शराब पीने के कारण मैं अपना काम सही से नहीं कर पाता था, लेकिन शराब की ऐसी लत लगी कि मैं इसे छोड़ नहीं पा रहा था, बाद में मेरी नौकरी छूट गयी. विद्यार्थी मुझसे डरते थे, क्योंकि मैं स्कूल भी कई दिन शराब पीकर चला गया, नौकरी तो छूट गयी, पर शराब पीने के लिए पैसे तो मुझे चाहिए था, फिर मैं लोगों का कुछ काम कर देता तो लोग मुझे कुछ पैसे दे देते थे, इससे मैं शराब खरीद कर पीने लगा. मेरी इस कमजोरी को लोगोें ने भाप लिया, इसके बाद तो लोग मुझे काम के बदले शराब देने का प्रलोभन देने लगे, फिर क्या था, मैं हर दिन सुबह से शाम तक जी जान लगा कर लोगों का काम करता था और इसके बदले मुझे शराब की बोतल मिलती थी, अब यही मेरा रोजगार बन गया, यह मेरी आदत बन गयी, इससे मेरा लिवर काफी खराब हो गया, अब तक मेरा कई बार ऑपरेशन हो चुका है, मेरी पत्नी हमेशा मुझे ऐसा करने से मना करती थी, मेरे बच्चे को लोग ताना देते थे कि मैं शराब के लिए दूसरों का काम करता हूं, अब मैं शराब से पीछा छुड़ाना चाहता हूं.
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बीवी शराब से मना करती थी और बच्चे ताना मारते थे
पटना. कभी–कभी हम शराब को ही अपनी जिंदगी बना लेते हैं. हम इस बात से अनजान होते हैं कि जिसे हम जिंदगी समझ रहे हैं, वही हमारी जिंदगी बरबाद कर रहा है. जब तक हमें इस बात का होश होता है, तब तक काफी देरी हो चुकी होती है. आज हम एक ऐसे इनसान के […]
पटना. कभी–कभी हम शराब को ही अपनी जिंदगी बना लेते हैं. हम इस बात से अनजान होते हैं कि जिसे हम जिंदगी समझ रहे हैं, वही हमारी जिंदगी बरबाद कर रहा है. जब तक हमें इस बात का होश होता है, तब तक काफी देरी हो चुकी होती है. आज हम एक ऐसे इनसान के बारे में पढ़ेंगे, जिसे जिंदगी भर यह गलतफहमी बनी रही कि शराब नहीं होगा तो उसकी जिंदगी की गाड़ी नहीं चल पायेगी. उसे शराब की ऐसी लत थी कि हर दिन दिनभर लोगों का काम करता था, बदले में उसे पारिश्रमिक के तौर पर शराब की बोतल मिलता था. इसी से उसका दिन चलता था और घर परिवार के लोग उसे ऐसा करने से मना करते थे, लेकिन उसे शराब की ऐसी आदत लगी थी कि वो इसे छोड़ नहीं पा रहा था. उसी के जुबानी आज जानेंगे कि शराब कैसे एक इनसान की जिंदगी बरबाद कर सकता है.
शराब के लिए करता था काम
मैंने सोचा नहीं था कि शराब की लत ऐसी लगेगी कि मैं इसके ऊपर पूरी तरह से निर्भर हो जाऊंगा. बचपन से जिस चीज से मैं सबसे अधिक नफरत करता था, वही चीज मुझे दिन भर नचाता रहता है. मैं उसके एक इशारे पर नाचता रहता था. पटना के अच्छे और फेमस स्कूल में शिक्षक था. मैं हमेशा पढ़ाई को लेकर सोचता रहता था. एक बार मुझे एक बरात जाने का मौका लगा, बरात में कुछ लोग शराब पीकर आये थे, सभी ने मुझे भी पिला दिया, उस वक्त मुझे शराब का स्वाद अच्छा नहीं लगा, मेरी तबीयत भी खराब हो गयी, लेकिन इसके बाद दोस्तों ने जबरदस्ती कई बार पिला दिया.
मरीज का व्यवहार अच्छी तरह से जानकर ही हम उसका इलाज करते हैं. इस काम में हमें पहले मरीज की पूरी केस स्टडी करनी पड़ती है. परिवार के बारे में जानना पड़ता है. हम पूरी सावधानी बरतते हैं, इलाज के दौरान भी उसके साथ फ्रेंडली व्यवहार रखना पड़ता है.
राखी, संचालक, दिशा विमुक्ति केंद्र
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