35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कथक की कला सीखा गयीं शोभना

कथक की कला सीखा गयीं शोभनालाइफ रिपोर्टर पटनाअपने दाये हाथ को आगे करो, आंखों को ऐसे नचाओ, दायें पैर को सामने लाओ…. छुटकू, तुम आगे आओ… बड़कू, तुम पीछे खड़े रहो… कुछ इसी तरह बच्चियों को प्यार से दिये गये नाम छुटकू, बड़कू कहते हुए पद्मश्री शोवना नारायण उन्हें कथक सीखा रही थीं. बच्चे भी […]

कथक की कला सीखा गयीं शोभनालाइफ रिपोर्टर पटनाअपने दाये हाथ को आगे करो, आंखों को ऐसे नचाओ, दायें पैर को सामने लाओ…. छुटकू, तुम आगे आओ… बड़कू, तुम पीछे खड़े रहो… कुछ इसी तरह बच्चियों को प्यार से दिये गये नाम छुटकू, बड़कू कहते हुए पद्मश्री शोवना नारायण उन्हें कथक सीखा रही थीं. बच्चे भी उनसे टिप्स लेने को काफी उत्सुक दिखे. यह नराजा देखने को मिला रविवार सुबह नटराज कला मंदिर की शाखा शोभना नारायण कथक एकेडमी में. यहां स्टूडेंट्स को कथक सिखाने के लिए मशहूर कथक डांसर गुरु शोभना नारायण मौजूद थी. यहां दो दिवसीय वर्कशॉप में उन्होंने बच्चियों को ट्रेनिंग दी. उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि हाथ घुमाने में कोमलता होनी चाहिए. हर मूवमेंट में खूबसूरती के साथ शक्ति होनी चाहिए, नहीं तो नृत्य प्रभावी नहीं बन पायेगा. मौके पर कथक नृत्यांगना अंजुला कुमारी को भी उन्होंने हरिहर परू, नाग परण, रूद्राष्टक के साथ यशोधरा के ऊपर भाव नृत्य बताया. यहां तबले पर श्याम शर्मा मौजूद थे. शोभना नारायण से खास बातचीत- पढ़ाई और कथक को रखा पैरलल शोवना नारायण ऐसी कलाकार हैं, जिन्होंने कथक में मुकाम हासिल करने के साथ-साथ पढ़ाई में भी प्रतिभा साबित की है. उन्होंने कोई आसान सब्जेक्ट नहीं, बल्कि फिजिक्स जैसे हार्ड सब्जेक्ट से पीएचडी की है. इस बारे में वे कहती हैं कि वैसे तो मैं ढाई साल से ही नृत्य करने लगी थी और 4 साल की उम्र में परफॉर्मेंस भी देना शुरू कर दिया था, लेकिन मेरा जितना इंट्रेस्ट कथक में था, उतना ही पढ़ाई में भी था. इसलिए मैंने फिजिक्स और मैथ जैसे सब्जेक्ट से आगे की पढ़ाई की. पीएचडी के बाद 1976 में सिविल सर्विस हासिल किया. उसके बाद मैंने 2011 तक नौकरी भी की. मैंने अपने कथक और नौकरी को पैरलल रखा. नौकरी होने के साथ-साथ परफॉरमेंस भी देने जाया करती थी. बेटा स्पोर्ट्स का शौकीन हैशोवना अपने बेटे के बारे में कहती हैं कि मेरा बेटा ईशान मेरे लिए बहुत अच्छा क्रिटिक्स है. वह स्पोर्ट्स में भी आगे हैं. उसे वह बहुत अच्छा फुटबॉल खेलता है. मेरी कथक की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मेरे शिष्य हैं. वह भी मेरा परिवार ही है. मैं चाहती हूं कि मेरे जितने भी शिष्य हैं, वो कथक की परंपरा को आगे बढ़ाएं. मैंने एक ही पति से तीन बार की शादीशोवना नारायण अपने मैरेड लाइफ के बारे में बताती है कि स्टूडेंट लाइफ में ही मेरे और मेरे पति की मुलाकात हुई थी. वे भारत में अॉस्ट्रिया के राजदूत थे. उन्हें मेरा पढ़ाई और कथक को साथ-साथ ले कर चलने का अंदाज पसंद आया. फिर हम लोगों में दोस्ती हुई. इसके बाद शादी. पहले कोर्ट मैरेज की. इसके बाद फेरे लिये और अंत में चर्च में शादी की. हम लोगों में लॉन्ग डिस्टेंस लव हुआ और शादी के बाद भी बहुत समय ऐसे ही रहे. तीन महीनों में 15 दिन मिलने का मौका मिलता था. चिट्ठी लिख-लिख कर बातें किया करते थे हम. कलाकार अंतिम समय तक कलाकार रहता हैशोवना नारायण ने कहा, कलाकार अंतिम समय तक कलाकार रहता है. मैं आखिरी समय तक कथक करती रहूंगी. जब उनसे पूछा गया कि आजकल के बच्चे क्लासिकल डांस से ज्यादा वेस्टर्न डांस से जुड़ना क्यों चाहते हैं? तो उन्होंने कहा कि जो वेस्टर्न डांस से शुरुआत करते हैं, वे डांस को समझ नहीं पाते. क्योंकि लंबे समय तक डांस में आगे बढ़ने के लिए क्लासिकल डांस का ज्ञान लेना बहुत जरूरी है. इससे कई तरह के भावों का ज्ञान मिलता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें