35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शराब कर रही जिंदगी बर्बाद

शराब कर रही जिंदगी बर्बाद संवाददाता, पटना कभी-कभी शराब इनसान का वह हाल कर देता है कि वह किसी लायक नहीं रहता है. अगर समय से सतर्क न हों और शराब को न छोड़ें तो उसका हर कुछ बरबाद हो जाता है. हमारे आस-पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे, जिनमें शराब के कारण पूरा परिवार […]

शराब कर रही जिंदगी बर्बाद संवाददाता, पटना कभी-कभी शराब इनसान का वह हाल कर देता है कि वह किसी लायक नहीं रहता है. अगर समय से सतर्क न हों और शराब को न छोड़ें तो उसका हर कुछ बरबाद हो जाता है. हमारे आस-पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे, जिनमें शराब के कारण पूरा परिवार खत्म हो गया. शुरू में तो पता ही नहीं चलता है कि शराब के कारण ऐसा हो रहा है. भले टेंशन को दूर करने और दिमाग में किसी तरह की बातें नहीं आने के कारण शराब का नशा लोग करते हैं, लेकिन यह हमारे लिए साइलेंट किलर की तरह काम करता है. आज हम ऐसे ही एक शख्स की कहानी उन्हीं की जुबानी पढ़ेंगे, जिनका सब कुछ ख्त्म हो जाने के बाद उन्हें होश आया. मैंने शराब छोड़ी, तो पटरी पर लौटी जिंदगीशराब का नशा था. शराब पीना शुरू किया, तो नहीं समझा कि यह मेरी पूरी जिंदगी बरबाद कर देगा. एक समय था, जब मेरे पास जमीन के साथ पूरा परिवार था. मैं अधिक पढ़ा लिखा नहीं हूं. पिता जी की परचून की दुकान थी. इकलौता बेटा था. सोचा अपना बिजनेस ही आगे बढ़ायेंगे, इसलिए ग्रेजुएशन करने के बाद मैं दुकान पर बैठने लगा. अभी तक मैं कभी-कभार ही शराब पीता था, लेकिन दुकान पर अकेले बैठने के कारण दोस्तों का आना-जाना होने लगा. एक बार नये साल के सेलिब्रेशन के लिए दोस्त जबरदस्ती मुझे बाहर लेकर गये. वहां पर शराब की पार्टी थी. इसके बाद यह सिलसिला अक्सर होने लगा. कई बार तो दुकान पर ही हम शराब पीने लगे. ऐसे में ग्राहक भी कम होने लगे. लोग डर से दुकान पर नहीं आते थे. शराब पीने के कारण मेरा खर्च भी बढ़ने लगा. आमदनी घटने लगी और खर्च बढ़ने लगा. मेरे पिता जी परेशान होने लगे. घर का माहौल खराब हो गया. इस दुकान से ही घर चलता था. ऐसे में हमें घर की हालत खराब होने लगी. जमीन बेच कर मैं शराब पीने लगा. यह सब देख कर मेरे पिता जी का हार्ट अटैक हो गया. इसके बाद मुझे होश आया. लेकिन, तब तक मेरा सारी जमीन जा चुकी थी, लेकिन मेरी पत्नी ने मेरा साथ दिया. उसने मेरा इलाज करवाया, क्योंकि मैं अब शराब को हाथ भी नहीं लगाना चाहता था. फिर से मैंने अपनी जिंदगी शुरू की है. दुकान को दुबारा शुरू किया हूं. मनोज (बदला हुआ नाम)कोटशराब उसी का अच्छे से छूट जाती है, जो खुद छोड़ना चाहता है. ऐसे में हम अपनी ओर से मरीज की मदद करते हैं. ऐसे में अगर परिवार का साथ मिलता है, तो और भी जल्दी शराब छूट जाती है. क्योंकि, ऐसे समय में मरीज को कोई डर या भय नहीं होता है.डाॅ विवेक विशाल, संचालक, हितैषी हैप्पीनेस होम\\\\B

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें