पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षणलाइफ रिपोर्टर पटनागांधी मैदान में लगे पटना बुक फेयर में ‘मेड इन इंडिया’ का स्टॉल लगाया गया है. इस स्टॉल में देश के 10 से अधिक राज्यों के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकारों की कृतियां देखने और खरीदने को मिल रही हैं. सोमवार को हमने चार कलाकारों से आपको मिलवाया. आज कुछ और से मिलें. मधुबनी पेंटिंगमधुबनी पेंटिंग बिहार के साथ-साथ कई राज्यों में फेमस है. इसलिए मेड इन इंडिया द्वारा यहां मधुबनी पेंटिंग की कला को भी दर्शाया जा रहा है. यहां मधुबनी पेंटिंग को बनाते हुए राज्य पुरस्कार से सम्मानित रेहमत कहते हैं कि मैं 8 साल की उम्र से मधुबनी पेंटिंग का शौक था. क्योंकि यह मेरे पूर्वजों से चला आ रहा है. इस बार स्टॉल में 200 से 25000 रुपये तक की पेंटिंग मिल रही है, जिसमें मधुबनी पेंटिंग और कैनवास मौजूद है. मधुबनी पेंटिंग में हम देवी-देवताओं की पेंटिंग बनाते हैं. पहले की अपेक्षा मधुबनी पेंटिंग की डिमांड बढ़ते जा रही है इसलिए कलाकारों को देश और विदेश में सम्मान पाने का मौका मिल रहा है.एक दिन में 20 से ज्यादा स्केचिंग कर सकते हैंबुक फेयर में एक ओर जहां कई लोग अपनी पसंद की किताबें खरीदने में बीजी हैं. वहीं कई लोग खुद की स्केचिंग कराने में बीजी हैं. लोग यहां नंबर लगा कर खुद को पन्ने पर उतार रहे हैं. लोगों को 10 मिनट पर ऑन द स्पॉट स्केचिंग कर देने के लिए यहां रवि भूषण सुबह से शाम तक मौजूद रहते हैं, जो लोगों के ऑर्डर पर उनका स्केच बनाया जाता है. इस बारे में वे कहते हैं कि हम आठ साल की उम्र से स्केचिंग करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अगर टाइम मिला, तो हम एक दिन में हम 20 से ज्यादा स्केचिंग कर सकते हैं. बुक फेयर में पिछले 8 सालों से लोगों का स्केचिंग करते आ रहे हैं. यहां बच्चों से लेकर बड़े तक हर उम्र के लोग अपनी स्केचिंग बनवाने में व्यस्त हैं. बुक फेयर के अलावा वे इको पार्क जैसे जगहों पर भी मिलते हैं.शादी एवं त्योहारों पर आधारित हैं सभी पेंटिंग्समध्यप्रदेश की रहनेवाली छोटी टीकम कला गोंड के लिए काफी प्रसिद्ध है. इनका कहना है कि हमारे खानदान में सदियों से कलाकारी की परंपरा चलती आ रही है. परिवार के ज्यादातर लोग इस कला से जुड़े है. गांव में रहने के कारण पेंटिंग के प्रति लगाव हो गया, जिसमें राजस्थानी, गुजराती के साथ मधुबनी पेंटिंग का इस्तेमाल भी किया जाता है. शादी-विवाह एवं पर्व त्योहार पर आधारित सभी पेंटिंग्स बनायी गयी हैं. प्रत्येक पेंटिंग को इसी मकसद से बनाया जाता है कि शादी-विवाह में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जा सके. इस पेंटिंग के जरिये गांव के कल्चर को दिखाया गया है. दीवार, साड़ी, लकड़ी, कपड़ा, कागज, कैनवास आदि पर यह पेंटिंग की जा सकती है. इसमें नेचुरल कलर का इस्तेमाल किया जाता है. स्टॉल में 200 से 1000 रुपये तक के पोस्टर मौजूद हैं.पत्थर को काट कर देते हैं आकारजयपुर के जय सूर्या अपने मूर्तिकला के लिए काफी प्रसिद्ध है. बचपन से ही उन्हें मूर्ति बनाने का शौक था. करीब 10 सालों से वे जयपुर में मूर्ति बना रहे हैं. मार्बल सॉफ्ट स्टोन, ग्रेनाइट पर वे काफी खूबसूरत से नक्काशी करते हैं. इस पर आर्टिफिशियल डायमंड कटर की मदद से नक्काशी की जाती है. पत्थर को कप, प्लेट, ज्वेलरी बौक्स आदि का आकार दे कर नक्काशी की गयी है. वहीं लकड़ी की मदद से भगवान बुद्ध की मूर्तियां बनायी गयी है, जिसे बोध गया में सप्लाई भी किया जाता है. स्टॉल में 500 से 2000 रुपये तक की मूर्तियां मौजूद हैं.वारली पेंटिंग की डिमांड ज्यादामहाराष्ट्र के संदेश चिंटू का कहना है कि बचपन से ही मैं गांव में रहा. इस कारण गांव की हर एक गतिविधियों को मैं जानता हूं इसलिए पेंटिंग में गांव के दृश्य को दिखाने की कोशिश करता हूं. इसे वारली पेंटिंग कहते हैं. इसके जरिये काफी खूबसूरत डिजाइन में गांव-घर के दृश्य को दिखाया गया है. पेंटिंग में नेचुरल कलर का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें चावल, गोबर, मिट्टी, काेयला के इस्तेमाल से पेंटिंग बनायी गयी है. हमारे यहां करीब 25 सालों से पेंटिंग बनायी जा रही है. स्टॉल में 100 से 7000 रुपये की पेंटिंग है. दीवार, कपड़ा एवं कागज पर यह बनायी जाती है, जिसकी डिमांड दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षण
पुस्तक मेला में मेड इन इंडिया का आकर्षणलाइफ रिपोर्टर पटनागांधी मैदान में लगे पटना बुक फेयर में ‘मेड इन इंडिया’ का स्टॉल लगाया गया है. इस स्टॉल में देश के 10 से अधिक राज्यों के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कलाकारों की कृतियां देखने और खरीदने को मिल रही हैं. सोमवार को हमने चार कलाकारों से […]
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