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एग्जाम का टेंशन बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स को

एग्जाम का टेंशन बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स कोपैरेंट्स बच्चों को ज्यादा समय देलाइफ रिपोर्टर पटनाएसकेपुरी में रहनेवाले क्लास 7 के सोनू की परीक्षा एक सप्ताह बाद शुरू होने वाली है, लेकिन उसकी पढ़ाई अभी पूरी नहीं हुई है, क्योंकि उसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत लग गयी है और उसका मन बार-बार मोबाइल में गेम खेलने, […]

एग्जाम का टेंशन बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स कोपैरेंट्स बच्चों को ज्यादा समय देलाइफ रिपोर्टर पटनाएसकेपुरी में रहनेवाले क्लास 7 के सोनू की परीक्षा एक सप्ताह बाद शुरू होने वाली है, लेकिन उसकी पढ़ाई अभी पूरी नहीं हुई है, क्योंकि उसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत लग गयी है और उसका मन बार-बार मोबाइल में गेम खेलने, फेसबुक खोलने को करता है. कुछ ऐसा ही हाल बोरिंग रोड में रहने वाली अंतरा का भी है, जो इस बार 12वीं की एग्जाम देने वाली है, लेकिन पढ़ाई से ज्यादा टीवी और फोन पर उसका ध्यान रहता है, इसलिए वह एग्जाम की तैयारी ठीक से नहीं कर पा रही है. शहर में ऐसे कई बच्चे हैं, जो एग्जाम नजदीक होने के बावजूद फोन, टीवी, सोशल साइट्स को नहीं छोड़ पा रहे. हालांकि ऐसे भी कई बच्चे हैं, जो एग्जाम के करीब आते ही अपने बाकी कामों को भूल कर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं. ऐसे बच्चों ने अपना डेली रूटीन भी बदल दिया है. वे इन दिनों न ही विंटर सीजन का लुत्फ उठा रहे हैं और न ही वेडिंग सीजन में किसी पार्टी में शामिल हो रहे हैं. ऐसे बच्चे सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ज्यादा जोर दे रहे हैं.फेसबुक और टीवी कर रहा परेशानआने वाला समय एग्जाम का समय है. ऐसे में उन स्टूडेंट्स को परेशानी होनेवाली है, जिन्हें टीवी, सोशल साइट, व्हॉट्स अप और मोबाइल गेम्स की लत है और जो खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं. ऐसे बच्चे जब भी पढ़ाई के लिए बैठते हैं, उनकी नजर फोन और टीवी पर चली जाती है. व्हाट्स एप की लत के बारे में अशोक राजपथ के हर्ष कहते हैं कि मेरी 12वीं की एग्जाम है. बहुत टेंशन में हूं. सिलेबस कंपलीट करना चाहता हूं, लेकिन बार-बार फोन बजता है, तो मैसेज चेक करना पड़ता है. कोशिश करता हूं कि मोबाइल न उठाऊं, लेकिन फिर बेचैनी होने लगती है. पैरेंट्स का है अहम रोलबच्चे एग्जाम में पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं? उन्हें किसी तरह की परेशानी तो नहीं? उनका ध्यान किसी और चीज पर तो नहीं जा रहा? इन सभी बातों पर पैरेंट्स को ही ध्यान देना पड़ता है, इसलिए इन दिनों कई घरों में एग्जाम आने से पहले ही पैरेंट्स की परेशानी बढ़ गयी है. बच्चों से ज्यादा पैरेंट्स एग्जाम की टेंशन ले रहे हैं. इस बारे में बोरिंग रोड के विजय सिंह कहते हैं कि मेरी दो बेटियां और एक बेटा है. बेटा 5वीं क्लास में है, जबकि बेटियां 10वीं और 12वीं में है. तीनों की एग्जाम शुरू होने वाली है इसलिए घर का माहौल बदला हुआ है. हम हमेशा देखते रहते हैं कि बच्चे टीवी, मोबाइल जैसी चीजों पर ध्यान न दें. हम खुद भी उनके सामने टीवी वगैरह नहीं देखते, ताकि उनका ध्यान न बंटे. ——————-क्या कहते हैं पैरेंट्समेरे बेटे की परीक्षा तीन दिनों बाद शुरू होने वाली है, इसलिए मैं और मेरी वाइफ अन्य कामों से ज्यादा उसके एग्जाम पर फोकस कर रहे हैं. छोटे बच्चे चंचल होते हैं. उन्हें पढ़ाई कब और कैसे करनी चाहिए, ये उन्हें समझाना पड़ता है. वैसे मेरा बेटा अब एग्जाम नजदीक आने की वजह से खुद से पढ़ने बैठ जाता है. हालांकि पैरेंट्स होने के नाते बच्चे के सिलेबस पर मैं ध्यान देता हूं कि एग्जाम से पहले कहां तक पढ़ाई पूरी हो चुकी है. साथ ही बिना प्रेशर के बच्चों को पढ़ाई कराते हैं. कुमार अमिताभ, पुनाईचक जब बच्चों का एग्जाम होता है, तो उनका रूटीन चेंज करना पड़ता है क्योंकि एग्जाम के समय अचानक से उन्हें ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है. ऐसे में बच्चों को पता होना चाहिए कि एग्जाम के समय किन बातों पर फोकस करना चाहिए. मेरे दो बेटे हैं. दोनों का एग्जाम होने वाला है, इसलिए उन्हें धीरे-धीरे खेलने से ज्यादा पढ़ाई पर माइंड डाइवर्ट करा रही हूं. क्योंकि आज कल के बच्चे टीवी और फोन पर ज्यादा ध्यान देते हैं. ऐसे में उन्हें अचानक इन चीजों से दूर करना बड़ी समस्या है, लेकिन पैरेंट्स के नाते करना पड़ता हैै.रूबी देवी, एकके पुरी———————–बच्चों को ज्यादा प्रेशर न देंकई बार पैरेंट्स अपने बच्चों को एग्जाम का ज्यादा प्रेशर देने लगते हैं. उन्हें बार-बार डांटते हैं. थोड़ा देर भी वे रिलेक्स बैठे दिखे, तो पढ़ने बैठने को कहते हैं. ये करो, वो करो, नहीं तो फेल हो जाओगे. ऐसा करने से बच्चों में और डर बैठ जाता है और वे हमेशा एग्जाम को भार समझने लगते हैं.लोगों के सामने नहीं डांटेंकई बार पैरेंट्स एग्जाम का समय आते ही बच्चों को दूसरों के सामने डांटने लगते हैं कि बगल वाला के बेटा ज्यादा पढ़ रहा है. उनकी तरह पढ़ो. ये भी कहते हैं कि एग्जाम में अच्छा नंबर नहीं लाओगे, तो तुम्हारा फलां-फलां जगह खेलना बंद, मोबाइल ले लेंगे वापस. होस्टल भेज देंगे. ऐसे में बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है.बच्चों को ज्यादा टीवी नहीं दिखाएंपैरेंट्स होने के नाते उन्हें यह समझना चाहिए कि बच्चों को कब टीवी देखना चाहिए और कब नहीं. कई बार देखा जाता है कि पैरेंट्स खुद टीवी देखने में इतने बिजी रहते हैं कि उन्हें यह नहीं पता होता है कि जिस बच्चे का एग्जाम है, वह भी साथ में टीवी देख रहा है. एग्जाम के वक्त पैरेंट्स को खुद भी टीवी नहीं देखना चाहिए.बच्चों को रिश्तेदारों से रखें दूर इन दिनों वेडिंग सीजन का माहौल है. ऐसे में ज्यादातर घरों में रिश्तेदारों की लाइन लगी हुई है. ऐसे में सभी लोग वेडिंग के मूड में है, जो घर में आने के बाद भूल जाते हैं कि किसी का एग्जाम भी है. ऐसे लोग एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स को भी अपनी मौज मस्ती में शामिल कर देते हैं. ऐसे में पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है.उनके सिलेबस को जानेंपैरेंट्स को अपने बच्चे का सिलेबस जानना चाहिए क्योंकि कई बार बच्चे पढ़ाई तो करते हैं, लेकिन वे अपना सिलेबस पूरा नहीं कर पाते. ऐसे में वे कुछ ही चैप्टर पूरा करने में लंबा समय लगा देते हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स मेहनत करने के बावजूद भी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते. स्टूडेंट्स को कंबाइंड स्टडी कराएंएग्जाम के दौरान सेल्फ स्टडी के साथ-साथ कंबाइंड स्टडी भी बहुत जरूरी है. खास कर तब जब 10वीं और 12वीं का एग्जाम हो. ऐसे में उन्हें फ्रेंड्स के साथ कंबाइंड स्टडी करने का मौका दें, ताकि वे एक-दूसरे से प्रोब्लम शेयर कर सीख सकें. बस आप उन पर नजर रखें कि वे पढ़ाई करें, गप मारने न बैठ जाएं.पढ़ाई के दौरान घर में टीवी और म्यूजिक सिस्टम बंद रखेंकई बार घरों में यह भी देखने को मिलता है कि घर में कोई एक बच्चा एग्जाम के मूड में है और बाकी लोग मस्ती के मूड में, जो हमेशा टीवी और म्यूजिक सिस्टम ऑन रखते हैं. ऐसे में पढ़ने वाले बच्चों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब होती है. वे भी गाना गुनगुनाने लगते हैं. टीवी देखने बैठ जाते हैं. आर्थिक स्थिति का रोना न रोएं, झगड़ा भी न करेंकई पैरेंट्स बच्चों के सामने ही आपस में झगड़ने लगते हैं. कर्ज, लोन, उधार जैसी बातें उनके सामने बोलते हैं. बच्चे के सामने कहते हैं कि अब बेटा पढ़ेगा, कुछ बनेगा, तब हम ये सब चीजें खरीदेंगे. बेटा विदेश ले जायेगा… इन सारी बातों का बातों को बच्चे पर गलत असर पड़ता है. वह दबाव में आ जाता है. 3 इडियट्स फिल्म का राजू रस्तोगी तो आपको याद ही होगा.

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