पांच साल पहले जहां थे, आज भी वहीं खड़े- पांच साल में चौथी बार मेयर की चेयर संभालेंगे अफजल, पर शहर की नहीं बदली तसवीर- आज भी वही प्राथमिकता जो पांच साल पहले रही, परेशान हाल में रह रहे शहरवासीसंवाददाता, पटनाअफजल इमाम जल्द ही चौथी बार मेयर की चेयर संभाल लेंगे. पहली बार जब उन्होंने वर्ष 2010 में मेयर की कुरसी संभाली थी, तब शहर की सूरत बदलने का वायदा किया था, लेकिन पांच साल बाद भी शहर बदहाल सा ही दिखता है. शहर में जहां-तहां कूड़े-कचरे के बिखरे ढ़ेर, बेतरतीब पार्किंग, अव्यवस्थित शहर अब भी पुराने दिनों की ही याद दिलाते हैं. ठोस कचरा प्रबंधन की योजना लंबे समय से फाइलों में दबी पड़ी है. पैसे रहते आमलोगों को सप्लाइ का गंदा पानी पीना पड़ रहा है. कचरा ले जाते सड़े ट्रैक्टर अब भी नगर निगम के पुराने दिनों की याद दिलाते हैं. एक ही उम्मीद बची है कि अफजल अब जब चौथी बार कुरसी संभालेंगे तो अगले एक साल विकास पर ध्यान देंगे, क्योंकि वर्ष 2017 में निगम के चुनाव होंगे और वहां पर उनको पार्षदों के समक्ष नहीं, बल्कि जनता के सामने हिसाब देना होगा. दो बार लगाया गया अविश्वास प्रस्तावअफजल इमाम के पांच साल का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव और विवादों से भरा रहा है. वर्ष 2010 में मेयर पद के लिए हुए मध्यावधि चुनाव में पहली बार चुने गये. इसके बाद वर्ष 2012 में वार्ड पार्षद व मेयर चुनाव हुआ, जिसमें दुबारा अफजल इमाम मेयर चुने गये. मेयर चुनाव के दो वर्ष पूरा होने पर मई 2014 में विपक्षी पार्षदों ने अफजल इमाम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लगाया. इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आयोजित बैठक में अफजल का सिक्का जमा रहा, लेकिन जुलाई 2015 में आयोजित अविश्वास प्रस्ताव बैठक में अफजल को हार का सामना करना पड़ा. मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गयी, जिसमें अफजल इमाम उम्मीदवार बने और चुनाव में सर्वाधिक वोट प्राप्त किया. हाइकोर्ट के फैसले के बाद अफजल इमाम का मेयर बनना तय हो गया है. अफजल इमाम ने जब-जब मेयर पद की शपथ ली है, तब तब प्राथमिकता में पीने के पानी, शहर की सफाई और जलजमाव की समस्या को दूर करना रहा. पिछले पांच वर्षों में मेयर वहीं रहे और आठ नगर आयुक्त पदभार ग्रहण किया, लेकिन शहरवासियों को कुछ नहीं मिला. आखिर मेयर साहब ने जो प्राथमिकता तय किये थे, उन प्राथमिकता को आखिर कौन अंत करेगा. ठोस कचरा प्रबंधन योजना ठोस कचरा प्रबंधन योजना के तहत भारत सरकार से वर्ष 2008 में 26 करोड़ रुपया स्वीकृत किया गया. इस योजना के तहत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, कचरा के ट्रांसपोर्टेशन और कचरा के रिसाइकिलिंग करना था. इसको लेकर दिसंबर 2009 में ए-टू-जेड नामक एजेंसी को चयनित किया गया, जिसने ड़ेढ़ वर्ष तक कार्य किया. ए-टू-जेड कंपनी को निगम प्रशासन ने एक रुपये का भुगतान नहीं किया, जिससे एजेंसी कार्य छोड़ दिया. इसके बाद से योजना लटकी ही हुयी है. रिसाइकिलिंग प्लांट के लिए एजेंसी चयनित हो गया है. सफाई उपकरण की खरीद में सिर्फ छह उपकरण खरीदा गया है और आठ उपकरण को खरीदना है. डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर अब तक एजेंसी चयनित नहीं किया जा सका है. जलापूर्ति योजना निगम क्षेत्र में शुद्ध पीने के पानी की बड़ी समस्या है. गरमी के दिनों में अधिकतर इलाकों में सप्लाई पानी घरों में नहीं पहुंचता है. इसके साथ ही पंप हाउस भी हांफने लगता है. इस समस्या को दूर करने के लिए मेयर अफजल इमाम ने प्राथमिकता के आधार पर दूर करने का संकल्प लिया था. विभाग ने जलापूर्ति योजना को बुडको से पूरा कराने का निर्णय लिया. इस निर्णय के आलोक में बुडको ने 537 करोड़ की योजना बनायी और सौ करोड़ खर्च भी हुआ, लेकिन योजना पूरा नहीं की गयी. भारत सरकार ने इस योजना की राशि भी वापस मांग लिया है. अब जलापूर्ति को लेकर दूसरी याेजना तैयार करने की कवायद की जा रही है. ड्रेनेज व सीवरेज योजना मॉनसून के दौरान निगम क्षेत्र में जलजमाव समस्या भी एक बड़ी समस्या है. इसके साथ ही सीवरेज लाइन भी ठीक नहीं है, जिससे शहर के गंदा पानी गंगा नदी में प्रवाहित हो रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए 26 सौ करोड़ की योजना बनायी गयी. इस योजना को नगर आवास विकास विभाग ने बुडको से पूरा कराने का निर्णय लिया. बुडको ने डीपीआर तैयार कर निगम बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसे बोर्ड ने मंजूरी दी थी. योजना के डीपीआर की मंजूरी मिलने के बाद एक कदम आगे नहीं बढ़ा है. वहीं, मेयर साहब भी अपने ओर से कोई प्रयास नहीं किया. स्थिति यह है कि ड्रेनेज-सीवरेज योजना फाइलों में ही दबी है. फॉगिंग मशीन की खरीदारी निगम क्षेत्र में मच्छर का प्रकोप भी भयावह है. स्थिति यह है कि पिछले दो वर्षों से डेंगू मरीजों की संख्या में काफी बढ़ गयी है, लेकिन निगम क्षेत्र में मच्छर मारने की दवा का छिड़काव नहीं होता है. इसका कारण है कि निगम के पास पर्याप्त फॉगिंग मशीन नहीं है. मेयर ने वर्ष 2012 में छोटा फॉगिंग मशीन खरीदने का निर्णय लिया. इस निर्णय के आलोक में निगम प्रशासन ने ऐसे मशीन की खरीद किया, जो एक वर्ष में ही खराब हो गया. इसके बाद से खराब फॉगिंग मशीन को नहीं दुरुस्त किया गया और नहीं नये मशीन की खरीदारी किया जा सका.मुहल्लों में स्ट्रीट लाइट की योजना निगम क्षेत्र में 72 वार्ड है, इन वार्डों की गलियों में स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना बनायी गयी. इस योजना को बनाने के उद्देश्य था कि शाम होते ही गलियों में अंधेरा पसर जाता है, जिससे असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाता है. इस योजना को पूरा करने के लिए वार्ड स्तर पर स्ट्रीट लाइट लगाने की कवायद शुरू की गयी. गलियों में स्ट्रीट लाइट लगा भी, लेकिन पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में भी निगम क्षेत्र के मुहल्लों की गलियों में शाम होते अंधेरा पसर जाता है.
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पांच साल पहले जहां थे, आज भी वहीं खड़े
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