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मृत व्यवसायी की पत्नी ने ठीक होने पर दिया बयान झूठ बोल रहा है बिल्डर, 24 लाख भुगतान के बाद भी नहीं दिया फ्लैट

पटना : व्यवसायी संजय कुमार अग्रवाल की पत्नी शैला अग्रवाल से बुद्धा कॉलोनी पुलिस ने बयान लिया है. उसने बताया कि फ्लैट के लिए 24 लाख 51 हजार 161 रुपये देना था. पूरा भुगतान किया गया है. बिल्डर झूठ बोल रहा है. पैसा देने के बाद भी फ्लैट नहीं दे रहा था. एक तरफ कर्ज […]

पटना : व्यवसायी संजय कुमार अग्रवाल की पत्नी शैला अग्रवाल से बुद्धा कॉलोनी पुलिस ने बयान लिया है. उसने बताया कि फ्लैट के लिए 24 लाख 51 हजार 161 रुपये देना था. पूरा भुगतान किया गया है. बिल्डर झूठ बोल रहा है. पैसा देने के बाद भी फ्लैट नहीं दे रहा था. एक तरफ कर्ज का प्रेशर, दूसरी तरफ बिल्डर प्रभात वर्मा और उसके भाई की धमकी. दोनों से हमलोग तंग आ गये थे. घुट-घुट कर जीने से अच्छा मर जाना होता है. हमलोग फ्लैट को लेकर काफी तनाव में थे.

रात-रात भर नींद नहीं आती थी. फिर हम लोगों ने सुसाइड करने की सोची. दरअसल पाटलिपुत्रा के रुबन हॉस्पिटल में इलाजरत शैला को शनिवार की देर रात अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. उनकी हालत में सुधार आ गया. डॉक्टर ने टेंशन नहीं लेने की सलाह दी है. समय से भोजन-नाश्ता और दवा लेने को कहा गया है. रात में घर आने के बाद रविवार को बुद्धा कॉलोनी पुलिस उनसे बयान लेने के लिए दोपहर करीब 12 बजे पहुंची. लेकिन, घरवालों ने सेकेंड हाफ में बुलाया. इस पर दोबारा पुलिस शाम में गयी. इस दौरान शैला अग्रवाल ने पुलिस को बयान दिया.

प्रभात खबर को लोगों ने िकया फोन
ठगी के अलग-अलग हथकंडे अपना रहे बिल्डर
पटना. कदमकुआं के रविरंजन ने वर्ष 2011 में खगौल के पास एक फ्लैट बुक कराया. फ्लैट के लिए उन्होंने बिल्डर को अलग-अलग किश्तों में राशि दी. दो साल में उनको फ्लैट का पोजेशन सौंपा जाना था, लेकिन चार साल बाद भी उनको फ्लैट पर कब्जा नहीं मिला है. यही नहीं, उनको फ्लैट खरीदने के लिए बैंक से उठाये गये लोन के ब्याज के साथ ही किराये के मकान का अतिरिक्त बोझ भी सहन करना पड़ रहा है. यह स्थिति अकेले रवि रंजन की नहीं है. उनके जैसे सैकड़ों लोग बिल्डरों की मनमानी का शिकार होकर परेशान हो रहे हैं.
बुक कराने के साथ ही मनमानी शुरू : फ्लैट बुक कराने के साथ ही बिल्डरों की मनमानी शुरू हो जाती है. बुक कराने के समय ग्राहक को बतायी गयी रकम हैंडओवर करते-करते काफी बढ़ जाती है. बिल्डर ही ग्राहक को लोन दिलाने में मदद भी करते हैं. बिल्डरों द्वारा ग्राहक से एग्रीमेंट कर रकम तय कर लिये जाने के बाद भी नये-नये शुल्क मांगे जाते हैं.
अलग से बेचते पार्किंग स्पेस : फ्लैट की कुल राशि का भुगतान हो जाने के बावजूद बिल्डर डेवलपमेंट चार्ज के नाम पर अधिक राशि वसूलने का काम करते हैं. इसके बाद लिफ्ट चार्ज, पार्किंग चार्ज और मेंटेनेंस चार्ज के नाम पर भी अलग-अलग पैसे लिये जाते हैं. एग्रीमेंट में इसका कोई जिक्र तक नहीं होता.
बीच में ही बढ़ा देते हैं एग्रीमेंट राशि : कई बार बिल्डरों द्वारा बीच में ही लागत भी बढ़ा दी जाती है. राशि नहीं देने पर पोजेशन लटका कर रखा जाता है. इसके पीछे बिल्डर महंगाई व निर्माण सामग्रियों की कीमत बढ़ने का तर्क देते हैं. इसको लेकर कई बार ग्राहक व बिल्डरों के बीच भिड़ंत भी हो जाती है.
लेकिन शिकायत का कोई उचित मंच नहीं होने की वजह से ग्राहकों को झुकना पड़ता है.
ब्याज का बोझ तले पिसना मजबूरी
बिल्डरों की मनमानी के चलते ग्राहकों को मजबूरन ब्याज के बोझ तले पिसना पड़ता है. कैलकुलेटेड रिस्क लेते हुए बैंक से लोन तो ले लेते हैं, पर समय पर ब्याज पूरा नहीं हो पाने की वजह से उन पर बोझ बढ़ता चला जाता है. इधर, मकान नहीं मिलने से जेब पर किराये का बोझ भी यथावत रहता है.

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