जीवन बार-बार नहीं मिलती, मन अच्छे काम में लगाओंश्रीमद्भागवत कथा. धर्म हमारी जड़ है, इसको बढ़ावा देना समाज की जिम्मेवारी : फ्लैगदी सीख : पहले तो क्रोध करो नहीं, अगर आये तो रिएक्ट करने के पहले कुछ देर मौन रहो, गुस्सा शांत हो जायेगा संवाददाता, पटनाश्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन गांधी मैदान में श्री देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने भक्तों से कहा कि हम अपनी धर्म के प्रति सचेत नहीं हैं. शायद यही कारण है कि हम खुद के प्रति भी सचेत नहीं है. धर्म हमारी जड़ है. धर्म को बढ़ावा देना हम सभी की जिम्मेवारी है. धर्म ही प्रभु से मिलवाता है. धर्म ही है जिसकी शरण में जाने पर हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकते है. उन्होंने कहा कि जब कोई भक्ति आगे बढ़ती है, तो उसके पैर खींचने वाले बहुत होते है. यानी हम उनके बारे में घर बैठे भी 100 बुराईयां निकाल सकते है. लेकिन, हमें धर्म की मार्ग पर चलना है. इस दौरान कभी किसी पर क्रोध आये, तो तुरंत रिएक्ट करने से पहले कुछ देर शांत हो जाये, गुस्सा खुद-व-खुद खत्म हो जायेगा. उन्होंने कहा जीवन बार-बार नहीं मिलती. इसे अच्छे काम में लगाओ. लोगों का भला करो, इसका फल मिलेगा. दूसरे के लिए बुरा करोगे, बुरा सोचोगे, तो थोड़ी देर के लिए भला होगा. लेकिन, बाद में बुरा होगा. किसी सच्चे व्यक्ति, साधु या महात्मा को कभी आजमाना नहीं, वरना तुम्हें भगवान कभी भी आजमा लेंगे. भजन सुन भगवान में मग्न हुए भक्तभक्तों राधे-राधे. सुना नहीं, दोबारा कहे राधे-राधे. भक्तों ने हाथ उठाया और श्री देवकीनंदन ठाकुर ने भजन शुरू किया. पूरे पंडाल का माहौल बदल गया और भक्त झूमने लगे. तेरा दर्शन पाने को जी चाहता है, खुद को मिटाने को जी चाहता है. नजर का धोखा, इसे मिटाने को जी चाहता है. पिला दो हमें श्याम मस्ती का प्याला, मस्ती में आने को जी चाहता है. भजन के दौरान पंडाल का माहौल अदभुत था. सभी लोग मस्ती में झूम रहे थे. बस मानों सब खुद से दूर होकर प्रभु में लीन हो गये हो.अच्छे को अच्छा बनाने का क्या मतलब, अंगुलीमाल को सुधारेंउन्होंने कहा कि अच्छे को अच्छा बनाने का क्या मतलब है. जब कोई बुरा हो मार्ग से भटक गया हो, तो उसे सीधे रास्ते व भगवान की भक्ति में लाने की जरूरत है. लोग आगे बढ़ने के लिए रोज झूठ बोलते है, जो उनके हित में नहीं है और एक दिन उनका झूठ उनके ऊपर ही भारी पड़ता है. लेकिन, इसकी समझ लोगों को उस वक्त आती है, जब उसका परिवार, समाज उसे छोड़ देता है. जैसे घर को चलाने के लिए अंगुलीमाल डाकू हर दिन लूट मार करता था. एक दिन जब बुद्ध ने उस डाकू से कहा कि तुम मेरी अंगुली बेशक काट लेना. लेकिन, उससे पहले अपने परिवार से एक बार पूछ लो कि जो काम तुम कर रहे हो, उसका भार वो भी लेंगे. जब यह बात डाकू को समझ में आयी, तो वह महात्मा बन गया.
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जीवन बार-बार नहीं मिलती, मन अच्छे काम में लगाओं
जीवन बार-बार नहीं मिलती, मन अच्छे काम में लगाओंश्रीमद्भागवत कथा. धर्म हमारी जड़ है, इसको बढ़ावा देना समाज की जिम्मेवारी : फ्लैगदी सीख : पहले तो क्रोध करो नहीं, अगर आये तो रिएक्ट करने के पहले कुछ देर मौन रहो, गुस्सा शांत हो जायेगा संवाददाता, पटनाश्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन गांधी मैदान में श्री देवकी […]
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