पटना: सूबे के उत्क्रमित उच्च विद्यालयों के संचालन में लगातार परेशानी हो रही है. कहीं दो प्रधानाध्यापक हैं, तो कहीं हाइस्कूल के शिक्षक मिडिल स्कूल का क्लास लेना नहीं चाह रहे. मिडिल और हाइ दोनों में अलग-अलग समितियां भी काम करती हैं. इन्हीं समस्याओं को लेकर शिक्षा विभाग में आलाधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गयी.
बैठक में विभाग ने दस दिनों में जिलों के लिए गाइड लाइन तैयार कर लेने की बात कही है. सूबे में एक हजार से ज्यादा मिडिल स्कूलों को हाइस्कूल में उत्क्रमित किया गया है. बैठक में इन उत्क्रमित स्कूल का संचालन कैसे हो इस पर मंथन हुआ. स्कूल एकीकृत रूप से संचालित करने का भी निर्णय लिया गया. इसके अलावा दो-दो प्रधानाध्यापक कैसे काम करेंगे, प्रयोगशाला-लाइब्रेरी भी दो-दो हो जायेंगे, इसका को-ऑर्डिनेशन कैसे होगा इस पर भी चर्चा हुई. उधर, जिलों में एकीकृत स्कूल की व्यवस्था तो की जा रही है, लेकिन मुख्यालय में समस्याएं और बढ़ गयी हैं. जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा देख रहे हैं, लेकिन मुख्यालय में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा अलग-अलग है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी छात्रवृत्ति राशि और पोशाक की राशि निर्गत करने में हो रही है.
ऐसे में प्राथमिक निदेशक और माध्यमिक निदेशक की जगह डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन बनाने की चर्चा फिर से उठने लगी है. अधिकारियों की बैठक में शिक्षा विभाग के सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशक, संयुक्त निदेशक आरएस सिंह, उपनिदेशक अजीत कुमार, संजीव सुमन, माध्यमिक शिक्षा परिषद् की कार्यक्रम पदाधिकारी किरण कुमार समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.