राजधानी में नियमित फॉगिंग नहीं हो रही है, जिससे पूरे निगम क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. आलम यह है कि शाम होते ही मच्छरों के कारण घरों में आराम से बैठना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है. इसके बावजूद निगम प्रशासन किसी मुहल्ले में फॉगिंग नहीं करवा रहा है. मजबूरन लोगों को अपने-अपने घरों में मॉसक्यूटो क्वायल जलाना पड़ता है, ताकि आराम में घर में बैठने के साथ-साथ डेंगू व मलेरिया जैसे बीमारी से बच सके. तीन वर्ष पूर्व निगम प्रशासन ने 59 फॉगिंग मशीनें खरीदी, लेकिन उसी वर्ष एक-एक कर सभी फॉगिंग मशीनें खराब हो गयीं और आज तक उनको दुरूस्त नहीं किया गया है. आलम यह है कि निगम के पास सिर्फ तीन फॉगिंग मशीनें बची हैं, जिनमें से नूतन राजधानी अंचल में दो और बांकीपुर अंचल में एक मशीन है. इन मशीनों से सिर्फ वीवीआइपी और वीआइपी इलाकों में ही फॉगिंग करायी जा रही है. फॉगिंग के संबंध में निगम के किसी पदाधिकारी से सवाल करने पर वे एक ही बात कहते हैं कि मशीन ही नहीं है, तो फॉगिंग कहां से करायी जायेगी.
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नगर निगम को मार गया डेंगू का डंक
पटना: पिछले ढाई-तीन माह में राजधानी में एक हजार से अधिक डेंगू मरीज मिले. इसे लेकर शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निगम प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में रोटेशन पर मच्छर मारने की दवा का छिड़काव कराया, लेकिन धीरे-धीरे फाॅगिंग का काम सुस्त पड़ गया. स्थिति यह है कि ठंड आ जाने के […]
पटना: पिछले ढाई-तीन माह में राजधानी में एक हजार से अधिक डेंगू मरीज मिले. इसे लेकर शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निगम प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में रोटेशन पर मच्छर मारने की दवा का छिड़काव कराया, लेकिन धीरे-धीरे फाॅगिंग का काम सुस्त पड़ गया. स्थिति यह है कि ठंड आ जाने के बावजूद डेंगू मरीज मिल रहे हैं. अब मलेरिया के मच्छर का भी प्रकोप बढ़ना शुरू हो गया है, लेकिन निगम प्रशासन द्वारा सिर्फ कार्ययोजना तैयार की गयी है, लेकिन इसे धरातल पर उतारने की कार्रवाई अब तक नहीं की गयी है.
राजधानी में नियमित फॉगिंग नहीं हो रही है, जिससे पूरे निगम क्षेत्र में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. आलम यह है कि शाम होते ही मच्छरों के कारण घरों में आराम से बैठना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है. इसके बावजूद निगम प्रशासन किसी मुहल्ले में फॉगिंग नहीं करवा रहा है. मजबूरन लोगों को अपने-अपने घरों में मॉसक्यूटो क्वायल जलाना पड़ता है, ताकि आराम में घर में बैठने के साथ-साथ डेंगू व मलेरिया जैसे बीमारी से बच सके. तीन वर्ष पूर्व निगम प्रशासन ने 59 फॉगिंग मशीनें खरीदी, लेकिन उसी वर्ष एक-एक कर सभी फॉगिंग मशीनें खराब हो गयीं और आज तक उनको दुरूस्त नहीं किया गया है. आलम यह है कि निगम के पास सिर्फ तीन फॉगिंग मशीनें बची हैं, जिनमें से नूतन राजधानी अंचल में दो और बांकीपुर अंचल में एक मशीन है. इन मशीनों से सिर्फ वीवीआइपी और वीआइपी इलाकों में ही फॉगिंग करायी जा रही है. फॉगिंग के संबंध में निगम के किसी पदाधिकारी से सवाल करने पर वे एक ही बात कहते हैं कि मशीन ही नहीं है, तो फॉगिंग कहां से करायी जायेगी.
पद खाली रहने से नहीं हो रही बैठक
मार्च-अप्रैल में निगम प्रशासन ने बड़ी 10 फॉगिंग मशीनों के खरीदने को लेकर प्रस्ताव बनाया, जिन्हें स्थायी समिति व निगम बोर्ड से मंजूरी दी गयी. इसके बाद निगम प्रशासन ने टेंडर निकाला, लेकिन टेंडर में कोई एजेंसी शामिल नहीं हुआ. इसके बाद नगर आयुक्त ने विभाग से 10 फॉगिंग मशीनों की मांग की, तो विभाग ने खुद खरीदने का निर्देश दिया. अब निगम में मेयर व डिप्टी मेयर के पद खाली हैं, जिससे बोर्ड की बैठक नहीं हो रही है. इससे मामला अटका हुआ है.
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