बस एक बार हाथ साफ करना है. पवित्र वस्तु तो है, पर कीमती भी है. करोड़ों में कीमत है, जीवन का सारा अंधेरा मिट जायेगा. और फिर जानेगा कौन…? घना जंगल है, पहाड़ी का दुर्गम इलाका है, पुलिस का पहरा तो है नहीं, बस यहां सन्नाटा ही सन्नाटा. मन दृढ़ है, साथी भी तैयार हैं, जाना है भगवान महावीर के जन्म स्थान मंदिर. जमुई जिले के लछुआड़ से करीब 10 किलोमीटर दूर. जैन धर्म के इस विख्यात मंदिर में भगवान महावीर की बेशकीमती मूर्ति है. करीब दो टन वजन है. उठाना तो दूर हिलाना भी मुश्किल है. करीब एक दर्जन लोगों की जरूरत होगी और चार पहिया गाड़ी की भी.
अब (29 नवंबर की रात) निकलना है. पूरी तैयारी के साथ चोरों का गिरोह असलहा से लैश होकर भगवान महावीर के जन्म स्थान पहुंचता है. दिन में यहां दो पुजारी रहते हैं, जो रात में नहीं दिख रहे हैं. पुरानी मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है, पर रात होने के कारण काम बंद है. मंदिर परिसर में निर्माण के दौरान इस्तेमाल होनेवाले औजार मौजूद हैं. सब्बल है, हथौड़ा है अन्य सामान भी हैं. मंदिर परिसर में यूं तो छोटी-बड़ी मिला कर कुल 20-25 मूर्तियां हैं, पर सबसे बड़ी 24वें तीर्थंकर महावीर जी की मूर्ति है, जो पहले परिसर के बाहरी हिस्से में थी. नये निर्माण के बाद मंदिर की चहारदिवारी में चली गयी है. फिर भी कोई दरवाजा नहीं, कोई पहरा नहीं, मूर्ति चुराने के लिए सिर्फ ताकत लगानी है.
विश्व विख्यात भगवान महावीर की जन्मस्थली से मूर्ति चोरी हो गयी है. समाचार पत्र में मोटी सुर्खियां प्रकाशित हुई हैं. खैरा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे हैं. जिले से भी डीएम, एसपी, डीएसपी मौके पर पहुंचे. मंदिर का मुआयना किया जा रहा है. जैन धर्म के श्वेतांबर सोसाइटी के लोगों को पता चल गया है. सभी लोग पुलिस से मिल रहे हैं, मूर्ति को तलाशने की मांग की जा रही है.
टीम मंदिर गयी और जिला पुलिस-प्रशासन से वार्ता की. उधर जिला पुलिस एसएसबी, सीआरपीएफ के जवानों के साथ मंदिर के आसपास मौजूद जंगल व पहाड़ी इलाकों में सर्च अभियान चला रहे हैं. नदी, नाले में नाव से पुलिस फोर्स घूम रही है. पानी में लंबा बांस डाल कर देखा जा रहा है कि कहीं पानी में तो मूर्ति नहीं छिपायी गयी है. जिले की नाकेबंदी हो चुकी है. पुलिस की प्लानिंग है कि चोर मूर्ति को बाहर लेकर नहीं जा सके. शहर से बाहर निकलनेवाले मार्ग पर फोर्स तैनात है, वाहनों की चेकिंग की जा रही है. चोर व तस्कर गिरोह से पूछताछ जारी है. रजत गिरोह से भी पूछताछ हुई है, पर कुछ सफलता हाथ नहीं लगी है.
– 27 नवंबर 2015 की रात (दिन शुक्रवार) खैरा थाना क्षेत्र के जन्म स्थान महावीर मंदिर से बेशकीमती प्राचीन
मूर्ति चोरी की गयी.
– जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी व केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मूर्ति चोरी की घटना का संज्ञान लिया. कई लोगाें से
पूछताछ की गयी.
– लोकल तस्कर गिरोह से जुड़े लोगों से पूछताछ हुई. रजक गिरोह खास निशाने पर रहा. नक्सलियों के भी हाथ
हाेने की बात कही गयी.
– जंगल, पहाड़ी इलाके में इसकी तलाश हुई, जिला पुलिस के अलावा एसएसबी, सीआरपीएफ ने सर्च अभियान चलाया. कोलकाता से सीबीआइ की टीम ने भी दौरा किया था.
– छानबीन के बीच छह दिसंबर की सुबह जमुई-सिकंदरा राजमार्ग के किनारे बिछवे गांव के पास एक खेत में बोरी में बांध कर फेंकी गयी मूर्ति बरामद की गयी.
– बिछवे गांव के तीन युवक दिनेश कुमार, शशि कुमार पुष्पम और मनीष कुमार ने सबसे पहले मूर्ति को देखा.
वे सिपाही बहाली की तैयारी कर रहे हैं और भोर में सड़क पर दौड़ लगाने गये थे. सुबह पांच बजे उनकी नजर बोरी पर पड़ी, जिसमें मूर्ति को बांध कर रखा गया था.
– सिकंदरा इलाके में मूर्ति मिलने के बाद पूरे इलाके में खुशी है और सीएम नीतीश कुमार ने भी पुलिस टीम को
बधाई दी है.
मूर्ति की खास बातें
– यह मूर्ति करीब 2600 साल पुरानी है. इसकी स्थापना भगवान महावीर के गृह त्याग के बाद उनके बड़े भाई नंदीवर्धन ने की थी.
– जंगल और पहाड़ी इलाके में माैजूद इस मंदिर के प्रति जैन धर्मावलंबियों की खास आस्था है. यहां विदेशों से भी पर्यटक आते रहते हैं.
– जमुई के क्षत्रि यकुंड लछुआड़ से करीब 10 किलोमीटर दूर जन्म स्थान भगवान महावीर के पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार चल रहा है.
– नये निर्माण से मंदिर कैंपस में मौजूद सबसे वजनी और बड़ी मूर्ति अब मंदिर की चहारदिवारी में चली गयी थी. इसी मूर्ति को चोरों ने चुरा लिया था.
पुलिस के लिए चुनौती, किस गिरोह ने दिया अंजाम?
तत्काल पुलिस पहुंची, मूर्ति को कब्जे में लिया, सभी पुलिस पदाधिकारियों को सूचना दी गयी. पुलिस की बाछें खिली हुई हैं. मीडिया के लोग पहुंच गये हैं. चैनल के लोग एसपी का बाइट ले रहे हैं. मूर्ति बरामदगी की खबर फ्लैश हो रही है. सीएम नीतीश कुमार ने पुलिस टीम को बधाई दी. भागलपुर के आइजी बच्चू सिंह मीणा जमुई पहुंच गये हैं. दोपहर में एसपी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर मूर्ति बरामदगी की पूरी जानकारी दी गयी. पुलिस कहना है कि मूर्ति किस गिरोह ने चुराया था, यह पता नहीं चल सका है.
हर हाल में हो बरामदगी
आज पांच दिसंबर, 2015 है. नौ दिन बीत गये हैं, कुछ भी पता नहीं चल सका है. डीजीपी ने सुबह-सुबह भागलपुर रेंज के आइजी बच्चू सिंह मीणा से बात की. इसके बाद एसपी जयंतकांत से प्रगति रिपोर्ट मांगी गयी. आदेश मिला कि किसी तरह से मूर्ति को खोजना है. चेतावनी भी मिलती है. फोन के बाद एसपी फिर से लग जाते हैं. डीएसपी व थानेदार खैरा व सिकंदरा के साथ मीटिंग होती है. बरामदगी के लिए गठित टीम भी एसपी को रिपोर्ट देती है. अब करीब 50 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है, पर पता नहीं चला है. मंदिर वाले पहाड़ी इलाके में गाड़ी चलानेवाले चालक व उनके मालि क से भी पूछताछ हुई, पर हाथ खाली है. छापेमारी जारी है. पुलि स की रात की नींद हराम है.
एसपी साहब.. मिल गयी मूर्ति
छह दिसंबर, 2015 की सुबह. करीब पांच बजे हैं. एसपी जयंतकांत के मोबाइल फोन पर एक अनजान नंबर से फोन आता है. वह चौंक जाते हैं. सुबह-सुबह कि सका फोन हो सकता है. वह तमाम आशंकाओं के बीच फोन रिसीव करते हैं. हैलो… कहने के बाद जो सूचना मिली, वह बड़ा सकून दे ने वाली थी. एसपी साहब, मैं सिकंदरा थाना क्षेत्र के बिछवे गांव का पूर्व मुखिया नरेंद्र कुमार यादव बोल रहा हूं. साहब, मूर्ति मिल गयी है. एसपी खुश. इस तरह की खुशी एसपी साहब को तभी मि ली होगी, जब उनका एसपी पद के लिए चयन हुआ होगा. कहां मि ली, कैसे मि ली, एड्रेस बताएं, तत्काल पहुंच रहे हैं.