पटना : राजधानी में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए अब आपको ऑटो व सिटी बसों में धक्का खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. जी हां, राजधानी की सड़कों पर जल्द ही 300 नयी टाटा बसें दौड़ती नजर आयेंगी.
इनमें से आधी बसे शहरी व आधी आस-पास के इलाकों में चलायी जायेंगी. लेकिन एक परेशानी ये है कि पहले से ही चरमराई ट्रैफिक व्यवस्था पर इन 300 बसों का बोझ और बढ़ जायेगा. नयी बसों को शहर की सड़कों पर व्यवस्थित ढंग से चलाना प्रशासन के बड़ी चुनौती होगी.
पार्किग व स्टॉपेज पर ध्यान देने की जरूरत : शहर में कई ऐसे प्वाइंट हैं, जहां पर व्यावसायिक वाहनों के लिए पार्किग व स्टॉपेज की सुविधा तक नहीं है. इसकी वजह से स्टेशन गोलंबर, गांधी मैदान, बोरिंग रोड, गायघाट सहित कई जगहों पर आज भी जाम की स्थिति बनी रहती है.
अधिकांश रूटों के लिए व्यावसायिक वाहन स्टेशन गोलंबर से ही खुलते हैं. ऐसे में 32 सीटर या उससे अधिक क्षमता के नयी बस चलने पर यहां ट्रैफिक जाम की परेशानी बढ़ सकती है. इसके लिए सबसे पहले प्रशासन को पार्किग व स्टॉपेज का हल निकालना होगा.
संकरी सड़कों पर नहीं मिलेगा लाभ : शहर की कई रूट पर सड़कें अतिक्रमित होने की वजह से काफी सिकुड़ गयी हैं. ऐसी सड़कों पर महज एक ऑटो के खड़े होने पर पीछे लंबा जाम लग जाता है. ऐसी स्थिति में इन रूटों पर लो फ्लोर या बड़ी बसों का लाभ नहीं मिल सकेगा. बेली रोड, पुरानी कंकड़बाग रोड, बाइपास, खगौल व फुलवारीशरीफ रूट पर ही नयी बसें चल सकेंगी.
टाटा की यह गाड़ियां हैं उपलब्ध : टाटा कंपनी के पास एसी व नॉन एसी में 20 से लेकर 67 सीटर गाड़ियां उपलब्ध है. आम तौर पर शहरों में टाटा कंपनी की 24, 32 व 40 सीट की स्टार बस या मार्कोपोलो बस ही चलती है. नुरूम के तहत पटना में चलायी जानेवाली बस 24 और 32 सीट की होंगी.
32 सीटर बस की लंबाई 8150 एमएम व 24 सीटर बस की लंबाई 6870 एमएम होती है. इनकी चौड़ाई 2200 एमएम के लगभग होती है. राजधानी की कई रूटों पर इन बसों को चलाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी.