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आसमान में घूमने वाले एक नजर धरती की ओर भी देखो

आसमान में घूमने वाले एक नजर धरती की ओर भी देखो इंट्रोसात कहानियां और कहानियों के क्रम से कलाकार का भी क्रम बढ़ता गया. ऐसा पहली बार कालिदास रंगालय में देखने को मिला. भूमिका के रूप में सूत्रधार नाटक की कहानी के बारे में बतातें और नाटक ‘सप्तकथा-सप्तरंग’ शुरु हो जाता. सातों नाटक ऊर्दू के […]

आसमान में घूमने वाले एक नजर धरती की ओर भी देखो इंट्रोसात कहानियां और कहानियों के क्रम से कलाकार का भी क्रम बढ़ता गया. ऐसा पहली बार कालिदास रंगालय में देखने को मिला. भूमिका के रूप में सूत्रधार नाटक की कहानी के बारे में बतातें और नाटक ‘सप्तकथा-सप्तरंग’ शुरु हो जाता. सातों नाटक ऊर्दू के महान कथाकार कृश्न चंदर की कहनियों पर आधारित था. जिसे अ‌विजित चक्रवर्ती बेहद ही खूबसूरती के साथ निर्देशन किया. प्रस्तुति रंग उमंग एवं ज्योति सांस्कृतिक मंच के कलाकारों ने किया. मंच की रूप सज्जा पंकज कुमार ने दी. यह नाटक जनसृष्टि पटना द्वारा आयोजित चार दिवासीय नाट्य समारोह के अंतर्गत हुई. लाइफ रिपोर्टर, पटनाइस दुनिया से वफा, भाईचारा खत्म हो सकता है, प्यार खत्म हो सकता है. इंसानियत खत्म हो सकती है. लेकिन, गंदगी कभी खत्म नहीं हो सकती. इसी संवाद के साथ कृश्न चंदर की सात कहानियों के कोलाज कर बनाये गये नाटक की पहली कहानी ‘15 फिट लंबी दुनिया’ से शुरू होती है. इसमें एक व्यक्ति के बदलते हालात को दिखाया गया. वहीं नाटक की अंतिम प्रस्तुति ‘खिड़कियां’ भी लोगों को झकझोर देती है. अंतिम नाटक का यह संवाद ‘इंसान चांद पर जाये उसे प्राप्त कर ले, चांद पर जामा मानवता के लिए लाभदायक है. पर वे करोड़ो इंसान जिन्हें वो चांद भी नहीं मिला जो आधा पाव गीले आटे से तैयार होता है और दिन-रात के परिश्रम से उतरता है. ओ आसमान के ऊपर शून्यों में घूमने वाले एक नजर धरती की ओर भी देखों कि इंसान किस मुश्किल से उस नन्हें से चांद को ढूंढ रहा है. जिसका नाम रोटी है.’ लोगों को सोचने पर मजबूर करता है. वहीं नाटक की दूसरी प्रस्तुति ‘गीत और मैं’ में दो कलाकारों ने प्यार के बारे में बताते हुए कहता है कि प्यार का मतलब त्याग है. वहीं तिसरी प्रस्तुति ‘वजीर और बिल्ली’ है. जिसमें तीन कलाकार आज के राजनीति माहौल पर प्रहार कर अनपढ़ मंत्री के बारे में बताते हुए कहते हैं कि कैसे बिना-पढ़े लिखे लोग मंत्री बन कर विभाग संभालते हैं और सब उल्टा-पूलटा कर देते हैं. चौथी प्रस्तुति ‘पहला बिल’ जिसमें चार कलाकार यह बाताते हैं कि पूंजीपति लोग कैसे गरिबों का शेषण करते हैं. पांचवीं प्रस्तुति ‘संपेरिन’ जिसमें पांच कलाकार स्त्री की व्यथा को दर्शाता हुए यह दिखाने की कोशिश करता है कि कैसे पुरुष केवल स्त्री या महिलाओं का उपयोग करते हैं. जबकि समाज में जिने का सभी का हक बराबर है. छठी प्रस्तुति ‘खट्टे अनार-मीठे अनार’ की होती है. इसमें छह कलाकर आर्थिक आधार पर समाज को दिखाने का प्रयास किया.

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