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मौत के नजदीक ले जा रही है हर सांस

मौत के नजदीक ले जा रही है हर सांस- धूल कण के कारण लोगों को हो रही है परेशानी- गैसीय प्रदूषक की मात्रा मानक अनुरूपलाइफ रिपोर्टर.पटनासिटी की हवा जहरीली हो रही है. इसमें मिश्रित रहने वाले धूल-कण लोगों के जनजीवन पर विपरित असर डाल रहे हैं. बिहार राज्य प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड की तरफ से दी […]

मौत के नजदीक ले जा रही है हर सांस- धूल कण के कारण लोगों को हो रही है परेशानी- गैसीय प्रदूषक की मात्रा मानक अनुरूपलाइफ रिपोर्टर.पटनासिटी की हवा जहरीली हो रही है. इसमें मिश्रित रहने वाले धूल-कण लोगों के जनजीवन पर विपरित असर डाल रहे हैं. बिहार राज्य प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड की तरफ से दी गयी जानकारी के अनुसार सिटी में गैसीय प्रदूषक की मात्रा तय मानक के करीब-करीब नजदीक है, लेकिन हवा में तैर रहे धूल कण और वाहनों के साइलेंसर से निकला धुंआ हर सांस के साथ मौत के नजदीक ले जा रहा है.मौत दे रहे हैं PM कणबोर्ड की तरफ से दी गयी जानकारी के अनुसार पटना की आबोहवा में धूल-कण से बहुत बुरा असर पड़ रहा है. जानकारों के अनुसार इन धूल कणों में दो तरह के प्रदूषक होते हैं. इनमें एक कण वैसे होते हैं जो श्वसन तंत्र के अंदर जाते हैं और दूसरे वैसे तत्व हैं जो श्वसन तंत्र के बाहर रहते हैं. श्वसन तंत्र के अंदर जाने वाले धूल कणों को PM 10 कहा जाता हैं. इसमें भी दो तरह के कण होते हैं, जिनमें एक PM 10 होता है, दूसरा PM 2.5 होता है. इसमें से PM 2.5 हमारी श्वसन शैली तक पहुंच जाता है, जो कि PM 10 से ज्यादा खतरनाक होता है. इससे श्वसन तंत्र की बीमारियों की आशंका लगातार बढ़ रही है. इसका सबसे बड़ा कारण कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी गैसें हैं. साथ ही कारों, बसों और ट्रकों से निकलने वाले धुएं के महीन कण भी बीमारियों का एक बड़ा कारण हैं.बोर्ड करता है दो तरह से मॉनिटरिंगशहर में हवा और प्रदूषण की सेहत कैसी है? इसकी पड़ताल के लिए बेल्ट्रॉन और गांधी मैदान के पास मॉनिटरिंग करने की व्यवस्था है. इन दोनों जगहों पर केमिकल एनालिसिस की जाती है, वहीं तारामंडल के पास ऑनलाइन मॉनिटरिंग की व्यवस्था है. जिसमें मानकों की मात्रा को लगातार प्रदर्शित किया जाता है. मैनुअल में नॉक्स पैरामीटर के अनुसार PM 10 और एसओटू की मात्रा देखी जाती है वहीं ऑनलाइन में PM 10 या PM 2.5 में से किसी एक पर एसआेटू, एनओटू, बेंजीन का मानक नापा जा रहा है. वाहनों के धुंए, धूल कण से फैल रहा है जहरप्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के रिसर्च और डेवलपमेंट विंग के जानकार कहते हैं, इन सभी के अलावा शहर के सड़कों पर दौड़ रहे वाहन वायु प्रदूषण के बड़े कारणों में से एक है. इसके अलावा सड़क का धूल कण जिसे रिससपेंशन ऑफ रोड साइड डस्ट कहते हैं. यह कमर्शियल वाहनों से पैदा होते हैं. ये सूक्ष्म कण पदार्थ यानि पार्टिकुलेट मैटर महीन तत्व होते हैं, जो सांस के साथ सांस की नली से दिल, फेफड़े और दिमाग की कोशिकाओं में जाकर बुरा प्रभाव डालते हैं. यह मानव शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है. हवा में मौजूद एलरजेन या रासायनिक तत्वों से कई तरह के सांस के रोग पैदा हो जाते हैं. इसमें नाक, गले, फेफड़ों में सूजन पैदा होना, दमा जैसी बीमारियां के अलावा चर्म रोग बीमारियां, सीओपीडी, आंखों में जलन जैसी बीमारियां शामिल हैं. ये एक्सपर्ट कहते हैं, डीजल वाले कमर्शियल वाहनों से सबसे ज्यादा वायू प्रदूषण हो रहा है. इनमें वैसे वाहन जो कि पंद्रह साल से पुराने हैं. उनपर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की जरूरत है.पटना के लिए सचेत होने की जरूरतअगर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के रिसर्च एक्सपर्ट्स की बातों पर गौर करें तो पटना के लिए गैसीय प्रदूषण को छोड़कर दूसरे मामलों में लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. क्योंकि अब हालत अलार्मिंग हो गयी है. रिसर्च में यह बात सामने भी आयी है कि ठंड के मौसम में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. विशेष रूप से शाम के समय में. इसका कारण वह यह बताते हैं कि गरमी के दिनों में हवा के साथ प्रदूषक ऊपर उठ जाते हैं, लेकिन ठंड के मौसम में हवा ठंडी ही रहती है जिससे वह ऊपर नहीं उठ पाती है. ऐसे में इस हवा में अन्य प्रदूषक तत्व नीचे ही रह जाते है, जो कि सेहत के लिए बहुत खतरनाक है.बॉक्स मैटरहम भी हो सचेत, निभाएं जिम्मेदारीवायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए हम भी अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर सकते हैं. इसके लिए हमें खुद ही पहल करनी होगी.1. आम लोगों में लानी होगी जागरूकता, वायु प्रदूषण के कुप्रभावों के बारे में देनी होगी जानकारी. 2. वाहनों की ट्यूनिंग को नियमित अंतराल पर जांच करवायें ताकि ज्यादा और अधजला धुआं बाहर नहीं निकले. 3. वृक्षारोपण को दे बढ़ावा.4. अधिक धुआं देने वाले वाहनों का प्रयोग नहीं करें. 5. सरकारी कानूनों का कड़ाई से पालन. इसका उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की पहल.

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