हैं.
– जीवित शख्स आंखों का दान नहीं कर सकता.
– अगर आपकी नजर कमजोर है, चश्मा लगाते हैं, मोतियाबिंद या काला मोतिया का ऑपरेशन हो चुका है, डायबीटीज के मरीज हैं तो भी आप आंखें दान कर सकते हैं. यहां तक कि ऐसे अंधे लोग भी आंखें दान कर सकते हैं, जिनके अंधेपन की वजह रेटिनल या ऑप्टिक नर्व से संबंधित बीमारी हैं और उनका कॉर्निया ठीक है.
– रेबीज, सिफलिस, हिपेटाइटिस या एड्स जैसी इन्फेक्शन वाली बीमारियों की वजह से जिन लोगों की मौत होती है, वे अपनी आंखें दान नहीं कर सकते.
– अगर किसी इंसान की मौत दूर-दराज के इलाके में होती है, जहां आई-बैंक वालों को पहुंचने में ज्यादा वक्त लग सकता है तो उनकी आंखों का दान मुमकिन नहीं है.
मौत के छह घंटे के अंदर आई बैंक वाले बॉडी से आंखों को ले लेते हैं. मृत शरीर के अंदर से आंखें लेने में इससे ज्यादा देर नहीं होनी चाहिए. इसके लिए मौत के बाद करीबी लोगों को आई बैंक को तुरंत सूचित करना जरूरी है.
जब तक आई बैंक वाले आएं, तब तक मरने वाले की दोनों आंखों को बंद कर देना चाहिए और आंखों पर गीली रुई रख देनी चाहिए. पंखा चल रहा है तो बंद कर दें. मुमकिन हो तो कोई ऐंटिबायॉटिक आई-ड्रॉप मरने वाले की आंखों में डाल दें. इससे इन्फेक्शन का खतरा नहीं होगा. सिर के हिस्से को छह इंच ऊपर उठाकर रखना चाहिए.आई-बैंक से आकर डॉक्टर पूरी आई बॉल निकाल लेते हैं. इससे देखने में आंखें पहले जैसी ही लगती हैं.
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