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ताबूत देख गमगीन हुआ मंजर
पटना सिटी: … हसन-हुसैन दोनों ही मेरे फूल हैं,इनके रोने से तकलीफ होती, …करबला के शहीदों की यूं याद मनाते हैं, बहत्तर का ताबूत उठाते हैं,…शब्बीर की शहादत एक ऐसी दासता है, सिमटे तो करबला है, फैले तो दो जहां है, मुद्दत हुई जले थे कुछ बेकसों के खेमें, अब तक यजीदयत का चेहरा धुआं-धुआं […]
पटना सिटी: … हसन-हुसैन दोनों ही मेरे फूल हैं,इनके रोने से तकलीफ होती, …करबला के शहीदों की यूं याद मनाते हैं, बहत्तर का ताबूत उठाते हैं,…शब्बीर की शहादत एक ऐसी दासता है, सिमटे तो करबला है, फैले तो दो जहां है, मुद्दत हुई जले थे कुछ बेकसों के खेमें, अब तक यजीदयत का चेहरा धुआं-धुआं है. …मेरे हुसैन पर हुए जुल्म को याद कर रोये -रुलाये उसे जन्नत वाजिब. कुछ इसी तरह से करबला के शहीदों का दर्द सुनते गमगीन मंजर के बीच जायरीनों की आंखें नम हो गयी थीं. मौका था गुरुवार को गुलजारबाग इमाम वारगाह इमाम बंदी बेगम वक्फ स्टेट में निकाले गये बहत्तर ताबूत जुलूस का. हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 अंसारों की शहादत का जिक्र जब एक के बाद एक आरंभ हुआ,तब उपस्थित जायरीन की आंखें नम हो गयीं. अब्दुल हसन सुलैमानी ने सबसे पहले तलावते- कलाम-पाक से शुरुआत की.
इसके बाद सैयद जररार हुसैन ने सोजखानी व सैयद फररुख हुसैन नकवी ने मर्सिया पढ़ा. मजलिस में अली जनाब मौलाना सैयद हुसैन रिजवी ने तकरीर की. फिर शुरू हुई एक-एक कर शहीदों के शहादत की गाथा. बहत्तर ताबूत के मंजर को जीवंत करते मौलाना सैयद कैसर जौनपुरी ने जब एक-एक शहीदों का जिक्र करते और उनका ताबूत निकाल उपस्थित जायरीनों के बीच लाया जाता, तब जायरीन की आंसू और तेज हो जाती. यह सिलसिला अली अकबर के ताबूत से लेकर छह माह के अली असगर के झूला लेकर लोग बाहर आये, तब उपस्थित महिलाएं व बच्चों के आंसू और तेज हो गया. करबला के आखिरी शहीद हजरत इमाम हुसैन तक का ताबूत निकाला गया. अंत में मुसा अली हाशमी ने सलाम पेश किया.
19 वर्षों का है सफर
72 ताबूत आयोजन समिति से जुड़े सैयद हादी हसन, मिर्जा, इम्तेयाज हैदर, सैयद अमानत अब्बास और सैयद असगर इमाम ने बताया कि 19 वर्षों से यह आयोजन हो रहा है. इन लोगों के अनुसार वर्ष 1998 से इसकी शुरुआत की गयी है. इस तरह का आयोजन बिहार में अकेले होता है. इसमें शामिल होने के लिए देश के उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड व सूबे के विभिन्न जिलों से जायरीन और मौलाना आते हैं. बहतर ताबूत का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा.
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